ADVERTISEMENT

इन 4 कानूनों के तहत मामले निपटाने में हुए खर्च पर नहीं मिलेगी टैक्स छूट, CBDT ने जारी किया नोटिफिकेशन

टैक्स मामलों के जानकार अमित माहेश्वरी ने बताया कि पहले इस मुद्दे पर काफी कानूनी बहस होती रही है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी07:53 PM IST, 24 Apr 2025NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट ने गुरुवार को साफ कर दिया कि अगर किसी टैक्सपेयर व्‍यक्ति या संस्‍थान ने SEBI एक्‍ट और कंपटीशन एक्‍ट समेत 4 कानूनों के तहत शुरू हुई कार्यवाहियों को निपटाने के लिए कोई खर्च किया है, तो उस पर उसे इनकम टैक्‍स में कोई कटौती या छूट नहीं मिलेगी.

समाचार एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, 23 अप्रैल को सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि इस तरह के खर्चे कारोबार या पेशे से जुड़े खर्च नहीं माने जाएंंगे, इसलिए उस पर टैक्स में छूट नहीं मिलेगी.

CBDT ने जिन चार कानूनों का जिक्र किया है, वे हैं:

  • SEBI अधिनियम, 1992 (SEBI Act)

  • सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) एक्ट, 1956

  • डिपॉजिटरीज एक्ट, 1996

  • कंपटीशन एक्ट, 2002

इन चारों कानूनों के तहत अगर किसी व्यक्ति या संस्था ने किसी उल्लंघन या गलती के चलते मामला सुलझाने या समझौता करने के लिए कोई राशि चुकाई है, तो उस पर अब इनकम टैक्‍स में छूट नहीं मिलेगी.

पहले मिलती थी कुछ मामलों में राहत

टैक्स मामलों के जानकार अमित माहेश्वरी, जो AKM ग्लोबल में टैक्स पार्टनर हैं, उन्होंने बताया कि पहले इस मुद्दे पर काफी कानूनी बहस होती रही है. उदाहरण के तौर पर इनकम टैक्स ऑफिसर बनाम रिलायंस शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स प्राइवेट लिमिटेड केस में SEBI को दी गई ‘कंसेंट फीस’ को कारोबारी खर्च माना गया था और उस पर टैक्स छूट मिली थी.

2024 के फाइनेंस एक्‍ट से बदले नियम

वित्त अधिनियम 2024 (Finance Act 2024) के जरिए अब सरकार ने कानून में बदलाव कर दिए हैं. नए नियमों के मुताबिक भारत या विदेश के किसी भी ऐसे कानून के तहत मामले सुलझाने में किया गया खर्च टैक्स में कटौती के योग्य नहीं होगा, अगर वे SEBI, सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स एक्ट, डिपॉजिटरीज एक्ट या कंपटीशन एक्ट जैसे कानूनों से जुड़े हैं.

कानूनी स्थिति अब ज्‍यादा क्लियर, लेकिन...

माहेश्वरी के मुताबिक, 'इस नए नियम से पहले के कई ट्राइब्यूनल फैसलों का प्रभाव खत्म हो गया है और टैक्स के क्षेत्र में ज़रूरी स्पष्टता आ गई है. हालांकि, कुछ कानूनी क्षेत्रों में जैसे FEMA (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) या RBI के निर्देशों के तहत अभी भी कुछ धुंधले पहलू बाकी हैं.'

इस फैसले के बाद अब कंपनियों या व्यक्तियों को मामलों को सुलझाने के लिए किए गए भुगतान पर टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलेगा, जिससे टैक्स की योजना बनाते वक्त उन्हें अधिक सतर्क रहना होगा. सरकार ने ये कदम टैक्स सिस्‍टम को अधिक स्पष्ट और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से उठाया है.

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT