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बॉम्बे HC का HUL को झटका, टैक्स डिमांड को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार

याचिका में 23 अगस्त 2024 के आदेश को चुनौती दी गई है. ये आदेश इनकम टैक्स के डिप्टी कमिश्नर ने जारी किया था, जिसमें डिमांड की गई थी.
NDTV Profit हिंदीचारू सिंह
NDTV Profit हिंदी08:39 AM IST, 24 Sep 2024NDTV Profit हिंदी
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बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने सोमवार को हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) की इनकम टैक्स विभाग से मिली 962 करोड़ रुपये की डिमांड को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई से इनकार कर दिया है. याचिका में 23 अगस्त 2024 के आदेश को चुनौती दी गई है. ये आदेश इनकम टैक्स (Income Tax) के डिप्टी कमिश्नर ने जारी किया था, जिसमें डिमांड की गई थी.

क्या है पूरा मामला?

हिंदुस्तान यूनिलीवर पर इनकम टैक्स के प्रावधानों का पालन नहीं करने का आरोप है, जिनमें भारत में रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क खरीदने के लिए टैक्स डिडक्शन एट सोर्स को अनिवार्य बनाया गया है. कंपनी ने साल 2020 में GlaxoSmithKline Plc. से 3,000 करोड़ रुपये से अधिक में हेल्थ फूड ड्रिंक ब्रैंड होर्लिक्स के राइट्स खरीदे थे.

इसके बाद अक्टूबर 2022 और जनवरी 2023 के बीच HUL को कई नोटिस जारी किए गए थे. इनमें विदेशी रेमिटेंस किस तरह का है, इसे लेकर विस्तृत सफाई मांगी गई थी. इसके जवाब में हिंदुस्तान यूनिलीवर ने मांगी गई जानकारी दी थी और कंप्लायंस के लिए विस्तार मांगा था.

28 फरवरी 2023 को डिप्टी कमीश्नर ने एक अन्य नोटिस जारी किया था, जिसमें ट्रेडमार्क को लेकर EY से वैल्युएशन रिपोर्ट मांगी गई थी. इसमें सवाल किया गया था कि क्या इसे भारत में मौजूद कैपिटल एसेट माना जाना चाहिए. कंपनी ने इस नोटिस का जवाब दिया था और 22 मार्च 2024 तक सफाई दी थी.

क्यों लगाया गया था टैक्स?

हिंदुस्तान यूनिलीवर की ओर से टैक्स नियमों के पालन की कोशिशों के बावजूद डिप्टी कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स ने निष्कर्ष निकाला था कि कंपनी की भारत से जुड़ी इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स खरीदने के लिए किया गया भुगतान भारत में स्थित एसेट्स खरीदना ही है. इसलिए टैक्स डिमांड लगाई गई.

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट का साल 2016 का एक आदेश है, जो समान मामले से जुड़ा है. ये मामला CUB Pty Ltd. बनाम यूनियन ऑफ इंडिया था.

इस मामले में कोर्ट ने फैसला किया था कि जब कोई कंपनी भारत में इंटेंजिबल एसेट्स (जैसे ट्रे़डमार्क या पेटेंट्स) को इस्तेमाल करने के लिए राइट्स ट्रांसफर करती है तो उससे मिली इनकम पर भारतीय टैक्स नहीं लगते, अगर उन एसेट्स का मालिकाना हक भारत से बाहर बेस्ड है.

इसका मतलब है कि टैक्स के उद्देश्य के लिए भारत में इंटेंजिबल एसेट के इस्तेमाल करने से उससे मिली आय पर भारत में टैक्स नहीं लगता है, अगर उसकी ऑनरशिप दूसरे देश में मौजूद है.

अपील करने के लिए 15 दिन का समय

हालांकि इस मामले में टैक्स अधिकारी ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बारे में खराब प्रतिक्रिया दी. इस वजह से बॉम्बे हाई कोर्ट ने डिप्टी कमिश्नर की आलोचना की और आदेश दिया इन बयानों को आधिकारिक रिकॉर्ड से हटा दिया जाए.

इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने हिंदुस्तान यूनिलीवर को इस टैक्स डिमांड को लेकर संबंधित रेवेन्यू अथॉरिटीज के सामने अपील करने की मंजूरी दे दी. इसके साथ उसने कंपनी को इनकम टैक्स एक्ट के प्रावधानों के तहत संबंधित पेनल्टी कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग करने को भी इजाजत दे दी.

कंपनी के पास अब अपील दायर करने और डिमांड को लागू करने पर रोक लगाने की मांग करने के लिए आदेश मिलने से 15 दिन का समय है.

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