नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के शानदार नतीजे पेश किये हैं. NSE के मुनाफे में 57% की ग्रोथ हुई है. जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत के सबसे बड़े एक्सचेंज ने 3,137 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया. NSE का नेट प्रॉफिट मार्जिन 62% रहा है. सोमवार को जारी एक बयान के मुताबिक, NSE कि कुल आय 25% बढ़कर 5,023 करोड़ रुपये हो गई.
NSE ने कहा, 'ट्रेडिंग रेवेन्यू के अलावा, ऑपरेशन से मिलने वाले रेवेन्यू को अन्य स्रोतों से भी अच्छी आय हुई है, जिसमें मुख्य रूप से क्लीयरिंग सर्विसेज, डेटा सेंटर, कनेक्टिविटी चार्ज, लिस्टिंग सर्विसेज, इंडेक्स सर्विसेज और डेटा सर्विसेज शामिल हैं.'
तिमाही के दौरान, कैश मार्केट्स में औसत दैनिक कारोबार वॉल्यूम 1.29 लाख करोड़ रुपये देखा गया, जो साल-दर-साल 66% की ग्रोथ को दर्शाती है. इक्विटी फ्यूचर्स ने 64% की ग्रोथ के साथ 2.02 लाख करोड़ रुपये का ADTV दर्ज किया, जबकि इक्विटी ऑप्शंस (प्रीमियम मूल्य) 8% की ग्रोथ के साथ 65,648 करोड़ रुपये के ADTV पर पहुंच गया.
इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में NSE के कामकाज से सरकार को 30,130 करोड़ रुपये का टैक्स मिला है. जिसमें 24,755 करोड़ रुपये का सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) और कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स , 2,099 करोड़ रुपये का स्टांप शुल्क, 1,333 करोड़ रुपये का SEBI शुल्क, 1,119 करोड़ रुपये का आयकर और 824 करोड़ रुपये का गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स शामिल है. 24,755 करोड़ रुपये के STT/CTT में से 64% कैश मार्किट सेगमेंट से और 36% इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट से आया है.
IPO मार्केट में तेजी के बीच NSE ने लिस्टिंग सर्विसेज से 147 करोड़ रुपये कमाए.
मामले से परिचित लोगों के मुताबिक, अगस्त में, NSE ने IPO नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) की मांग करते हुए SEBI को एक नया आवेदन प्रस्तुत किया है. NDTV प्रॉफिट की रिपोर्ट के मुताबिक मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने ये बताया है. इससे पहले SEBI ने दिल्ली हाईकोर्ट को जानकारी दी थी कि NSE की ओर से कोई नई ऐप्लीकेशन नहीं मिली है. SEBI से NOC प्राप्त होने के बाद, कंपनी ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस तैयार करती है, जिसमें इसकी वित्तीय स्थिति और व्यवसाय मॉडल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी शामिल होती है.
इसके बाद ये DRHP SEBI के पास दाखिल किया जाता है. SEBI इसकी गहन समीक्षा करता है. जांच के बाद, मार्केट रेगुलेटर या तो DRHP को मंजूरी देता है या आगे संशोधन का अनुरोध करता है. एक बार मंजूरी मिल जाने के बाद कंपनी अपने IPO के साथ आगे बढ़ सकती है, जिससे उसे सार्वजनिक निवेशकों से धन जुटाने की अनुमति मिलती है.