लगातार 2 बार ऐतिहासिक जनादेश हासिल करने के बाद अब मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में वापसी का दम भर रही है और वो भी एक पर्वत से दिखने वाले लक्ष्य को सामने रखकर. मोदी सरकार का अबकी बार 400 पार का ये संकल्प ऐसे वक्त में है, जब विपक्ष न तो 2014 के चुनावों जैसा नदारद है और न ही 2019 जैसा बिखरा हुआ, क्योंकि आज INDI अलायंस का मोर्चा सामने है.
ऐसे में BJP के लिए ये चुनाव पिछले दो चुनावों से कैसे अलग है और अगर PM मोदी तीसरी बार भी देश की बागडोर संभालते हैं तो उनका विजन क्या है. कैसे वो भारत को विकसित देश बनाएंगे, ग्लोबल मैप पर भारत की साख को और मजबूत कैसे बनाएंगे.
राजनीति से लेकर आर्थिक, इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर आम आदमी के मुद्दों पर चुनावों के बीच में और नतीजों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ NDTV के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया की अब तक की सबसे बेबाक और संजीदा बातचीत.
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर मामले में इंडिया एलायंस के मुकाबले NDA का पलड़ा भारी है. उनके कहने का मतलब ये है कि इंडिया एलायंस ने प्रधानमंत्री पद के लिए किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. वहां हर कोई प्रधानमंत्री बनना चाहता है, फिर चाहे राहुल गांधी हों या ममता बनर्जी, हर किसी की महत्वाकांक्षा प्रधानमंत्री बनने की है.
प्रधानमंत्री ने इंडिया एलायंस के नेताओं की अनुभवहीनता और सक्षमता पर भी सवाल उठाए.
"इतना बड़ा देश जिसको देने जा रहे हो उसे जानते हो क्या, उसके अनुभव और क्षमता का पता है क्या. इसे देश की जनता देखती है. कोई पार्टी अपने प्रधानमंत्री के उम्मीदवार का नाम बताए या न बताए, जनता इसे तौलती है और हमारा पलड़ा बहुत भारी है. इसमें मुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं है, हमारा पलड़ा भारी है, ये हर कोई कहेगा."नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
पहले चार चरणों के चुनाव में वोटिंग कुछ कम रही तो विरोधियों और कुछ राजनीतिक पंडितों ने BJP की ऐतिहासिक जीत के दावों पर सवाल खड़े कर दिए. मगर प्रधानमंत्री ने इन सवालों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि लोगों में सरकार के प्रति भरोसा है. इसलिए उन्हें लगता है कि इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक बड़ी जीत होगी.
BJP का दावा है कि इस चुनाव में उसका गठबंधन यानि NDA 400 के पार सीटें जीतेगा. पार्टी को उत्तर प्रदेश जैसे परंपरागत गढ़ पर पूरा भरोसा है, साथ ही इस बार BJP ने पश्चिम बंगाल के साथ ओडिसा, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और केरल जैसे राज्यों में भी बहुत जोर लगाया है. ये ऐसे राज्य हैं जहां पार्टी का प्रदर्शन पिछले चुनावों में कुछ खास नहीं था, मगर इस बार इन राज्यों से भी काफी उम्मीदें हैं.