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PM Modi NDTV Exclusive: 25 साल के गवर्नेंस की नीति लाएगी सरकार, 125 दिन तक का एजेंडा तैयार: PM मोदी

PM को रिकॉर्ड ऐतिहासिक जीत का भरोसा. उन्होंने कहा कि 4 जून के बाद शेयर बाजार भाग जाएंगे. PM ने बड़े लक्ष्यों को हासिल करने के लिए '4-S' यानी Scope, Scale, Speed और Skill का मंत्र भी दिया.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी08:00 PM IST, 19 May 2024NDTV Profit हिंदी
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लगातार 2 बार ऐतिहासिक जनादेश हासिल करने के बाद अब मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में वापसी का दम भर रही है और वो भी एक पर्वत से दिखने वाले लक्ष्य को सामने रखकर. मोदी सरकार का अबकी बार 400 पार का ये संकल्प ऐसे वक्त में है, जब विपक्ष न तो 2014 के चुनावों जैसा नदारद है और न ही 2019 जैसा बिखरा हुआ, क्योंकि आज INDI अलायंस का मोर्चा सामने है.

ऐसे में BJP के लिए ये चुनाव पिछले दो चुनावों से कैसे अलग है और अगर PM मोदी तीसरी बार भी देश की बागडोर संभालते हैं तो उनका विजन क्या है. कैसे वो भारत को विकसित देश बनाएंगे, ग्लोबल मैप पर भारत की साख को और मजबूत कैसे बनाएंगे.

राजनीति से लेकर आर्थिक, इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर आम आदमी के मुद्दों पर चुनावों के बीच में और नतीजों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ NDTV के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया की अब तक की सबसे बेबाक और संजीदा बातचीत.

ऐतिहासिक जीत की उम्मीद

पहले चार चरणों के चुनाव में वोटिंग कुछ कम रही तो विरोधियों और कुछ राजनीतिक पंडितों ने BJP की ऐतिहासिक जीत के दावों पर सवाल खड़े कर दिए. मगर प्रधानमंत्री ने इन सवालों को सिरे से खारिज कर दिया.

BJP का दावा है कि इस चुनाव में उसका गठबंधन यानि NDA 400 के पार सीटें जीतेगा. पार्टी को उत्तर प्रदेश जैसे परंपरागत गढ़ पर पूरा भरोसा है, साथ ही इस बार BJP ने पश्चिम बंगाल के साथ ओडिसा, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और केरल जैसे राज्यों में भी बहुत जोर लगाया है. ये ऐसे राज्य हैं जहां पार्टी का प्रदर्शन पिछले चुनावों में कुछ खास नहीं था, मगर इस बार इन राज्यों से भी काफी उम्मीदें हैं.

उन्होंने NDTV से खास बातचीत में कहा कि "लोगों को लगता है कि केंद्र में ऐसी सरकार है जिसे उनके दुखों की चिंता है. हमारे सपनों का उसे अंदाज है. ऐसी सरकार है जो हमारे सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए प्रयास करती है. लोगों में सरकार के प्रति भरोसा है. इसलिए मुझे लगता है कि इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक बड़ी जीत होगी."

4 जून के बाद शेयर बाजार भाग जाएगा

प्रधानमंत्री ने देश के आंत्रप्रेन्योर्स और शेयर बाजार की आशंकाओं को भी खारिज कर दिया. दरअसल पिछले दिनों बाजार में बड़ी गिरावट आई. विदेशी निवेशकों ने सिर्फ मई में ₹28,242 करोड़ रुपये की बिकवाली की है. इतनी बड़ी बिकवाली का असर शेयर बाजार पर पड़ा और ये टूट गया.

शेयर बाजार की इस गिरावट पर उन्होंने कहा कि जिन्हें लगता है कि सरकार कम सीटों से जीतेगी, उन्हें हैरानी होगी. उन्होंने कहा कि "सरकार ने बहुत सारे इकोनॉमिक और प्रो-आंत्रप्रेन्योरशिप रिफॉर्म्स किए हैं. हमने सेंसेक्स के 25,000 से यात्रा शुरू की थी अब 75,000 पर पहुंचे हैं. जितने ज्यादा आम नागरिक शेयर बाजार में आते हैं, इकोनॉमी को उतना बड़ा बल मिलता है. मैं चाहता हूं कि हर नागरिक में जोखिम लेने की क्षमता बढ़नी चाहिए. 4 जून को जिस दिन चुनाव का नतीजा आएगा, आप इस हफ्ते भर में देखना, भारत का शेयर मार्केट कहां जाता है, उनके प्रोग्रामिंग वाले सारे थक जाएंगे."

प्रधानमंत्री ने सरकारी कंपनियों पर भी खुलकर बात की. PSUs के शेयरों में पैसे लगाकर लोग मालामाल हो गए हैं. कई सरकारी कंपनियों के शेयर पिछले दो साल में 10 गुने से ज्यादा बढ़ गए हैं. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार ने PSUs का रिफॉर्म किया है. उनके शब्दों में "PSUs का पहले मतलब ही होता था गिरना, अब स्टॉक मार्केट में इनकी वैल्यू कई गुना बढ़ रही है.HAL को ही देख लीजिए,जिसे लेकर इन लोगों ने जुलूस निकाला, मजदूरों को भड़काने की कोशिश की, आज HAL ने चौथी तिमाही में रिकॉर्ड प्रॉफिट दर्ज किया है. मैं मानता हूं कि ये एक बहुत बड़ी प्रगति है."

वित्तीय घाटा नहीं बढ़ेगा

प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया कि उनकी गारंटियों का मतलब ये नहीं कि देश का वित्तीय घाटा बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा सरकार हर काम अपनी आमदनी के हिसाब से ही करेगी. उन्होंने कहा कि वो फाइनेंशियल डिसिप्लिन के बहुत बड़े समर्थक हैं. बिना वित्तीय अनुशासन के कोई देश सही से चल नहीं सकता. उन्होंने कहा कि "अभी आपने देखा होगा, चुनाव के पहले मेरा बजट आया, ये चुनाव के साल का बजट है. आप कुछ पुराने आर्टिकल देखें, जिनमें लिखा होता था कि मोदी रेवड़ियां बांटेगा, चुनाव जीतेगा. जब बजट आ गया, तो लोगों को आश्चर्य हुआ कि ये तो चुनावी बजट है ही नहीं."

ग्लोबली कंपटीटिव बनने की कोशिश

प्रधानमंत्री ने इस इंटरव्यू में कुछ बड़ी दिलचस्प बातें बताईं. इसमें एक महत्वपूर्ण जानकारी ये है कि सरकार हर काम को, हर कानून को, हर रेगुलेशन को ग्लोबल स्टैंडर्ड के हिसाब से बनाने की कोशिश करती है. सोचने के इस तरीके का असर आपको सरकार के सभी कामों में दिखेगा. सरकार जो सड़कें, हवाईअड्डे बना रही है या जो नए अस्पताल और यूनिवर्सिटी खोल रही है या देश में कोई रेगुलेशन लागू कर रही है वो सभी दुनिया के किसी विकसित देश के स्टैंडर्ड से कम नहीं होते हैं.

"मेरे कैबिनेट में एक महत्वपूर्ण परंपरा चलती है. पार्लियामेंट का कोई बिल आता है तो उसमें ग्लोबल स्टैंडर्ड का एक नोट भी साथ में आता है. दुनिया में उस फील्ड में कौन सा देश सबसे अच्छा कर रहा है. उसके कानून और नियम क्या हैं, हमें वो अचीव करना है तो हमें कैसे काम करना चाहिए, यानि अब मेरे पास हर कैबिनेट नोट ग्लोबल स्टैंडर्ड से मैच करके लाना होगा है."

ग्लोबल स्टैंडर्ड के फायदे को ऐसे समझें

सरकार के काम करने के इस अंदाज को आप यूं समझ सकते हैं कि जब गाड़ियों के एमिशन का पैमाना तय करना था तो सरकार ने भारत-4 से सीधे भारत-6 को लागू करने का नियम बनाया. दरअसल जब देश में भारत-4 के नियम लागू थे तब यूरोप में यूरो-5 लागू हो चुका था और देश में जब भारत-5 लागू होता तो यूरोप में यूरो-6 लागू हो चुका होता, ऐसे में सरकार ने भारत-5 की जगह सीधे भारत-6 को लागू करने का फैसला किया. इससे फायदा ये हुआ कि देश में प्रदूषण के बढ़ने की रफ्तार भी कुछ कम हो गई. व्यापारिक स्तर पर फायदा ये हुआ कि पहले हमारे देश में बनी गाड़ियां अफ्रीका और दूसरे विकासशील देशों में एक्सपोर्ट होती थी, अब गाड़ियों का एक्सपोर्ट यूरोप और दूसरे विकसित देशों में भी होने लगा है.

25 साल के गवर्नेंस की नीति लाएगी सरकार

2047 को ध्यान में रखते हुए मैंने लाखों लोगों से बात की, एक महामंथन किया. फिर हमने 25 साल, 5 साल, 1 साल और 100 दिनों को लेकर खाका तैयार किया है

प्रधानमंत्री देश को 2047 तक विकसित देश बनाना चाहते हैं. उनकी सारी योजनाएं इसी सोच से संचालित होती हैं. फिर चाहे इंफ्रास्ट्रक्चर के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट हों, बुलेट ट्रेन हो या पॉलिसी से जुड़ा कोई फैसला. लक्ष्य लंबी अवधि का ही होता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि वो टुकड़ों में नहीं सोचते हैं, उनका नजरिया कॉम्प्रिहेंसिव और इंटीग्रेटेड होता है. "जब हम आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहे थे, तो मेरे मन में 100वीं सालगिरह चल रही थी. मैंने सभी संस्थाओं से पूछा कि देश जब 100 साल का होगा तब आप क्या करोगे. 2047 को ध्यान में रखते हुए मैंने लाखों लोगों से बात की, एक महामंथन किया. फिर हमने 25 साल, 5 साल, 1 साल और 125 दिनों को लेकर खाका तैयार किया है"

बड़े लक्ष्यों को हासिल करने के लिए '4-S' का मंत्र

बड़ी सफलताएं हासिल करने कि लिए मजबूत संकल्प की जरूरत होती है. हमारा देश कैसे बड़े लक्ष्यों को हासिल कर सकता है, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने '4-S' का एक मंत्र दिया है. NDTV के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया के साथ एक एक्सक्लूसिव बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन 4-S को अपने अंदाज में परिभाषित किया और उसकी महत्ता को भी समझाया.

PM मोदी ने कहा कि "S का पहला मतलब है scope, आपका scope (लक्ष्य) बहुत बड़ा होना चाहिए और ये कई टुकड़ों में नहीं होना चाहिए, दूसरी चीज है scale (पैमाना), ये भी बड़ा होना चाहिए और तीसरी चीज है speed (गति), जो कि इन दोनों के साथ तालमेल में होनी चाहिए."

इंफ्रास्ट्र्क्चर पर खास जोर

प्रधानमंत्री ने पिछले 10 सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर को बहुत महत्व दिया है. यही कारण हैं कि मुंबई में ट्रांसहार्बर लिंक जिसे हम अटल सेतू के नाम से जानते हैं, समय पर तैयार हो पाया. देश का कोई ऐसा कोना नहीं होगा जहां बड़े-बड़े इंफ्रा प्रोजेक्ट्स पर काम न हो रहा हो.

प्रधानमंत्री ने कहा कि "मैंने देखा कि सालों तक इंफ्रस्ट्रक्चर या तो कागज पर है या तो वहां एक पत्थर लगा हुआ है, शिलान्यास हुआ है. जब मैं आया तो प्रगति नाम का मेरा एक रेगुलर प्रोग्राम था. मैं रेगुलर इसे रिव्यू करने लगा, और इसे गति देने लगा."

प्रधानमंत्री के लिए इंफ्रास्ट्र्क्चर की परिभाषा बहुत बड़ी है. उन्होंने कहा कि "एक प्रकार से इंफ्रास्ट्रक्चर में भी, फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर, सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर. अब इंफ्रास्ट्रक्चर के तीन स्टेप में भी एक और बात है मेरे मन में, एक तो स्कोप बहुत बड़ा होना चाहिए, टुकड़ों में नहीं होना चाहिए. दूसरा स्केल बहुत बड़ा होना चाहिए और स्पीड भी उसके अनुसार होना चाहिए."

डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और इकोनॉमी पर फोकस

प्रधानमंत्री बहुत लंबे वक्त से ये मानते आए हैं कि आने वाला वक्त डिजिटल इकोनॉमी का होगा. ई-कॉमर्स, फिनटेक से लेकर सोशल मीडिया, सबकुछ डिजिटल. इस डिजिटल क्रांति के चलते ही डायरेक्टर बेनिफिट ट्रांसफर लागू हो पाया. अब लोगों को सब्सिडी का पूरा फायदा मिलता है. सस्ते डेटा ने इस डिजिटल इकोनॉमी को और मजबूती दी. प्रधानमंत्री मानते हैं कि डिजिटल इकोनॉमी युवाओं को रोजगार देने का सबसे बड़ा सेक्टर बनकर उभरेगा.

प्रधानमंत्री ने कहा कि "आप जो डिजिटल क्रांति भारत में देख रहे हैं, शायद मैं समझता हूं कि गरीब को इम्पावरमेंट का एक सबसे बड़ा साधन ये डिजिटल डिवॉल्यूशन है. असमानता कम करने में डिजिटल डिवॉल्यूशन बहुत बड़ी मदद करेगा. मैं समझता हूं कि AI, दुनिया ने ये मानना शुरू किया है कि AI में भारत पूरी दुनिया को लीड करेगा."

उन्होंने कहा कि "आज ऑनलाइन सब चीजों का एक्सेस हैं. कॉमन सर्विस सेंटर करीब पांच लाख से ज्यादा है. यानी हर गांव में और बड़े गांव में 2-3 कॉमन सर्विस सेंटर हैं. अगर किसी को रेलवे रिजर्वेशन कराना है तो वो अपने गांव में ही कॉमन सर्विस सेंटर से करा लेता है. ये सिटिजन सेंट्रिक व्यवस्थाएं हुईं हैं, इसका बहुत बड़ा लाभ है."

खानदानी पंचायत है इंडिया एलायंस

प्रधानमंत्री ने इंडिया एलायंस की भी कड़ी आलोचना की. दूसरे शब्दों में उन्होंने इसे खानदानी पंचायत बताया. इंडिया एलायंस में शामिल SP प्रमुख अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव के बेटे हैं. RJD प्रमुख तेजस्वी यादव, लालू यादव के बेटे हैं, DMK प्रमुख स्टालिन, कुरुणानिधी के बेटे हैं. इंडिया एलायंस में ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे. यही नहीं इन राजनीति परिवारों के कई-कई सदस्य अपनी-अपनी पार्टियों से सांसद हैं और इस बार भी चुनाव के मैदान में हैं.

प्रधानमंत्री ने इन राजनीतिक परिवारों के इतिहास और वर्तमान को देखते हुए ही इंडिया एलायंस को राजनीतिक परिवारों का गठबंधन बताया है. उन्होंने कहा कि "इन सभी (इंडिया एलायंस के नेताओं) को आप बैठाओगे तो लगेगा कि ये उसका बेटा, ये इसका बेटा तो ये उसका बेटा है. ये इसका बाप तो ये उसका बाप है. ऐसा साफ लगता है कि वे अपने बच्चों को राजनीति में सेट करने के लिए इंडिया एलायंस को जॉइन करने की कोशिश कर रहे हैं. देश के बच्चों का भविष्य नजर ही नहीं आता उसमें."

NDA का पलड़ा भारी है

प्रधानमंत्री ने कहा कि हर मामले में इंडिया एलायंस के मुकाबले NDA का पलड़ा भारी है. उनके कहने का मतलब ये है कि इंडिया एलायंस ने प्रधानमंत्री पद के लिए किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. वहां हर कोई प्रधानमंत्री बनना चाहता है, फिर चाहे राहुल गांधी हों या ममता बनर्जी, हर किसी की महत्वाकांक्षा प्रधानमंत्री बनने की है.

