प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) को फिर से वित्त मंत्री बनाने को मार्केट एनालिस्ट सरकार की आर्थिक नीति पर निरंतरता के संकेत के तौर पर देख रहे हैं. बता दें मोदी सरकार के बड़े मंत्रालयों में पुराने चेहरों को बरकरार रखा गया है.
हालांकि सीतारमण के सामने गठबंधन सरकार में फिस्कल डिमांड को संतुलित करने की रहेगी. कुछ एनालिस्ट का मानना है कि आगे इंफ्रा पर खर्च सरकार का अहम फोकस बना रहेगा, इस बीच फिस्कल डेफिसिट को पारंपरिक दायरे में बरकरार रखा जाएगा.
यहां पढ़िए कुछ अहम एनालिस्ट्स की मंत्रिमंडल वितरण पर खास टिप्पणियां:
मोदी सरकार ने गठबंधन सरकार में बड़े मंत्रालयों में फेरबदल नहीं किया है, जो सुधारों की निरंतरता को दिखाता है.
शांतनु सेनगुप्ता समेत अन्य इकोनॉमिस्ट का मानना है कि 'हम उम्मीद करते हैं कि नई सरकरा फिस्कल कंसोलिडेशन के रास्ते पर आगे बढ़ती रहेगी, साथ ही रेल नेटवर्क के विस्तार के जरिए इंफ्रा निर्माण पर जोर जारी रहेगा. हम मानते हैं कि इस दौरान थोड़ा झुकाव ग्रामीण खर्च बढ़ाने पर भी रहेगा.'
गोल्डमैन सैक्स ने कहा, 'मोदी की पार्टी ने 30 में से 25 कैबिनेट सीट अपने पास रखीं, जबकि 5 गठबंधन पार्टनर्स के लिए छोड़ दीं.'
नोमुरा होल्डिंग्स में इकोनॉमिस्ट सोनल वर्मा कहती हैं, 'निवेशकों को डर था कि गठबंधन सरकार बनाने के लिए मजबूर होने के बाद BJP को बड़े पैमाने पर समझौते करने होंगे.'
सीतारमण की फिर से नियुक्ति के साथ अब इंफ्रा और फिस्कल कंसोलिडेशन पर फोकस जारी रहना चाहिए.
वर्मा ने कहा, 'आंध्र प्रदेश और बिहार को कुछ वित्तीय मदद मिल सकती है, लेकिन संभावित तौर पर ऐसा फिस्कल कंसोलिडेशन से समझौता किए बिना किया जाएगा.'
फर्म के मैनेजिंग डायरेक्टर देवेन चोकसी कहते हैं, 'इंफ्रा डेवलपमेंट और एक्सपोर्ट पर फोकस बनाए रखने के लिए नई गठबंधन सरकार में भारत की वित्त मंत्री के तौर पर निर्मला सीतारमण की नियुक्ति निश्चित ही एक बुद्धिमानी भरा फैसला है.'
उन्होंने कहा, 'उन्होंने प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित रखकर बहुत अच्छा काम किया है, साथ ही क्या किया जाना चाहिए, इस बात को लेकर भी वे बहुत साफ हैं.'
फर्म की वाइस प्रेसिडेंट श्रेया सोढ़ानी कहती हैं कि टॉप-4 समेत कई मंत्रालयों में मंत्रियों को नहीं बदला गया, हमें नई सरकार से पुरानी नीतियों के बरकरार रखने की उम्मीद है.'
सोढ़ानी ने कहा कि इन्वेस्टर्स का फोकस अब जुलाई में आने वाले बजट की तरफ जाएगा, जहां सोढ़ानी को लगता है कि मार्च में खत्म होने वाले वित्त वर्ष के लिए फिस्कल डेफिसिट टार्गेट को 5.1% पर बरकरार रखा जाएगा.