'विकसित भारत' बनने की दिशा में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है और भारतीय इंडस्ट्री इस प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. बाजारों में प्रभुत्व से लेकर मैन्युफैक्चरिंग में क्रांति लाने तक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में नए आयामों से लेकर इनोवेशन में प्रगति तक, हमारा देश एक समृद्ध और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर बढ़ रहा है.
विकसित भारत के इसी रोडमैप पर मंथन के लिए NDTV Profit Conclave 2025 में इंडस्ट्री लीडर्स, पॉलिसी मेकर्स और सरकार के प्रतिनिधि एक मंच पर आए हैं. मंगलवार सुबह 11 बजे से ही भारत के भविष्य को आकार देने वाली रणनीतियों पर चर्चा हो रही है.
इस कॉन्क्लेव में 'The Indian Investor Comes of Age' पर आयोजित पहले सेशन में NDTV Profit के नीरज शाह ने मॉर्गन स्टैनली के MD और चीफ इक्विटी स्ट्रैटजिस्ट रिद्धम देसाई, एंजेल वन लिमिटेड के चेयरमैन और MD दिनेश ठक्कर और NSE के MD और CEO आशीष चौहान के साथ शानदार चर्चा हुई.
मॉर्गन स्टेनली के MD रिद्धम देसाई ने भारतीय बाजारों के भविष्य पर एक रोमांचक भविष्यवाणी की है. उन्होंने कहा कि 2015 में सरकार द्वारा पेंशन फंड्स को इक्विटी मार्केट में निवेश की अनुमति देना भारत के लिए एक '401k मोमेंट' था. ये वही कदम है जो 1980 के दशक में अमेरिका में रोनाल्ड रीगन ने उठाया था, जिसके बाद अमेरिकी बाजारों में दो दशकों तक बुल रन देखने को मिला. रिद्धम का मानना है कि भारत में ये बुल रन 20 साल से भी अधिक समय तक चलेगा, क्योंकि भारत एक युवा देश है और यहां विकास की संभावनाएं अधिक हैं.
रिद्धम ने ये भी कहा कि बाजार हमेशा सीधी रेखा में नहीं बढ़ते, लेकिन उनका मानना है कि भारत पहले ही मंदी से बाहर निकल चुका है. उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में हुए बड़े बदलावों की ओर भी इशारा किया, जिसे बाजार ने अभी तक पूरी तरह से नहीं समझा है. ट्रंप प्रशासन के प्रभाव को लेकर उन्होंने कहा कि अब चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अमेरिकी व्यापारिक माहौल मजबूत है और इसका सकारात्मक प्रभाव भारत पर भी पड़ेगा.
हम भारतीयों ने पिछले 10 सालों में इक्विटी की तुलना में सोने में अधिक निवेश किया है, लेकिन अब स्थिति बदल रही है. विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयरों में निवेश कम हो गया है, जबकि घरेलू निवेशक बाजार में तेजी से निवेश कर रहे हैं. रिद्धम का कहना है कि जो लोग भारतीय बाजारों के मूल्यांकन को लेकर सहज महसूस कर रहे थे, उनके लिए अब निवेश का सही समय है.
एंजल वन के दिनेश ठक्कर ने हर्षद मेहता घोटाले का जिक्र करते हुए कहा कि इस घोटाले ने हमें नियमन की अहमियत समझाई. जब पूंजी पर्याप्तता नियम लाए गए, तो ब्रोकर्स ने इसका विरोध किया, लेकिन ये नियम बाजार को और मजबूत बनाने के लिए जरूरी थे.
ठक्कर ने ये भी कहा कि भारत में अभी भी निवेशकों को विभिन्न एसेट क्लासेस के बारे में जागरूकता की कमी है. उनका मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी निवेशकों के लिए व्यक्तिगत निवेश यात्रा को आसान बना सकती है. उन्होंने कहा कि अगले 5-7 सालों में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का भविष्य उज्ज्वल है और ये फिनटेक के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है.
NSE के CEO आशीष कुमार चौहान ने कहा कि तकनीकी बदलाव ही समृद्धि लाते हैं. पिछले 30-40 सालों में तकनीकी विकास ने जो समृद्धि पैदा की है, वह पिछले 100-200 सालों में हुए विकास से कहीं अधिक है. उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी नई तकनीक को बेहतर ढंग से समझती है और इसी के आधार पर वे बदलाव लाते हैं.
चौहान ने ये भी कहा कि कॉर्पोरेट गवर्नेंस में सुधार ने बाजार को और पारदर्शी बनाया है. पहले कंपनियां 2-3 साल में एक बार वार्षिक रिपोर्ट जारी करती थीं, लेकिन अब त्रैमासिक परिणामों की व्यवस्था ने निवेशकों को और अधिक जानकारी उपलब्ध कराई है. उन्होंने कहा कि भारत छोटे निवेशकों की सुरक्षा के मामले में अच्छा काम कर रहा है.
NSE की विकास यात्रा पर 1994 में NSE का मार्केट कैप 4 लाख करोड़ रुपये था, जो अब 400 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है. चौहान ने कहा कि विकास की प्रक्रिया धीमी शुरुआत के साथ होती है, लेकिन फिर ये तेजी से आगे बढ़ती है. उन्होंने कहा कि भारतीय बाजारों का भविष्य उज्ज्वल है और तकनीकी बदलाव इसे और आगे ले जाएंगे.
उन्होंने कहा, 'टेक्नोलॉजी हमारे शेयर बाजार में 1994-96 में ही आ चुकी थी, जिससे कीमतों/लागत में काफी कमी आई.' उन्होंने कहा कि ब्रोकिंग कंपनियां AI और मशीन लर्निंग पर भारी निवेश कर रही हैं. अगले 5-7 वर्षों में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का शानदार भविष्य है.