'अगर देश से गरीबी को हटाना है, तो गरीब को सशक्त करना जरूरी है. उन्हें अवसर देना होगा. गरीब, गरीबी से बाहर निकलना चाहता है, उसको हाथ पकड़ने वाला कोई चाहिए.'
ये शब्द प्रधानमंत्री ने NDTV के साथ खास इंटरव्यू में बोले.
राजनीति से आर्थिक क्षेत्र, इंफ्रास्ट्रक्चर से आम आदमी के मुद्दों तक, चुनावों के बीच में और नतीजों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ NDTV के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया की अब तक की सबसे बेबाक और संजीदा बातचीत. इस बातचीत में प्रधानमंत्री ने रोजगार और गरीबी जैसे मुद्दों पर भी विस्तार से बातचीत की. यहां हम इसी विषय पर बातचीत को पेश कर रहे हैं.
जब संजय पुगलिया ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि फिस्कल स्पेस होने के बावजूद सरकार ने खर्च नहीं बढ़ाया, तो प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैंने विकास के लिए खर्च करना तय किया. मुझे गरीबी से इस देश को मुक्त करना है. तो मुझे गरीब को एम्पावर करना होगा. गरीब को अवसर देना होगा. गरीब, गरीबी में रहना नहीं चाहता है, वो बाहर निकलना चाहता है. उसको हाथ पकड़ने वाला कोई चाहिए.'
PM ने कहा, 'जब UPA सरकार थी, तो उन्होंने फिस्कल डेफिसिट को स्वीकार नहीं किया, इसका साइड इफेक्ट हुआ. मैं मानता हूं कि फिस्कल डेफिसिट को रिलिजियसली फॉलो किया जाना चाहिए. दुनिया में क्या हाल हुआ, कुछ लोगों को लगा कि कोरोना में नोट छापो और बांटो, दुनिया में लोग अब भी महंगाई से बाहर नहीं आ रहे हैं. फिस्कल डेफिसिट को हमने कंट्रोल किया.'
PM ने वेलफेयर स्कीम्स और लोगों के जीवन स्तर में सुधार पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, 'मैं वेलफेयर को भारत के सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर का एक बहुत बड़ा महत्व का हिस्सा मानता हूं, अगर हम वेलफेयर स्कीम को क्वालिटी ऑफ लाइफ से जोड़कर करें तो वो एसेट बन जाती है. आपने देखा होगा कि मेरे हर एक काम में वेलफेयर स्कीम उनके लिए क्वालिटी ऑफ लाइफ की गारंटी बनती है. एक बार अच्छी जिंदगी की आदत लग जाए तो वो अच्छी जिंदगी जीने का प्रयास करता है. मेरी वेलफेयर स्कीम का सार ये है. जैसे- मैं अनाज मुफ्त नहीं देता हूं, मैं पोषक आहार पर बल देता हूं.'
संजय पुगलिया ने प्रधानमंत्री से रोजगार पर विपक्ष के आरोपों से जुड़ा सवाल करते हुए पूछा कि क्या रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं या उनका स्वरूप बदल गया है. दरअसल विपक्ष का आरोप है कि देश में रोजगार का सृजन नहीं हुआ.
इसका जवाब में प्रधानमंत्री ने विस्तार से अलग-अलग आकंड़ों को पेश करते हुए जवाब दिया:
आंकड़ों में दिखते हैं नए अवसर
प्रधानमंत्री ने कहा, 'PLFS डेटा के मुताबिक बेरोजगारी आधी हो गई है. EPFO, ये भी रिकॉर्डेड होता है, कोई हवाबाजी तो है नहीं. 7 साल में 6 करोड़ से ज्यादा नए अवसर रजिस्टर्ड हुए हैं. सरकारी नौकरी को लेकर मैंने एक बहुत बड़ा अभियान चलाया था, तो ये लोग कहते थे कि नौकरी देने में इतना हो-हल्ला करते हैं. अभी ये जो SKOCH ग्रुप की जो रिपोर्ट आई है, वो बड़ी दिलचस्प है. इसके मुताबिक पिछले 10 साल में हर वर्ष 5 करोड़ पर्सन ईयर रोजगार जेनरेट हुआ है. उन्होंने पैरामीटर के रूप में 22 चीजों को लिया है. ये सारी चीजें धरती पर दिखती भी हैं, ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ कागजों में दिखती है.'
स्टार्टअप्स की संख्या में जोरदार इजाफा
प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष की बेरोजगारी की बातों में कोई मुद्दा, कोई सच्चाई नजर नहीं आती.' उन्होंने कहा, 'मैं मानता हूं परिवारवादी पार्टियों को देश के युवाओं में आए बदलाव की कोई समझ नहीं है. जैसे 2014 के पहले कुछ सैकड़ों स्टार्टअप थे, आज सवा लाख स्टार्टअप हैं. एक स्टार्टअप 5-5 साल ब्राइट नौजवानों को काम देता है. आज 100 यूनिकॉर्न हैं, यानी 8 लाख करोड़ रुपये का कारोबार. ये वो लोग हैं, जो 20, 22, 25 साल के हैं. आप देख लेना कि गेमिंग की फील्ड में भारत पूरी दुनिया में लीड करेगा. एंटरटेनमेंट इकोनॉमी से अब हम क्रिएटिव इकोनॉमी की तरफ हम मुड़ गए हैं.'
पहली बात है कि इतना सारा काम मानव बल के बिना संभव नहीं है, सिर्फ रुपये हैं, तो रोड नहीं बन जाता है. रुपये है, इसलिए रेलवे का इलेक्ट्रिफिकेशन नहीं हो जाता है. मैनपावर लगता है. मतलब रोजगार के अवसर बनते हैं.
एविएशन सेक्टर में भी मौकों का बड़ा सृजन
PM ने आगे एविएशन सेक्टर का भी उदाहरण दिया और कहा, 'एविएशन सेक्टर को ले लीजिए, हमारे देश में करीब 70 एयरपोर्ट थे. आज करीब 150 एयरपोर्ट हो गए हैं. हमारे देश कुल हवाई जहाज, प्राइवेट और सरकार मिलाकर करीब 600-700 हैं. 1,000 नए हवाई जहाज का ऑर्डर है. कितने प्रकार के लोगों को रोजगार मिलेगा, कोई कल्पना कर सकता है क्या. इसलिए ये जो नैरेटिव है पॉलिटिकल फील्ड में जो लोग हैं, उन्होंने रिसर्च नहीं किया है, उनकी गाड़ी वहीं अटकी हुई है.'