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कैसे काम करता है सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान, म्यूचुअल फंड निवेशकों को इससे क्या फायदा

म्यूचुअल फंड के निवेशक अपने लक्ष्य और रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से डेट फंड, इक्विटी फंड या इनके किसी कॉम्बिनेशन में निवेश करते हैं.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी09:31 AM IST, 04 Sep 2023NDTV Profit हिंदी
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म्यूचुअल फंड निवेशकों के बीच वेल्थ क्रिएशन, यानी बचत और निवेश के जरिए दौलत जुटाने का बेहद लोकप्रिय उपाय बन चुका है. खास तौर पर इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Fund) को इन्वेस्टमेंट का ऐसा तरीका माना जाता है, जिसमें छोटे निवेशक भी शेयर बाजार के ऊंचे रिटर्न का लाभ ले सकते हैं, वो भी सीधे शेयर खरीदने के मुकाबले काफी कम जोखिम में. दूसरी तरफ, डेट फंड (Debt Fund) पर रिटर्न भले ही इक्विटी फंड के मुकाबले कम मिलता हो, लेकिन ये ज़्यादा सुरक्षित होते हैं और एफडी की तुलना में आमतौर पर बेहतर रिटर्न देते हैं. इक्विटी फंड की कैटेगरी में भी कई अलग-अलग स्कीम होती हैं, जिनमें पैसे लगाने पर रिस्क और रिटर्न की संभावनाओं में काफी फर्क हो सकता है. 

क्यों पड़ती है STP की जरूरत

म्यूचुअल फंड के निवेशक अपने लक्ष्य और रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से डेट फंड, इक्विटी फंड या इनके किसी कंबीनेशन में निवेश करते हैं. लेकिन एक ही निवेशक के रिस्क प्रोफाइल और जरूरतों में वक्त के साथ-साथ बदलाव आ सकता है और उसी हिसाब से उसकी निवेश की प्राथमिकता भी बदल सकती है. हो सकता है कोई निवेशक अपनी प्राथमिकता में बदलाव आने के बाद किसी एक स्कीम में रखे अपने पैसे निकालकर उन्हें किसी दूसरी स्कीम में डालना चाहे. सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) निवेशकों की इसी जरूरत को पूरा करते हैं. 

एक से दूसरी स्कीम में फंड ट्रांसफर का बेहतर तरीका

 सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) एक म्यूचुअल फंड स्कीम से दूसरी म्यूचुअल फंड स्कीम में फंड ट्रांसफर करने का बेहतर तरीका है. इसके जरिए इनवेस्टर अपने निवेश को एक से दूसरे फंड में ट्रांसफर करके अपने पोर्टफोलियो को री-बैलेंस या एडजस्ट कर सकता है. मिसाल के तौर पर, हो सकता है कोई इनवेस्टर डेट फंड में लगाए अपने पैसों को बेहतर रिटर्न के लिए इक्विटी फंड में डालना चाहता हो. या फिर रिटायरमेंट करीब आने की वजह से कोई निवेशक इक्विटी फंड में रखे पैसों को ज्यादा सुरक्षित और नियमित रिटर्न देने वाले डेट फंड में ट्रांसफर करना चाहे. ये दोनों ही काम STP की मदद से काफी बेहतर ढंग से किए जा सकते हैं.

कैसे काम करता है सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान

सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान के जरिए एक स्कीम से दूसरी स्कीम में फंड का ट्रांसफर एक बार में नहीं, बल्कि कई किस्तों में किया जाता है. फंड ट्रांसफर की यह प्रॉसेस ऑटोमेटेड होती है, लिहाजा इनवेस्टर को हर बार एक फंड से दूसरे फंड में पैसे डालने नहीं करने पड़ते, बल्कि उसने जो प्लान सेलेक्ट किया होता है, उसके हिसाब से निश्चित समय के बाद तय रकम अपने आप ट्रांसफर हो जाती है. जिस फंड से पैसे निकाले जाते हैं, उसे सोर्स स्कीम (Source Scheme) और जिस फंड में पैसे डाले जाते हैं, उसे टार्गेट स्कीम (Target Scheme/Fund) भी कहते हैं. मान लीजिए आपके डेट फंड में 5 लाख रुपये हैं, जिनमें से 3 लाख रुपये आप बेहतर रिटर्न के लिए इक्विटी फंड में ट्रांसफर करना चाहते हैं, तो STP के जरिए आप ऐसा कई किस्तों में कर सकते हैं.

आपके निर्देश के मुताबिक हर महीने 50 हजार रुपये आपके डेट फंड से आपकी चुनी हुई इक्विटी स्कीम में ट्रांसफर किए जा सकते हैं. इस तरह 3 लाख रुपये की रकम 6 महीने में इक्विटी फंड में इनवेस्ट हो जाएगी. आप चाहें, तो इसे 25-25 हजार रुपये की 12 किस्तों में भी ट्रांसफर कर सकते हैं. इस दौरान डेट फंड में रखी आपकी रकम पर भी सेविंग्स एकाउंट के मुकाबले बेहतर रिटर्न मिलता रहेगा.

STP में मिलता है एवरेजिंग का फायदा

निवेशक चाहें तो एक स्कीम में लगे अपने पैसे निकालकर उन्हें एकमुश्त किसी दूसरी स्कीम में भी डाल सकते हैं. ऐसा करने पर भी उनका फंड एक से दूसरी स्कीम में ट्रांसफर हो जाएगा. लेकिन ऐसे में आपके निवेश पर शेयर बाजार की उथल-पुथल का प्रभाव पड़ने का रिस्क अधिक रहेगा.

मान लीजिए अगर आपको डेट फंड से पैसे निकालकर इक्विटी फंड में डालने हैं और फंड ट्रांसफर करते समय बाजार ज्यादा ऊंचाई पर रहा, तो आपको इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स महंगी मिलेंगी. यानी उतने ही पैसों में आप कम यूनिट्स खरीद पाएंगे. इसका असर आपके रिटर्न पर पड़ेगा.

वहीं, अगर आप इक्विटी फंड से पैसे निकालकर डेट फंड में निवेश करना चाहते हैं और यूनिट्स बेचते समय शेयर बाजार गिर गया, तो आपको रिडेम्पशन के समय नुकसान उठाना पड़ेगा. इतना ही नहीं, अगर आपके पैसे निकालने के बाद बाजार में तेजी आ गई, तो आप उस संभावित मुनाफे से भी वंचित रह जाएंगे.

लेकिन अगर आप एकमुश्त पैसे निकालने और निवेश करने की बजाय यही काम किस्तों में करेंगे, तो आपको एवरेजिंग का फायदा मिलेगा. यानी आप बाजार की तेज गिरावट और तेज उछाल, दोनों के जोखिम को कम कर पाएंगे. ठीक वैसे ही, जैसे सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेश करने पर आपको एवरेजिंग का लाभ मिलता है.  

एक ही AMC की स्कीम के बीच काम करता है STP 

ये बात भी ध्यान में रखनी होगी कि STP के जरिए फंड ट्रांसफर की सुविधा एक ही एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) की अलग-अलग स्कीमों के बीच मिलती है. यानी STP के जरिए आप रिलायंस म्यूचुअल फंड की किन्हीं दो म्यूचुअल फंड स्कीम के बीच तो फंड ट्रांसफर कर सकते हैं, लेकिन रिलायंस म्यूचुअल फंड और आदित्य बिरला सन लाइफ की दो स्कीमों के बीच फंड ट्रांसफर नहीं कर सकते.

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