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PM Modi NDTV Exclusive: ग्लोबली कंपटीटिव बनने की कोशिश; सरकार हर काम, हर रेगुलेशन ग्लोबल स्टैंडर्ड के हिसाब से बनाती है: PM मोदी

ग्लोबल स्टैंडर्ड ही वो पैमाना है जिससे हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर और इंडस्ट्री दुनिया के कंपटीटिव बन सकती है. इसका असर धीरे-धीरे हमारे एक्सपोर्ट्स पर दिखने लगा है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी01:58 PM IST, 19 May 2024NDTV Profit हिंदी
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लगातार 2 बार ऐतिहासिक जनादेश हासिल करने के बाद अब मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में वापसी का दम भर रही है और वो भी एक पर्वत से दिखने वाले लक्ष्य को सामने रखकर. मोदी सरकार का अबकी बार 400 पार का ये संकल्प ऐसे वक्त में है, जब विपक्ष न तो 2014 के चुनावों जैसा नदारद है और न ही 2019 जैसा बिखरा हुआ, क्योंकि आज INDI अलायंस का मोर्चा सामने है.

ऐसे में BJP के लिए ये चुनाव पिछले दो चुनावों से कैसे अलग है और अगर PM मोदी तीसरी बार भी देश की बागडोर संभालते हैं तो उनका विजन क्या है. कैसे वो भारत को विकसित देश बनाएंगे, ग्लोबल मैप पर भारत की साख को और मजबूत कैसे बनाएंगे.

राजनीति से लेकर आर्थिक, इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर आम आदमी के मुद्दों पर चुनावों के बीच में और नतीजों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ NDTV के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया की अब तक की सबसे बेबाक और संजीदा बातचीत.

प्रधानमंत्री ने इस इंटरव्यू में कुछ बड़ी दिलचस्प बातें बताईं. इसमें एक महत्वपूर्ण जानकारी ये है कि सरकार हर काम को, हर कानून को, हर रेगुलेशन को ग्लोबल स्टैंडर्ड के हिसाब से बनाने की कोशिश करती है. सोचने के इस तरीके का असर आपको सरकार के सभी कामों में दिखेगा. सरकार जो सड़कें, हवाईअड्डे बना रही है या जो नए अस्पताल और यूनिवर्सिटी खोल रही है या देश में कोई रेगुलेशन लागू कर रही है वो सभी दुनिया के किसी विकसित देश के स्टैंडर्ड से कम नहीं होते हैं.

"मेरे कैबिनेट में एक महत्वपूर्ण परंपरा चलती है. पार्लियामेंट का कोई बिल आता है तो उसमें ग्लोबल स्टैंडर्ड का एक नोट भी साथ में आता है. दुनिया में उस फील्ड में कौन सा देश सबसे अच्छा कर रहा है. उसके कानून और नियम क्या हैं, हमें वो अचीव करना है तो हमें कैसे काम करना चाहिए, यानि अब मेरे पास हर कैबिनेट नोट ग्लोबल स्टैंडर्ड से मैच करके लाना होगा है. उसके कारण ब्यूरोक्रेसी की आदत हो गई है कि बातें करने से कुछ नहीं बनता कि हम दुनिया में सबसे अच्छे हैं. दुनिया में सबसे बढ़िया क्या है और हम उससे कितने दूर हैं, वहां जाने का रास्ता क्या है."
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

ग्लोबल स्टैंडर्ड के फायदे को ऐसे समझें

सरकार के काम करने के इस अंदाज को आप यूं समझ सकते हैं कि जब गाड़ियों के एमिशन का पैमाना तय करना था तो सरकार ने भारत-4 से सीधे भारत-6 को लागू करने का नियम बनाया. दरअसल जब देश में भारत-4 के नियम लागू थे तब यूरोप में यूरो-5 लागू हो चुका था और देश में जब भारत-5 लागू होता तो यूरोप में यूरो-6 लागू हो चुका होता, ऐसे में सरकार ने भारत-5 की जगह सीधे भारत-6 को लागू करने का फैसला किया. इससे फायदा ये हुआ कि देश में प्रदूषण के बढ़ने की रफ्तार भी कुछ कम हो गई. व्यापारिक स्तर पर फायदा ये हुआ कि पहले हमारे देश में बनी गाड़ियां अफ्रीका और दूसरे विकासशील देशों में एक्सपोर्ट होती थी, अब गाड़ियों का एक्सपोर्ट यूरोप और दूसरे विकसित देशों में भी होने लगा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ये इंटरव्यू करीब 1 घंटे का है, जो कि 19 मई, रविवार रात 8 बजे NDTV नेटवर्क के सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, टी वी चैनल्स पर प्रसारित होगा.

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