प्रधानमंत्री ने इंडिया एलायंस के नेताओं की अनुभवहीनता और सक्षमता पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि "इतना बड़ा देश जिसको देने जा रहे हो उसे जानते हो क्या, उसके अनुभव और क्षमता का पता है क्या. इसे देश की जनता देखती है. कोई पार्टी अपने प्रधानमंत्री के उम्मीदवार का नाम बताए या न बताए, जनता इसे तौलती है और हमारा पलड़ा बहुत भारी है. इसमें मुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं है, हमारा पलड़ा भारी है, ये हर कोई कहेगा."

कृषि के लिए इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन जरूरी

प्रधानमंत्री एग्रीकल्चर को लेकर बहुत ही आधुनिक सोच है. उनका मानना है कि देश की कृषि पर बहुत बोझ है और उसे कम करने पर काम होना चाहिए. लोगों को किसानी से निकालकर उद्योग-धंधों में लगाना होगा.

उन्होंने बाबा साहब अंबेडकर के विचारों का सहारा लेते हुए कहा कि "देश का दलित, आदिवासी जमीन का मालिक है ही नहीं. वो एग्रीकल्चर में कुछ नहीं कर सकता है. उसके लिए इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन का हिस्सा बनना बहुत जरूरी है. एग्रीकल्चर को वायबल, मजबूत बनाने के लिए भी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट जरूरी है. हम एग्रीकल्चर का वैल्यू एडिशन करने वाली इंडस्ट्री जितनी ज्यादा बढ़ाते हैं, तो सीधा-सीधा फायदा है. नहीं तो हम डायवर्सिफिकेशन की तरफ ले जाएं तो उसका फायदा है."

इंडस्ट्रियल सेक्टर में ही रोजगार देना होगा

प्रधानमंत्री का मानना है कि एग्रीकल्चर से लोगों को निकाल इंडस्ट्रियल सेक्टर में रोजगार देना होगा. और इसके लिए जरूरी है कि देश में हर तरह के उद्योग लगाए जाएं. उन्होंने सेमीकंडक्टर पॉलिसी, डिफेंस फॉलिसी का उदारहण दिया. उन्होंने कहा कि आज एक लाख करोड़ रुपये का डिफेंस प्रोडक्शन देश में होता है. 21 हजार करोड़ रुपये के डिफेंस गुड्स एक्सपोर्ट किया गया है.

उन्होंने कहा कि "आज भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में बहुत बड़ी संभावनाएं हैं, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए बहुत संभावनाएं हैं. हमने स्पेस को ओपन-अप कर दिया. हम मोबाइल फोन इंपोर्टर थे, आज हम मोबाइल फोन के दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मैन्युफैक्चरर हो गए हैं. गुजरात में जो मेरा डायमंड का अनुभव रहा, आज दुनिया में 10 में से 8 डायमंड वो होते हैं, जिस पर किसी न किसी हिंदुस्तानी का हाथ लगा होता है. अब उसका अगला चरण ग्रीन डायमंड का यानि लैब ग्रोन डायमंड का है."

बेरोजगारी आधी हुई, 7 साल में 6 करोड़ नई नौकरियां मिलीं

सरकार को अक्सर रोजगार के मुद्दे पर घेरा जाता है. मगर प्रधानमंत्री इससे सहमत नहीं हैं. उनका मानना है कि देश में रोजगार की कमी नहीं है. उन्होंने कहा कि देश में "इतना सारा काम मानव बल के बिना संभव नहीं है, मतलब रोजगार के अवसर बनते हैं. जैसे कि स्टार्टअप- 2014 के पहले कुछ सैकड़ों स्टार्टअप थे, आज सवाल लाख स्टार्टअप हैं. आज 100 यूनिकॉर्न हैं, यानी 8 लाख करोड़ रुपये का कारोबार."

"हमारे देश में करीब 70 एयरपोर्ट थे. आज करीब 150 एयरपोर्ट हो गए हैं. 1,000 नए हवाई जहाज का ऑर्डर है. कितने प्रकार के लोगों को रोजगार मिलेगा. PLFS का डेटा कहता है कि बेरोजगारी आधी हो गई है. EPFO डेटा भी रिकॉर्डेड होता है. 7 साल में 6 करोड़ से ज्यादा नए अवसर रजिस्टर्ड हुए हैं."

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