अप्रैल का महीना नॉन-वेज लवर्स की जेब के लिए गरम रहा. वहीं, वेज खाना पसंद करने वालों की जेब ज्यादा ढीली हुई. प्याज, टमाटर की कीमतों ने वेज थाली की कीमतों को 8% तक बढ़ा दिया. वहीं, चिकन के घटे दाम से नॉन-वेज थाली की कीमतों पर असर पड़ा.
बुधवार को रेटिंग एजेंसी CRISIL ने 'रोटी राइस रेट' नाम से रिपोर्ट जारी की, जिसमें ये जानकारी मिली है.
वेज थाली, जिसमें रोटी, सब्जी (प्याज, टमाटर और आलू), दाल, चावल, दही और सलाद आते हैं, की कीमतें अप्रैल में 27.4 रुपये रही, जबकि बीते साल ये 25.4 रुपये पर थी. मार्च 2024 में भी इसकी कीमतों में सालाना आधार पर 27.3 रुपये पर थी.
इस थाली की औसतन कीमत उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में इनपुट कीमतों के आधार पर तय की गई है. कीमतों में मासिक आधार पर होने वाले बदलाव से आम आदमी के बजट पर भी असर पड़ता है.
इस डेटा में अनाज, दालें, चिकन, सब्जियां, मसाले, खाद्य तेल और कुकिंग गैस में होने वाले बदलाव शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, घर में बनी वेज थाली की कीमत में 8% का इजाफा हुआ है. वहीं, नॉन-वेज थाली की कीमत में 4% की गिरावट आई है. ये जानकारी CRISIL MI&A रिसर्च ने दी है.
बीते साल के मुकाबले प्याज, टमाटर और आलू की कीमतों में 41%, 40% और 38% का उछाल आया है, जिसकी वजह से वेज थाली की कीमतें बढ़ी हैं.
रबी की फसल में प्याज का देरी से आना और पश्चिम बंगाल में आलू की फसल बर्बाद होना कीमतें बढ़ने की बड़ी वजहें हैं.
चावल की कीमतों का वेज थाली में 13% योगदान है. दालों की कीमतों का वेज थाली में 9% योगदान है. चावल और दाल की कीमतों में सालाना आधार पर 14% और 20% की तेजी आई है.
जीरा, मिर्च और खाद्य तेल की कीमतों में 40%, 31% और 10% की गिरावट आई है.
नॉन-वेजा थाली के लिए, दाल से जुड़े सभी इंग्रीडिएंट्स को चिकन के इंग्रीडिएंट्स से बदल दिया गया है. अप्रैल में इसकी कीमत घटकर 56.3 रुपये रह गई, जो बीते साल 58.9 रुपये थी. मार्च में नॉन-वेज थाली की कीमत 54.9 रुपये थी.
चिकन की कीमतों में 12% की गिरावट हुई. चिकन नॉन-वेज थाली में 50% का कंट्रीब्यूशन रखता है. सालाना आधार पर नॉन-वेज थाली की कीमतों में गिरावट आई है.
मार्च के मुकाबले, नॉन-वेज थाली की कीमत में 3% की बढ़ोतरी हुई है. चिकन की कीमत बढ़ने और इनपुट कॉस्ट में बढ़ोतरी के चलते थाली की कीमतों में उछाल आया है.