मार्केट रेगुलेटर SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने बुधवार को एक उच्च स्तरीय समिति के गठन की घोषणा की है. ये समिति SEBI के अधिकारियों और सदस्यों से जुड़े हितों के टकराव (Conflict of Interest) और डिस्क्लोजर (Disclosure) से जुड़े नियमों की समीक्षा करेगी.
इस संबंध में 24 मार्च को हुई SEBI बोर्ड की मीटिंग से एक दिन पहले NDTV Profit ने एक्सक्लूसिव रिपोर्ट की थी. नए चेयरमैन तुहिन कांता पांडे की वो पहली मीटिंग थी.
पूर्व चीफ विजिलेंस कमिश्नर प्रत्युष सिन्हा इस समिति के अध्यक्ष होंगे. उनके साथ अलग-अलग क्षेत्र से 5 अन्य दिग्गजों को भी सदस्य नियुक्त किया गया है.
उदय कोटक, कोटक महिंद्रा बैंक के फाउंडर और निदेशक
इंजेटी श्रीनिवास, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के पूर्व सचिव
जी महालिंगम, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व कार्यकारी निदेशक
सरित जाफा, पूर्व डिप्टी कॉम्पट्रोलर और ऑडिटर जनरल (Ex Deputy CAG)
आर नारायणस्वामी, पूर्व प्रोफेसर, IIM बैंगलोर
SEBI के अनुसार, ये समिति तीन महीने के भीतर अपनी सिफारिशें सौंपेगी. इसके बाद SEBI बोर्ड उन पर विचार करेगा.
समिति हितों के टकराव और जानकारी देने से जुड़े मौजूदा नियमों की समीक्षा करेगी.
नए नियमों का सुझाव, जिनमें रिस्यूजल पॉलिसी भी (जहां अधिकारी खुद को किसी निर्णय से अलग कर सकें) शामिल होगी
अधिकारियों की संपत्ति, देनदारियां और निवेश से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने का तरीका तय करना
डिजिटल रिकॉर्ड रखने और सार्वजनिक निगरानी के लिए व्यवस्था बनाना
आम लोगों के लिए शिकायत करने और जांच की प्रक्रिया तय करना
SEBI के अनुसार, इस समिति का उद्देश्य है कि बोर्ड के सदस्यों और अधिकारियों के कामकाज में पारदर्शिता, नैतिक आचरण और जवाबदेही बनी रहे. इससे लोगों का भरोसा भी मजबूत होगा.
SEBI के नए चेयरपर्सन तुहिन कांता पांडे ने 7 मार्च को मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि बोर्ड के किसी सदस्य के हितों में टकराव होने पर उसकी जानकारी सार्वजनिक की जाएगी.
मार्केट रेगुलेटर का ये कदम पारदर्शिता और ईमानदारी को बढ़ावा देने की दिशा में अहम माना जा रहा है.