मार्केट रेगुलेटर SEBI ने बाजार में फ्रंट रनिंग यानी गलत तरीकों से ट्रेडिंग पर रोक लगाने के लिए म्यूचुअल फंड नियमों में बदलाव किया है, जिसके तहत AMC को फ्रंट-रनिंग और इन्साइडर ट्रेडिंग का पता लगाने और रोकने के लिए एक संस्थागत व्यवस्था (institutional mechanism) बनानी होगा.
AMC का मैनेजमेंट ये सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा कि ये संस्थागत व्यवस्था सही से काम करे. SEBI ने ये भी अनिवार्य कर दिया है कि AMC एक व्हिसल-ब्लोअर सिस्टम स्थापित करें.
SEBI का ये निर्णय Axis AMC और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) से जुड़े ‘फ्रंट-रनिंग’ मामलों के संबंध में दो आदेश पारित करने के बाद आया है.
फ्रंट-रनिंग अवैध और प्रतिबंधित है. इसमें एक व्यक्ति भविष्य के लेनदेन में इन्साइडर सूचना के आधार पर स्टॉक में ट्रेड करता है. ये काम कीमतों को भी प्रभावित कर सकता है. उदाहरण के लिए, एक फंड मैनेजर, जिसने म्यूचुअल फंड स्कीम में जोड़ने के लिए किसी शेयर की पहचान की है और म्यूचुअल फंड द्वारा ऑर्डर दिए जाने से एक दिन पहले खुल इसे खरीदता है.
अधिसूचना के अनुसार, CEO, मैनेजिंग डायरेक्टर या उसी रैंक का एक अन्य व्यक्ति, कंपनी के COO अधिकारी के साथ, संस्थागत व्यवस्था को लागू करने और उसकी देखरेख के लिए जिम्मेदार होगा.
AMC एक प्व्हिसल-ब्लोअर नीति बनाएगी और इसे लागू भी करेगी. ये कर्मचारियों, निदेशकों, ट्रस्टियों और अन्य स्टेकहोल्डर के लिए एक गोपनीय चैनल मुहैया कराएगी, जो संदिग्ध धोखाधड़ी और बाजार में गलत तरीकों से ट्रेडिंग पर लगाम लगाएगी. SEBI के म्यूचुअल फंड नियमों में करे गए संशोधन 1 नवंबर से लागू होगा.