अमेरिका की ओर से लगाए गए नए रेसिप्रोकल टैरिफ यानी पारस्परिक/जवाबी शुल्क का भारत पर असर मिला-जुला हो सकता है. वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि सरकार इन टैरिफ के प्रभावों पर नजर बनाए हुए है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के भारतीय इंपोर्ट पर 26% टैरिफ लगाने की घोषणा के कुछ घंटे बाद ये बयान आया. अमेरिका में 5 अप्रैल से 10% बेसलाइन टैरिफ लागू होगा, जबकि 10 अप्रैल से भारत पर अतिरिक्त 16% टैरिफ प्रभावी होगा.
अधिकारी ने कहा, 'मंत्रालय टैरिफ के प्रभाव का विश्लेषण कर रहा है... ये एक तरह से मिक्स्ड इफेक्ट जैसा है और भारत के लिए कोई झटका नहीं है.
उन्होंने कहा कि बातचीत की गुंजाइश बाकी है. ट्रंप प्रशासन ने संकेत दिया है कि अगर कोई देश अमेरिका की ट्रेड चिंताओं का समाधान करता है, तो उसके पक्ष में टैरिफ में संशोधन किया जा सकता है.
वर्तमान में अमेरिकी उत्पादों पर भारत का औसत टैरिफ 12% है, जबकि पहले अमेरिका भारतीय उत्पादों पर सिर्फ 3% शुल्क लगाता था.
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, नए अमेरिकी टैरिफ से भारत के कुछ सेक्टर्स को नुकसान होगा, लेकिन कुछ को फायदा भी हो सकता है.
मिनिस्ट्री के सूत्रों के अनुसार,
भारत को वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों के मुकाबले प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल सकता है, क्योंकि उन पर भी अमेरिका ने टैरिफ लगाया है.
अमेरिका के पास अब भी टैरिफ कम करने का विकल्प है, बशर्ते कोई देश उसके हितों को संतुष्ट करने के लिए बातचीत करे.
भारत इस स्थिति में लाभ में रह सकता है, क्योंकि अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत पहले ही शुरू हो चुकी है.
मंत्रालय दिन में बाद में इस विषय पर डिटेल्ड एनालिसिस जारी कर सकता है. सरकार या मंत्रालय की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान भी सामने आने की उम्मीद है.
भारत को उम्मीद है कि अमेरिका बातचीत के बाद कुछ हद तक राहत दे सकता है. ट्रंप के ऐलान से पहले, केंद्र सरकार ने एक कंट्रोल रूम बनाया था, जिसके जिम्मे ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग का काम था. इसमें मिनिस्ट्री के सीनियर अधिकारी घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे थे.
टैरिफ पर फैसले से पहले भारत ने छूट की मांग की थी. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत के लिए पिछले महीने ही वाशिंगटन DC का दौरा किया था, जिसका उद्देश्य संभावित टैरिफ वृद्धि पर फोकस करना और दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करना था.