लोकसभा (Lok Sabha) से बुधवार को महिला आरक्षण बिल, 2023 (Women's Reservation Bill) पास हो गया. सरकार की तरफ से इस बिल को 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' नाम दिया गया है. बिल के पक्ष में 454 वोट और विपक्ष में 2 वोट पड़े.
आइए इस बिल से जुड़े कुछ अहम सवालों के जवाब जानते हैं.
महिला आरक्षण बिल का मकसद लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करना है. ताकि देश के आधे हिस्से का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके.
ऐसा नहीं है कि बिल पास होने के बाद ही लागू हो जाएगा. इसके लिए पहले परिसीमन जरूरी है. लेकिन 2026 तक परिसीमन पर प्रतिबंध है. फिर परिसीमन के लिए पहले जनगणना कराना भी जरूरी है. तब जाकर परिसीमन के बाद अगले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में महिला आरक्षण वास्तविक तौर पर लागू हो पाएगा.
लेकिन यहां भी पेंच है. परिसीमन को लेकर उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय राज्यों में विवाद है. क्योंकि पिछले परिसीमन के बाद उत्तर भारतीय राज्यों की आबादी तेजी से बढ़ी है, जबकि दक्षिण भारत में बेहतर नियोजन योजनाओं के चलते आबादी उतनी तेजी से नहीं बढ़ी या स्थिर हुई है.
नहीं, राज्यसभा और विधान परिषद में महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया जाएगा. आरक्षण केवल चुने हुए सदनों (लोकसभा और विधानसभा) के लिए है.
महिला आरक्षण बिल के तहत दिल्ली और पुडुचेरी में भी कुल सीटों में से एक तिहाई को महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाएगा. ध्यान रहे केंद्र शासित प्रदेशों में केवल दिल्ली और पुडुचेरी में विधानसभा हैं.
संसद में SC और ST कोटे के लिए जो सीटें आरक्षित हैं, उन्हीं में से एक तिहाई SC-ST महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी. लेकिन OBC महिलाओं के लिए अलग से कोटे का प्रावधान नहीं किया गया है.