सरकार की तरफ से प्रस्तावित नए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (National Curriculum Framework) के ड्राफ्ट में स्कूली शिक्षा के हर स्तर पर पढ़ाई-लिखाई और परीक्षा के तौर-तरीकों में भारी बदलाव करने की सिफारिश की गई है. फिर चाहे वो 9वीं से 12वीं तक के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई हो या प्री-स्कूल से लेकर 8वीं तक के छोटे बच्चों की शिक्षा का मसला. NCF के ड्राफ्ट में एजुकेशन के हर लेवल पर एक नई सोच को जगह दी गई है. बड़े बच्चों के लिए जहां मल्टी-डिसिप्लिनरी कोर्स सेलेक्शन और परीक्षाओं में मॉड्युलर एप्रोच पर ध्यान दिया गया है, वहीं छोटे बच्चों के लिए किताबों के साथ ही साथ खेलकूद और और अन्य गतिविधियों के जरिए सिखाने पर जोर दिया जा रहा है.
नए NCF में प्री-स्कूल से दूसरी कक्षा तक, यानी 3 से 8 साल तक के बच्चों की एजुकेशन में कई अहम बदलाव करने की सिफारिश की गई है. इन बच्चों को खेल-खेल में सिखाने पर जोर दिया जाएगा, जिसे खेल आधारित (play based) शिक्षा पद्धति कहा गया है. इससे नन्हे बच्चों के लिए पढ़ाई-लिखाई बोझ बनने की बजाय एक दिलचस्प एक्टिविटी बन जाएगी. छोटे बच्चों के लिए पाठ्य पुस्तकों का इस्तेमाल पहली कक्षा से ही शुरू किया जाएगा. उससे पहले उन्हें नई-नई बातें सिखाने के लिए खिलौनों, पहेलियों और ऐसे ही अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके अलावा बच्चों को उनके आस-पास के माहौल, चीजों - मसलन पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं और आउटडोर गतिविधियों के माध्यम से शिक्षा दी जाएगी.
तीसरी, चौथी और पांचवीं कक्षा के बच्चों को भाषा और गणित जैसे विषय सिखाने के लिए टेक्स्ट बुक तो रहेंगी, लेकिन उनके साथ ही एक्टिविटी आधारित तरीकों का इस्तेमाल भी जारी रहेगा. इस मसले पर NCF में की गई टिप्पणियां काफी महत्वपूर्ण हैं. मिसाल के तौर पर इसमें कहा गया है कि गणित सिखाने के मौजूदा तरीकों की वजह से कई बच्चों में इस विषय को लेकर डर पैदा हो जाता है. गणित में बच्चों के मूल्यांकन के तरीके भी ऐसे हैं, जिनकी वजह से बच्चों को रट्टामार पढ़ाई करनी पड़ती है और गणित को वो एक नीरस और मैकेनिकल विषय के रूप में देखने लगते हैं. NCF में इस समस्या को दूर करने के लिए गणित जैसे विषयों को भी खेलकूद, एक्टिविटी, डिस्कवरी और डिस्कशन के जरिए सिखाने की बात कही गई है.
NCF में कहा गया है कि शिक्षा के माध्यमिक स्तर पर, यानी क्लास 6 से 8 तक की पढ़ाई में पाठ्य पुस्तकों की भूमिका बढ़ जाएगी. लेकिन बच्चों को पहले के मुकाबले बेहतर ढंग से तैयार की गईं किताबें मुहैया कराई जाएंगी, जिससे उन्हें विषय को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी. इस स्तर पर बच्चों को नेचुरल साइंस के साथ ही साथ सोशल साइंस भी पढ़ाया जाएगा. NCF में कहा गया है कि सोशल साइंस की पढ़ाई में बच्चों को किसी भी मुद्दे पर सिर्फ एकतरफा या अधूरी जानकारी नहीं दी जाएगी, बल्कि उन्हें किसी मसले पर अलग-अलग नजरियों और एविडेंस के बारे में बताकर व्यापक समझदारी विकसित करने में मदद की जाएगी.
नए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) का ड्राफ्ट केंद्र सरकार की तरफ से सितंबर 2021 में नियुक्त एक नेशनल स्टियरिंग कमिटी ने तैयार किया है. लोगों का फीडबैक मिलने के बाद कमिटी इस पर आगे भी विचार-विमर्श करेगी और तब जाकर इसे अंतिम रूप दिया जाएगा. 12 सदस्यों वाली स्टियरिंग कमेटी के चेयरमैन इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के पूर्व चेयरपर्सन K कस्तूरीरंगन हैं. सितंबर 2021 से अब तक यह कमेटी छोटे बच्चों की आरंभिक शिक्षा और स्कूल एजुकेशन से जुड़े ड्राफ्ट तैयार कर चुकी है, जबकि टीचर और एडल्ट एजुकेशन से जुड़े ड्राफ्ट तैयार करने पर काम जारी है.
सरकार ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि स्कूलों में संशोधित NCF पर आधारित पाठ्य पुस्तकों को 2024-25 के एकेडमिक सेशन में पेश किया जाएगा. लेकिन परीक्षा व्यवस्था, असेसमेंट और सब्जेक्ट डिजाइन में प्रस्तावित बदलावों को लागू करने के बारे में भी अब तक कोई टाइमलाइन जारी नहीं हुई है. नए NCF के ड्राफ्ट में अभी पाठ्य पुस्तकों में किए जाने वाले बदलावों के बारे में भी विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है. अलग-अलग विषयों के लिए बनाई गई विशेषज्ञों की उप-समितियां अभी इन पर काम कर रही हैं.
कुछ दिनों पहले शिक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में बताया गया कि NCF के ड्राफ्ट पर अभी नेशनल स्टियरिंग कमेटी के भीतर कई दौर में चर्चा होनी है. सरकार ने एक ईमेल एड्रेस - ncf.ncert@ciet.nic.in भी जारी किया है, जहां लोग इस मसले पर अपना फीडबैक भेज सकते हैं.