EVM के वोटों और VVPAT के 100% क्रॉस-वेरिफिकेशन की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. दो दिनों तक चली लंबी बहस को सुनने को बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने ADR समेत अन्य वकीलों और चुनाव आयोग की दलीलें सुनीं. याचिकाकर्ताओं ने चुनाव आयोग के 2017 के फैसले को पलटने की अपील की थी.
उस फैसले में VVPAT मशीनों पर पारदर्शी ग्लास को दूसरे ग्लास से बदलने का फैसला दिया गया था जिसके जरिए वोटर स्लिप को केवल सात सेकेंड के लिए ही देख पाता है, जब रोशनी होती है.
कोर्ट में चुनाव आयोग की तरफ से मौजूद वरिष्ठ वकील महिंदर सिंह ने पूरी प्रक्रिया समझाई की EVM कैसे काम करती है. वकील प्रशांत भूषण और वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण याचिकाकर्ताओं की ओर से मौजूद थे.
16 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की आलोचना और बैलेट पेपर की ओर वापस जाने पर असहमति जताई थी. कोर्ट ने कहा था कि भारत में चुनावी प्रक्रिया बेहद बड़ा काम है और सिस्टम को गिराने की कोशिशें नहीं की जाने चाहिए.
याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े ने पक्ष रखा. प्रशांत भूषण ADR की तरफ से खड़े हुए थे. प्रशांत भूषण ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि केरल में मॉक पोलिंग के दौरान BJP को ज्यादा वोट मिल रहे थे, इस पर कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से पूछा कि ये कितना सही है, तो चुनाव आयोग की तरफ से खड़े हुए वकील ने इसे झूठा और बेबुनियाद करार दिया.