प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में PM विश्वकर्मा योजना (PM Vishwakarma Scheme) को मंजूरी दी गई. वित्त वर्ष 2023-24 से 2027-28 तक 5 साल की अवधि के लिए इस योजना पर 13,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने ग्रीन अर्बन मोबिलिटी पहल के तहत PM ई-बस सेवा योजना को भी मंजूरी दी है.
वहीं, दूसरी ओर 32,500 करोड़ रुपये की 7 रेलवे मल्टी ट्रैकिंग परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई है. ये परियोजनाएं महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार समेत 9 राज्यों के 35 जिलों को कवर करेगी.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीटिंग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन फैसलों के बारे में जानकारी दी.
कैबिनेट ने सिटी बस परिचालन को बढ़ावा देने के लिए 'PM ई-बस सेवा' योजना को भी मंजूरी दी है. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस परियोजना की कुल लागत 57,613 करोड़ रुपये होगी. इसके तहत 100 शहरों का चयन किया जाएगा, जहां कुल मिलाकर 10,000 नई इलेक्ट्रिक बसें उपलब्ध कराई जाएंगी.
उन्होंने कहा, 'ग्रीन अर्बन मोबिलिटी पहल के तहत, बाइक शेयरिंग, साइकिल लेन जैसे गैर-मोटर चालित इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ बस रैपिड परिवहन परियोजनाएं विकसित की जाएंगी. साथ ही नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड, इंटेलिजेंट ट्रांजिट मैनेजमेंट सिस्टम, मल्टीमॉडल इंटरचेंज सुविधाएं जैसी नई परियोजनाएं भी विकसित की जाएंगी.
13,000 करोड़ रुपये की PM विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों को फाइनेंशियल सपोर्ट देकर उन्हें मजबूत करना है.
इस योजना के तहत पहली बार में 18 ट्रेडिशनल ट्रेड्स (पारंपरिक व्यापारों) को शामिल किया जाएगा. आईडी कार्ड बनाकर उन्हें मान्यता दी जाएगी.
उन्हें 5% की रियायती ब्याज दर के साथ 1 लाख रुपये (पहली किस्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किस्त) तक की क्रेडिट सहायता दी जाएगी.
ये योजना आगे स्किल डेवलपमेंट, टूलकिट इंसेंटिव, डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए इंसेंटिव और मार्केटिंग सपोर्ट में मदद करेगी.
विश्वकर्मा योजना के तहत पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता मिलेगी. इसके तहत बढ़ई, नाव बनाने वाले, अस्त्रकार (Armourer), लोहार, हथौड़ा और टूलकिट निर्माता, ताला बनाने वाले, सोनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाले, मोची/चर्मकार/जूता कारीगर, राजमिस्त्री, टोकरी/चटाई/झाड़ू बनाने वाले, पारंपरिक गुड़िया और खिलौना बनाने वाले, नाई, मालाकार, धोबी, दर्जी और मछली पकड़ने का जाल बनाने वालों को योजना का लाभ मिलेगा.
केंद्रीय कैबिनेट ने कुल 2339 किलोमीटर लंबी 7 मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं को भी मंजूरी दी है, जिसके तहत करीब 7.06 करोड़ मानव दिवस (man-days) का प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होगा. मजदूरों को इसका बड़ा फायदा होगा.
केंद्र सरकार की 100% फंडिंग वाली इन परियोजनाओं के तहत रेलवे के सबसे बिजी रहने वाले रेलखंडोंं पर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप होगा. मौजूदा ट्रैक क्षमता को बढ़ाने, ट्रेन ऑपरेशन को सुचारू बनाने, भीड़भाड़ कम करने और यात्रा को आसान बनाने के लिए इन प्रोजेक्ट्स को महत्वपूर्ण बताया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल (9 राज्यों) के 35 जिलों को कवर करने वाली इन परियोजनाओं से भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में 2339 किलोमीटर की बढ़ोतरी होगी.