क्या देशभर में हार्टअटैक से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है? क्या कोविड के बाद ये स्थिति पैदा हुई? क्या मरनेवालों में युवाओं की संख्या ज्यादा है? यदि ऐसा है तो कारण क्या हैं और सरकार क्या कर रही है?
आज संसद में मॉनसून सत्र के दौरान ये सवाल उठाए गए. जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने इन सवालों पर चल रही रिसर्च स्टडी के बारे में बताया. साथ ही सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों से भी सदन को अवगत कराया.
सलेमपुर से सांसद रवीन्द्र कुशवाहा और मालदा से सांसद खगेन मुर्मू ने इन सवालों पर स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से जवाब मांगा था.
केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने सदन को बताया, 'कोविड के बाद कार्डियक अरेस्ट के बढ़ते मामलों की आशंका के संबंध में तथ्यों का पता लगाने के लिए, ICMR तीन अलग-अलग रिसर्च स्टडी कर रहा है.
भारत में 18 से 45 वर्ष की आयु के वयस्कों में अचानक मृत्यु से जुड़े कारण (40 अस्पतालों/अनुसंधान केंद्रों पर स्टडी)
18-45 वर्ष की आबादी के बीच थ्रोम्बोटिक घटनाओं पर COVID-19 वैक्सीन का प्रभाव (30 कोविड क्लिनिकल रजिस्ट्री अस्पतालों में स्टडी)
वर्चुअल और शारीरिक शव परीक्षण के माध्यम से युवाओं में अचानक अस्पष्ट मौत की वजह खोजना
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार, इन तीन विषयों पर रिसर्च स्टडी चल रही है. फिलहाल न तो स्वास्थ्य मंत्रालय तरफ से और न ही ICMR की ओर से स्टडी से जुड़े किसी तरह के आंकड़े जारी किए गए हैं.
दरअसल, हाल के वर्षों में देश में दिल का दौरा पड़ने से होने वाली मौत की घटनाएं काफी बढ़ी हैं. हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट ने कांग्रेस नेता संतोख चौधरी, कोरियोग्राफर सरोज खान, एक्टर-डायरेक्टर सतीश कौशिक समेत कई दिग्गजों की जान ली.
यहां आम लोगों की संख्या काफी ज्यादा होने की आशंका है. खासकर कोरोना महामारी के दौरान और उसके बाद हार्ट अटैक से मौत की काफी घटनाएं सामने आने लगीं.
आश्चर्य की बात ये भी कि मरनेवालों में न केवल बुजुर्ग, बल्कि युवाओं की भी बड़ी संख्या है. मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव, बिग बॉस फेम सिद्धार्थ शुक्ला, एक्टर दीपेश भान, बॉलीवुड सिंगर केके, साउथ सुपरस्टार पुनीत राजकुमार, मंदिरा बेदी के पति राज कौशल समेत कई ऐसे नाम हैं, जो 40-50 की उम्र के आसपास दुनिया छोड़ गए.
अमूमन स्टैटिक लाइफस्टाल, अनियमित खानपान, तनाव, ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, प्रदूषण वगैरह को हृदय संबंधी समस्याओं का कारण बताया जाता रहा है, लेकिन हार्ट अटैक से मौत की बढ़ती घटनाओं के बीच आशंका ये भी जताई जाने लगी कि कहीं कोरोना की वैक्सीन के चलते तो ऐसा नहीं हो रहा!
कोरोना वैक्सीन पर सवाल उठे थे, तब स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा था, 'हमारे पास आंकड़े हैं और ICMR कुछ सवालों को लेकर इस विषय (हार्ट अटैक) पर स्टडी कर रहा है.' उन्होंने AIIMS दिल्ली की ओर से भी हार्ट अटैक से होने वाली मौतों के आंकड़ों की समीक्षा किए जाने की जानकारी दी थी.
बहरहाल ICMR रिसर्च स्टडी की पहली रिपोर्ट सामने आनी थी. 20 जुलाई तक ऐसी कोई रिपोर्ट तो सामने नहीं आई थी, लेकिन शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सदन में जानकारी सामने रखी.
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि NP-NCD (नेशनल प्रोग्राम फॉर नॉन कम्यूनिकेबल डिजीजेस) के तहत सरकार ने 724 जिला NCD क्लिनिक, 210 जिला कार्डियक केयर यूनिट, 326 जिला डे केयर सेंटर और 6,110 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र NCD क्लिनिक स्थापित किए गए हैं.
इस दिशा में केंद्र सरकार की ओर से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के साथ-साथ सुलभ, किफायती स्वास्थ्य देखभाल और उपचार की सुविधा के लिए कई कदम उठाए गए हैं.
हृदय रोग के मरीजों को मेडिकल कॉलेजों, एम्स जैसे केंद्रीय संस्थानों, केंद्र सरकार के अस्पतालों और निजी क्षेत्र के अस्पतालों में इलाज और स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही हैं.
एम्स और कई उन्नत स्वास्थ्य संस्थानों में प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) के तहत हृदय रोगों और इसके विभिन्न पहलुओं में भी ध्यान केंद्रित किया गया है.
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के तहत प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक के इलाज का हेल्थ इंश्योरेंस कवर उपलब्ध कराया गया है. 60 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को इसका फायदा मिल रहा है.
राष्ट्रीय आरोग्य निधि (RAN) की व्यापक योजना के तहत, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है.
इसके अलावा, राज्य सरकारों के सहयोग से प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) के तहत सभी को सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं.
कुछ अस्पतालों/संस्थानों में रिलायबल इम्प्लांट यानी विश्वसनीय प्रत्यारोपण (अमृत) फार्मेसी स्टोर स्थापित किए गए हैं, जिसका उद्देश्य अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) की तुलना में पर्याप्त छूट पर हृदय रोग संबंधी दवाएं उपलब्ध कराना है.
बहरहाल कहा जा रहा है कि ICMR की स्टडी रिपोर्ट सामने आने के बाद हार्ट अटैक से होने वाली मौत की घटनाएं बढ़ने की वजह का स्पष्ट पता चल जाएगा.