ज्यादा सैलरी पाने या प्रोफेशनल ग्रोथ के लिए आए दिन लोग अपनी नौकरी बदलते रहते है. नौकरी बदलने से बेहतर सैलरी पैकेज और करियर में ग्रोथ के नए अवसर मिल सकते हैं और इसके कई कारण भी हो सकते हैं.
ऐसे में अगर आप एक ही वित्त वर्ष में नौकरी बदलते हैं, तो कई एम्प्लॉयर्स से सैलरी स्लिप पाने पर आपको टैक्स से जुड़ी जटिलताओं से बचने के लिए जागरूक रहना बेहद जरूरी है.
आपको परेशानी के बिना अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए कई बातों का ध्यान रखना होगा, जिसमें हर एम्प्लॉयर्स से फॉर्म 16 लेना बेहद जरूरी है.
नई नौकरी जॉइन करने से पहले आपको अपने पुराने एम्प्लॉयर्स से फॉर्म 16 लेकर अपने नए एम्प्लॉयर्स को टैक्स डिडक्शन के बारे में जरूरी बताना चाहिए. इन दिनों टैक्सपेयर्स FY24-25 के टैक्स पेमेंट की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में ITR दाखिल करने से पहले इन 4 बातों को जान लेना बेहद जरूरी है.
अगर आप किसी FY में नौकरी बदलते हैं, तो आपको हर एम्प्लॉयर्स से फॉर्म 16 जरूर लेना चाहिए. फॉर्म के पार्ट A में सोर्स पर टैक्स कटौती के बारे में जानकारी होती है, जबकि पार्ट B में आपकी सैलरी और एडवांस में भुगतान किए गए टैक्स के बारे में डिटेल्ड जानकारी होती है.
कई टैक्सपेयर्स एक गलती आमतौर पर करते हैं, वे एक से ज्यादा बार डिडक्शन क्लेम करने लगते हैं. आपको इससे बचना चाहिए और EPF, PPF, मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर लागू डिडक्शन को सही से कैलकुलेट करें और एक ही बार क्लेम करें.
किसी भी एम्प्लॉयर्स के पास जब आप कम से कम पांच साल तक काम कर लेते हैं और नौकरी छोड़ने लगते हैं तब आप ग्रेच्युटी के हकदार हो जाते हैं. कुछ शर्तों के तहत, 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी पर टैक्स से छूट है. ITR दाखिल करते समय ऐसी किसी भी रसीद को सही ढंग से घोषित करना जरूरी होता है.
फॉर्म 26AS में आपके एम्प्लॉयर्स से काटे गए TDS की जानकारी होती है. इस फॉर्म में महीने की सैलरी और काटे गए टैक्स के बारे में जानकारी होती है. इस फॉर्म से आप आपकी सैलरी से पहले से काटे गए टैक्स को क्लेम कर सकते हैं. इसलिए आपको अपने फॉर्म 26AS की जांच ठीक से करनी चाहिए.