IPOs से बाजार में नए शेयरों सप्लाई बेहताशा बढ़ने से भारतीय शेयर बाजार पर दबाव बढ़ा है. पहली ही बाजार कमजोर नतीजे और विदेशी निवेशकों की बिकवाली से जूझ रहा है.
ह्युंदई मोटर इंडिया ने हाल में देश के सबसे बड़े IPO से 3.3 बिलियन डॉलर जुटाए हैं. रेगुलेटर ने आगे 6 बिलियन डॉलर की लिस्टिंग का भी अप्रूवल दे रखा है.
नए स्टॉक्स की ये सप्लाई कमजोर नतीजों और ग्लोबल फंड्स की करीब 7 बिलियन डॉलर की निकासी के बीच आई है. लोकल इंस्टीट्यूशंस की दमदार खरीदारी से विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर कुछ कम हुआ है, लेकिन स्टॉक मार्केट अब भी बीते दो साल में सबसे खराब महीने की तैयारी कर रहा है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में एक्सिस म्यूचुअल फंड में चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर आशीष गुप्ता कहते हैं, 'बाजार में नई कंपनियों की जबरदस्त एंट्री को देखते हुए, बाजार को चढ़ाने के लिए जरूरी घरेलू फंड्स का निवेश शायद पर्याप्त साबित न हो.'
ह्युंदई को मिला लें तो 2024 में कंपनियों ने भारतीय शेयर बाजार में IPOs से 12 बिलियन डॉलर से ज्यादा जुटाए हैं. ये बीते दो साल में जुटाए गए फंड से भी ज्यादा है. इसके अलावा 25 बिलियन डॉलर के शेयर्स कंपनियों के फाउंडर्स ने भी बेचे हैं. ये भी बीते 5 साल का सबसे ऊंचा आंकड़ा है. यही नहीं कंपनियों ने 11 बिलियन डॉलर इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट्स यानी QIPs से भी जुटाए हैं. इन सबसे बाजार में नए शेयरों की बाढ़ सी आ गई है.
रिपोर्ट में PRIME डेटाबेस ग्रुप के प्रणव हल्दिया कहते हैं, 'कुछ कंपनी फाउंडर्स शेयरों के ऊंचे वैल्यूएशंस का फायदा उठा रहे हैं और संस्थागत निवेशकों को शेयर बेच रहे हैं.'
लेकिन इतिहास बताता है कि बड़ी तादाद में शेयर बिक्री को लेकर सावधानी बरतने की जरूरत है. 2007 से 2 बिलियन डॉलर से ज्यादा के 5 IPOs आए, जिनमें से केवल 2; DLF और कोल इंडिया लिमिटेड ने ही लिस्टिंग के बाद कुछ ही महीनों में पॉजिटिव रिटर्न्स दिए हैं. लेकिन कई बड़े IPOs आमतौर पर बाजार के ऊंचाई पर पहुंचने के दौरान आए हैं. फिर इन स्टॉक्स की ट्रेडिंग के कुछ हफ्तों बाद आमतौर पर बाजार में गिरावट ही आई है. हालांकि ह्युंदई इंडिया के IPO से पहले बेंचमार्क निफ्टी-50, 26 सिंतबर की ऊंचाई से 5% टूट चुका है.