लोकसभा चुनाव के दौरान एक केंद्रीय मंत्री का ये बयान खूब चर्चा में रहा, जिन्होंने कहा था कि उनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं हैं, इसलिए वो चुनाव नहीं लड़ सकेंगी. देश का फाइनेंस संभालने वाली मंत्री निर्मला सीतारमण खुद 'फाइनेंस' की समस्या से जूझ रही थीं.
उन्होंने भले ही चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन रविवार को राष्ट्रपति भवन में हुए शपथग्रहण समारोह में वो भी मंच पर पहुंची. कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने शपथ ली और इससे साबित हो गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन पर भरोसा जताया है.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रक्षा मंत्री और दूसरे कार्यकाल में वित्त मंत्री रह चुकीं निर्मला सीतारमण को एक बार फिर से वित्त मंत्री बनाया गया है.
हम यहां बात करेंगे उनके राजनीतिक सफर और नई सरकार में उनके सामने खड़ी चुनौतियां और जवाबदेहियों के बारे में.
निर्मला सीतारमण 2006 में BJP में शामिल हुई थीं. इसके बाद उन्हें कई अहम जिम्मेदारियां मिलीं. परिवार और एजुकेशन की बात करें तो 18 अगस्त, 1959 को तमिलनाडु के मदुरई में तमिल ब्राह्मण परिवार में जन्मीं सीतारमण की स्कूली शिक्षा मद्रास और तिरुचिरापल्ली में हुई. 1980 में इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट होने के बाद वो जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) पहुंचीं और फिर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई पूरी की.
निर्मला सीतारमण को JNU ने विशिष्ट पूर्ववर्ती छात्र सम्मान दिया है. राजनीति में प्रवेश करने से पहले सीतारमण ने BBC वर्ल्ड सर्विस के लिए कुछ समय तक काम किया. वहीं, प्राइसवाटरहाउस कूपर्स (PricewaterhouseCoopers) में एक सीनियर मैनेजर के रूप में भी उन्हें नॉमिनेट किया गया था.
सितंबर 1986 को सीतारमण ने राजनीतिक टिप्पणीकार और अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर से शादी की. परकला वांगमयी नाम की दोनों की एक बेटी भी है.
2006 में BJP ज्वाइन करने के 4 साल बाद 2010 में निर्मला सीतारमण को राष्ट्रीय प्रवक्ता (National Spokesperson) बनाया गया था. वर्ष 2014 में सीतारमण को नरेंद्र मोदी कैबिनेट में आंध्र प्रदेश से एक जूनियर मंत्री के रूप में शामिल किया गया और फिर आंध्र प्रदेश से राज्यसभा भेजा गया. बाद में वो रक्षा मंत्री बनाई गईं. वहीं नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया.
31 मई 2019 को उन्होंने कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री और 28वें वित्त मंत्री के रूप में शपथ ली थी. स्वतंत्र भारत के इतिहास में केंद्रीय बजट पेश करने वाली वो दूसरी महिला हैं. उनसे पहले इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए वित्त वर्ष 1970-71 का आम बजट पेश किया था और बजट पेश करने वाली पहली महिला बन गई थीं. तब वित्त मंत्रालय का प्रभार उन्होंने अपने पास ही रखा था.
निर्मला सीतारमण ने 2019 में भारतीय संसद में पहला बजट पेश किया था. उसके बाद से लगातार बजट पेश करती रहीं. केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल प्रभावी रहा है. न्यू टैक्स रिजीम से लेकर बकाए टैक्स में रिबेट मिलने तक, इनकम टैक्स के नियमों और सुविधाओं में कई सारे बदलाव उन्हीं के कार्यकाल में हुए.
कार्पोरेट से जुड़ीं कई तकनीकी खामियां उनके कार्यकाल में दूर की गईं. इज ऑफ डुइंग बिजनेस में भारत की रैंकिंग सुधरी. सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए स्टार्टअप्स को बड़ी राहत मिली.
प्रतिष्ठित फोर्ब्स मैगजीन ने 2020 में 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं में उन्हें शामिल किया था. वो इस लिस्ट में 39वें नंबर पर थीं.
वित्त मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण ने पिछली सरकार में कई उल्लेखनीय काम किए हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इस सरकार में उनके सामने चुनौतियां नहीं होंगी.
देश की आर्थिक ग्रोथ जिस गति में बनी हुई है, उस गति को बनाए रखना वित्त मंत्री के तौर पर उनके सामने बड़ी चुनौती होगी.
इसके साथ ही देश में महंगाई को कंट्रोल में रखना भी चुनौती होगी, कारण कि ये देश के हर व्यक्ति से जुड़ा मुद्दा है.
चूंकि देश की इकोनॉमी कृषि आधारित है, ऐसे में इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करना भी वित्त मंत्री के लिए चुनौती होगी.
रोजगार के लिए निजी सेक्टर की ओर से निवेश को बढ़ावा देना जरूरी होगा.
कैपेक्स और डेवलपमेंट स्कीम्स के लिए संसाधन जुटाना जरूरी होगा और इसके लिए विनिवेश (Disinvestment) और एसेट मॉनेटाइजेशन को पुनर्जीवित करना होगा.
GST दरों को और सुविधाजनक बनाने के लिए उनका री-स्ट्रक्चर और कैपिटल गेन टैक्स सहित लंबित डायरेक्ट टैक्स सुधारों पर काम करना होगा.
SBI के साथ मिलकर F&O संबंंधित चिंताओं का सॉल्यूशन निकालने साथ ही शेयर बाजार की स्थिरता सुनिश्चित करना भी वित्त मंत्रालय के सामने बड़ी चुनौती होगी.
क्रिप्टो एसेट्स के लिए केंद्रीय बैंक RBI के साथ मिल कर रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करना भी वित्त मंत्रालय के सामने एक बड़ी जवाबदेही है.