नरेंद्र मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं. अब सबकी नजरें मंत्रिमंडल में पोर्टफोलियो वितरण के बाद आने वाले दिनों में सरकार के एजेंडे पर हैं. इनमें भी आर्थिक एजेंडा टॉप पर है.
हाल के दिनों में भारत ने आर्थिक मोर्चे पर अच्छा प्रदर्शन किया है. बीते साल (FY2023-24) में भारत की ग्रोथ रेट 8.2% रही, जो 7.6% के अनुमान से कहीं बेहतर है. साथ ही भारत दुनिया की तमाम बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. यहां हम जानेंगे कि आर्थिक एजेंडे में अलग-अलग क्षेत्रों की क्या डिमांड रह सकती हैं और सरकार इनमें भविष्य पर क्या एक्शन प्लान अपना सकती है.
हाईवे कंस्ट्रक्शन की रफ्तार बढ़ाई जाए, जो अब भी 2020-21 के सालाना स्तर से कम है. ये सेक्टर मोदी सरकार का प्रियोरिटी सेक्टर भी है. माना जा रहा है कि अगले कुछ सालों में इंफ्रा में सड़कों पर जबरदस्त निवेश होगा. जरूरत है कि मौजूदा और आने वाले प्रोजेक्ट्स में लगने वाले समय को कम किया जाए. साथ ही सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया जाए.
सिविल एविएशन इंडस्ट्री की लंबे वक्त से ATF को GST के दायरे में लाने की मांग है, इससे पूरे भारत में कीमतों में भी एकरूपता आ पाएगी.
रेलवे में अब भी बड़े इंफ्रा और सुरक्षा सुधारों की जरूरत और उम्मीद है, ताकि ज्यादा संख्या में लोगों को कंफर्म टिकट मिल पाएं और वेटिंग लिस्ट कम हो. इसके साथ-साथ नई पटरियां बिछाने यानी ट्रैक्स लगाने की बड़ी जरूरत है. इससे गाड़ियों की संख्या बढ़ेगी, ट्रैक्स का घिसाव कम होगा, जिससे सफर ज्यादा सुरक्षित हो पाएगा, साथ ही हाई स्पीड ट्रेन भी ज्यादा रूट्स पर चलाई जा सकेंगी, जो पुराने ट्रैक पर चलाना मुश्किल हैं.
PLI स्कीम्स को बरकरार रखा जाए, साथ ही विदेशी निवेश को भी बढ़ावा दिया जाए.
दूसरे देशों के साथ व्यापार को बढ़ाने के लिए पाइपलाइन में चल रहे FTAs को पूरा किया जाए और FTAs के लिए नए क्षेत्र खोजे जाएं.
एक्सपोर्ट्स को बढ़ावा दिया जाए, साथ ही नए क्षेत्रों की खोज की जाए, ताकि देश का फॉरेक्स बैलेंस बेहतर बना रहे.
नई इलेक्ट्रिक पॉलिसी पर तेजी से काम किया जाए, ताकि टेस्ला जैसी विदेशी कंपनियों के भारत में निवेश का रास्ता साफ किया जा सके.
हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के लिए बेहतर इंफ्रा निर्माण की जरूरत. टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए टूरिस्ट-फ्रेंडली सुधार की भी जरूरत है. इसमें क्वालिटी टैक्सी ट्रांसपोर्ट और होटल स्टे शामिल हैं.
इस क्षेत्र में सरकार की कोशिश मौजूदा वृद्धि दर को बरकरार रखने के साथ-साथ महंगाई दर को काबू में रखने की होगी.
सरकार को कोशिश होगी कि प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को भी बढ़ावा दिया जाए.
दूसरी तरफ सरकार से GST दरों में भी सुधार की उम्मीद रहेगी. साथ ही कैपिटल गेन्स, ATF समेत अन्य चीजों के साथ-साथ टैक्स पेयर्स को राहत जैसे टैक्स रिफॉर्म्स की भी उम्मीद है.
भारत की अर्थव्यवस्था ने तो अपनी तरक्की तो तेज की है, लेकिन इससे देश में बेरोजगारी पर बहुत लगाम लगती नजर नहीं आ रही है. इस समस्या को कम करने के लिए सरकार को अलग-अलग मोर्चों पर एकसाथ काम करना होगा.
जैसे टैक्स रिफॉर्म्स करने होंगे, ताकि प्राइवेट सेक्टर को मदद मिले, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को बढ़ावा देना होगा, साथ ही कौशल विकास, बेहतर शैक्षणिक सुधार जैसे काम करने होंगे, PM-VIKAS को तेजी से लागू करना होगा, जिनसे बेहतर कौशल के साथ-साथ नौकरियों की संख्या भी बढ़ेगी.
इस बीच सरकार के सामने राज्यों के साथ परामर्श कर लेबर कोड को लागू करने का भी सवाल है. ज्यादातर राज्य वेज कोड को लागू करने के लिए नियम बना चुके हैं.
नए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट और प्रस्तावित डिजिटल इंडिया एक्ट अगली जेनरेशन की टेक-पावर्ड ग्रोथ की तरफ बड़ा कदम हैं. वैश्विक पैमानों के साथ कदमताल करते हुए सरकार भारत में मॉडर्न कानूनों का सेट तैयार करने की कोशिश में है, ताकि AI, ब्लॉकचैन और दूसरी चीजों को बेहतर ढंग से मैनेज किया जा सके.
सरकार को यहां नागरिकों और एंटरप्रेन्योर्स की तरफ से जेनरेटिव AI टूल्स, कॉपीराइट, डेटा ट्रांसफर, डेटा लोकलाइजेशन, यूजर्स कंसेंट और चिल्ड्रंस डेटा जैसे मुद्दों पर जताई चिंताओं का भी ध्यान रखना है.