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SEBI Board Meeting: F&O नियमों की सख्ती से लेकर नए एसेट क्लास तक, बैठक में होंगे कई फैसले, देख लीजिए पूरी लिस्ट

इसमें डेरिवेटिव्स के लिए ट्रेडिंग नियमों को सख्त बनाने की मंजूरी दिए जाने की उम्मीद है.
NDTV Profit हिंदीचारू सिंह
NDTV Profit हिंदी09:50 AM IST, 25 Sep 2024NDTV Profit हिंदी
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मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की सोमवार को होने वाली बोर्ड बैठक पर बाजार और निवेशकों की नजरें टिकी हैं. उत्सुकता इस बात को जानने की है कि रेगुलेटर क्या नए नियम या सख्तियां लागू कर सकता है. इससे चीजें मुश्किल होंगी या आसान? NDTV प्रॉफिट ने बोर्ड बैठक से पहले जानने की कोशिश की है कि इस बैठक में किन मुद्दों पर बात हो सकती है.

मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के मुताबिक इसमें डेरिवेटिव्स (Derivatives) के लिए ट्रेडिंग नियमों को सख्त बनाने की मंजूरी दिए जाने की उम्मीद है.

इसके अलावा SEBI की योजना कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी के नजदीक मार्जिन को बढ़ाने की है. इसमें एक्स्ट्रीम लॉस मार्जिन (ELM) में एक्सपायरी के दिन 5% और उससे एक दिन पहले 3% बढ़ोतरी की जा सकती है.

ऑप्शंस स्ट्राइक्स के लिए गाइडलाइंस

इसमें एक्सपायरी के दिन कैलेंडर स्प्रेड बेनेफिट को हटाने और नियर टर्म एक्सपायरी के लिए मार्जिन बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया है. इसके साथ ऑप्शंस स्ट्राइक्स के लिए गाइडलाइंस बनाई जा सकती हैं.

इसके अलावा बोर्ड नए एसेट क्लास पेश करने को लेकर चर्चा कर सकता है, जिसे म्यूचुअल फंड्स और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) के बीच अंतर को कम करने के लिए डिजाइन किया जाएगा. ये हाई-नेट वर्थ इंडीविजुअल्स (HNIs) को टारगेट करेगा.

इस कदम से निवेशकों को अपना निवेश मैनेज करने के लिए ज्यादा अलग-अलग विकल्प मिलने की उम्मीद है.

कर्मचारियों की मुश्किलों पर भी होगी चर्चा

इसके अलावा बोर्ड हाल ही के कर्मचारियों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा और उनके समाधान के लिए कदम उठाएगा. इसके जरिए उसका मकसद संस्थान की अखंडता और निपुणता सुनिश्चित करना होगा.

रेगुलेटर ने जुलाई में डेरिवेटिव्स के लिए मिनिमम कॉन्ट्रैक्ट साइज को धीरे-धीरे बढ़ाकर 15 लाख से 20 लाख रुपये और छह महीने बाद फिर 20 से बढ़ाकर 30 लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया था. 5 लाख से 10 लाख रुपये के मिनिमम साइज को 2015 में तय किया गया था.

इन मुद्दों पर भी हो सकती है चर्चा

SEBI ने वीकली ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स को एक बेंचमार्क इंडेक्स प्रति एक्सचेंज पर सीमित करने का भी लक्ष्य रखा है, जिससे डेली एक्सपायरेशंस घटकर दो प्रति हफ्ते तक पहुंच जाए. उसने ऑप्शंस प्रीमियम को सीधे कलेक्ट करने और इंडेक्स डेरिवेटिव्स इंट्रा डे के लिए पोजिशन लिमिट की निगरानी करने की सिफारिश की है.

रेगुलेटर हाल ही में एक स्टडी लेकर भी आया है जिसमें ये जिक्र किया गया है कि F&O सेगमेंट में मौजूद हर 10 में से 9 इंडिविजुअल ट्रेडर्स को नुकसान हो रहा है और इसका बड़ा हिस्सा 30 साल से कम आयु वर्ग का है. इससे पहले इस साल जनवरी में भी SEBI ने एक स्टडी पेश की थी.

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