प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में कहा कि मानवता की सफलता युद्ध के मैदान में नहीं, बल्कि सामूहिक शक्ति में निहित है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) हॉल के प्रतिष्ठित मंच से वर्ल्ड लीडर्स को संबोधित करते हुए PM मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत 'नमस्कार' से की और कहा कि वो संयुक्त राष्ट्र में 140 करोड़ भारतीयों यानी मानवता के छठे हिस्से (1/6) की आवाज लेकर आए हैं.
'समिट ऑफ द फ्यूचर' (Summit of the Future) को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय विश्व के भविष्य पर चर्चा कर रहा है, तो सर्वोच्च प्राथमिकता 'मानव-केंद्रित दृष्टिकोण' को दी जानी चाहिए.
PM मोदी ने कहा, 'जून में अभी-अभी मानव इतिहास के सबसे बड़े चुनावों में भारत के लोगों ने मुझे लगातार तीसरी बार सेवा का अवसर दिया है. आज मैं उन्हीं की आवाज आप तक पहु्ंचाने यहां आया हूं.'
उन्होंने बताया कि दुनिया में भारत का कद क्या है और उसे क्यों गौर से सुना जाना चाहिए. उन्होंने 'मानव इतिहास के सबसे बड़े चुनाव' के जरिए दुनिया को भारतीय लोकतंत्र के विराट स्वरूप के दर्शन कराए. उन्होंने कहा कि भारत के वाशिंदों की बात को दुनिया को गौर से सुनना चाहिए.
अपने करीब साढ़े 4 मिनट के संबोधन में PM मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि मानवता की सफलता हमारी सामूहिक शक्ति में निहित है, युद्ध के मैदान में नहीं. इस बात को रेखांकित करते हुए कि सुधार प्रासंगिकता की कुंजी है, उन्होंने कहा कि वैश्विक शांति और विकास के लिए वैश्विक संस्थाओं में सुधार आवश्यक हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में भारत की अध्यक्षता में अफ्रीकी संघ को G-20 के स्थाई सदस्य के रूप में शामिल किया जाना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था.
भारत 15 देशों की सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए वर्षों से चल रहे प्रयासों में अग्रणी रहा है. भारत का कहना है कि वो स्थाई सदस्यता का हकदार है. भारत आखिरी बार 2021-22 में अस्थायी सदस्य के तौर पर सुरक्षा परिषद में बैठा था.
PM मोदी ने वैश्विक महत्वाकांक्षा के अनुरूप वैश्विक कार्रवाई का भी आह्वान किया, क्योंकि विश्व आतंकवाद के खतरे के साथ-साथ नई चुनौतियों से भी जूझ रहा है. उन्होंने कहा, 'जहां एक ओर आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर साइबर, समुद्री और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्र संघर्ष के नए क्षेत्र के रूप में उभर रहे हैं.' प्रधानमंत्री ने कहा, 'इन सभी मुद्दों में मैं इस बात पर जोर दूंगा कि वैश्विक कार्रवाई वैश्विक महत्वाकांक्षा से मेल खानी चाहिए.'
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत ने 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है और ये प्रदर्शित किया है कि सतत विकास सफल हो सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि भारत अपनी सफलता के इस अनुभव को पूरे 'ग्लोबल साउथ' के साथ साझा करने के लिए तैयार है.
आमतौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों या विकासशील देशों को संदर्भित करने के लिए 'ग्लोबल साउथ' शब्द का इस्तेमाल होता है.
उन्होंने कहा, 'जब हम वैश्विक भविष्य पर चर्चा कर रहे हैं, तो हमें मानव-केंद्रित दृष्टिकोण को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए. सतत विकास को प्राथमिकता देते हुए, हमें मानव कल्याण, खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी चाहिए.
प्रधानमंत्री ने टेक्नोलॉजी के सुरक्षित और जिम्मेदारी से उपयोग के लिए वैश्विक स्तर पर संतुलित विनियमन की आवश्यकता पर भी बल दिया. उन्होंने कहा, 'हमें वैश्विक डिजिटल शासन की आवश्यकता है, जो सुनिश्चित करे कि राष्ट्रीय संप्रभुता और अखंडता बरकरार रहे. डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) एक सेतु होनी चाहिए, न कि एक बाधा.'
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों और विश्व नेताओं ने भारत के डिजिटलाइजेशन कैंपेन की लगातार सराहना की है, जिससे गरीबी को कम करने और लाखों लोगों को इकोनॉमिक सिस्टममें लाने में मदद मिली है.
PM मोदी ने कहा कि भारत वैश्विक भलाई के लिए अपने DPI को पूरी दुनिया के साथ साझा करने के लिए तैयार है.
PM मोदी ने कहा कि भारत के लिए 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' एक प्रतिबद्धता है. ये प्रतिबद्धता हमारी 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' और 'एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड' जैसी पहल में भी दिखती है. उन्होंने विश्व समुदाय को आश्वासन दिया कि भारत समस्त मानवता के अधिकारों की रक्षा और वैश्विक समृद्धि के लिए विचार, वचन और कर्म से काम करना जारी रखेगा.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र (UN) महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि संघर्ष, पश्चिम एशिया से लेकर यूक्रेन और सूडान तक बढ़ रहे हैं और बढ़ते जा रहे हैं, जिसका कोई अंत नहीं दिख रहा है. उन्होंने कहा, 'हमने शिखर सम्मेलन इसलिए बुलाया क्योंकि हमारी दुनिया पटरी से उतर रही है और हमें वापस पटरी पर लाने के लिए कठोर निर्णयों की आवश्यकता है.'
उन्होंने 15 देशों वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को 'पुरानी' व्यवस्था बताया और कहा कि इसके अधिकार कम होते जा रहे हैं. उन्होंने चेताया कि अगर इसकी संरचना और कार्य पद्धति में सुधार नहीं किया जाता है तो ये अपनी सारी विश्वसनीयता खो देगी. बता दें कि भारत की स्थाई सदस्यता के लिए अमेरिका भी अपना समर्थन दे चुका है.
रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-हमास संघर्ष के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन, असमानता और गहराते जियो-पॉलिटिकल टेंशन की चुनौतियों के बीच चल रहे UN के इस अहम समिट के पहले दिन वर्ल्ड लीडर्स ने सर्वसम्मति से 'फ्यूचर एग्रीमेंट' को मंजूरी दी थी. साथ ही 'ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट' और 'भविष्य की पीढ़ियों पर घोषणा पत्र' को भी स्वीकार किया गया था.
फ्यूचर एग्रीमेंट में 5 विषयों पर फोकस किया गया है
सतत विकास (Sustainable Development),
अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा,
विज्ञान और प्रौद्योगिकी
युवा और भावी पीढ़ियां
वैश्विक शासन में परिवर्तन
ये मुद्दे कल की पीढ़ियों के लिए अधिक सुरक्षित, अधिक शांतिपूर्ण, टिकाऊ और समावेशी दुनिया की दिशा में सदस्य देशों की कार्रवाइयों और प्रतिबद्धता के लिए आधार तैयार करता है. अगले साल संयुक्त राष्ट्र के 80 साल पूरे होने के अवसर पर, ये समझौता वैश्विक संस्थाओं में सुधार, सतत विकास के लिए आगे का रास्ता, जलवायु कार्रवाई और AI की जरूरत समेत अन्य क्षेत्रों को रेखांकित करता है. हालांकि, इसमें लक्ष्य हासिल करने की समयसीमा नहीं बताई गई है.