दिल्ली विधानसभा चुनाव में BJP का ढाई दशक से भी ज्यादा लंबा वनवास खत्म होने जा रहा है. 27 वर्ष बाद राजधानी में कमल खिलता दिख रही है. 70 विधानसभा सीटों में कई सीटों के परिणाम आ चुके हैं, जबकि बाकी सीटों के रुझान भी बता रहे हैं कि यहां BJP की सत्ता में वापसी हो रही है. साल 1993 में BJP ने दिल्ली में अंतिम चुनाव जीता था.
आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली चुनाव में पार्टी की हार स्वीकार कर ली है. वो खुद भी नई दिल्ली सीट से चुनाव हार गए. एक वीडियो जारी कर उन्होंने BJP को जीत की बधाई दी.
2024 लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करने के बाद BJP के पक्ष में जो माहौल बना, पार्टी उसे बनाए रखने में कामयाब रही है. इसका असर विधानसभा चुनावों में भी दिखा है. इस चुनाव में BJP की बड़ी जीत की और भी कई वजहे हैं.
आइए समझने की कोशिश करते हैं कि किन फैसलों और रणनीतियों की बदौलत BJP ने दिल्ली में कमल खिलाने में कामयाबी हासिल की.
दिल्ली सरकार की 2021 में नई आबकारी नीति में भ्रष्टाचार का मुद्दा BJP शुरू से ही जोर-शोर से उठाती रही. BJP ने इसकी शिकायत उपराज्यपाल (LG) से की, LG ने मामले की जांच CBI को सौंप दी. बाद में ED भी मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से इसमें जांच करने लगी. एक के बाद एक परतें खुलती गईं और इस मामले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह को जेल जाना पड़ा. सत्येंद्र जैन भी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजे गए. इस मुद्दे पर BJP हमलावर रही और आम आदमी पार्टी बैकफुट पर नजर आई. चुनाव तक भी AAP भ्रष्टाचार के दाग को छुड़ा नहीं पाई. जनता ने इस मुद्दे पर BJP का साथ दिया.
BJP जो कि RSS यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अनुषांगिक संगठन है, उसे चुनाव के लिए संघ का पूरा साथ मिला. पर्दे के पीछे रहते हुए संघ, BJP की मदद करता रहता है. संघ के स्वयंसेवक और प्रचारक BJP के पक्ष में सक्रिय रहे और एक पॉजिटिव माहौल तैयार हुआ.
वहीं दूसरी ओर मजबूत उम्मीदवारी भी एक बड़ी वजह रही. BJP ने उम्मीदवारों के चयन में बहुत सावधानी बरती. प्रवेश वर्मा, दुष्यंत गौतम जैसे बड़े नेताओं को चुनाव में उतारा गया. इससे कार्यकर्ताओं के बीच पॉजिटिव मैसेज गया और वे जोश से अभियान में लगे. रमेश बिधूड़ी भी लगातार विरोधियों पर हमलावर रहे.
टैक्सपेयर मिडिल क्लास, जिसके एक बड़े तबके के बारे में कहा जा रहा थ कि केंद्र सरकार से लोगों की नाराजगी है, उस तबके को बजट के एक बड़े ऐलान ने खुश कर दिया. दिल्ली चुनाव से ठीक पहले वित्तमंत्री निर्मला सीतमारमण ने 12 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स फ्री करने का ऐलान कर दिया. वहीं सैलरीड क्लास के लिए 12.75 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री है. इस फैसले ने चुनाव से पहले कमाल कर दिया और मिडिल क्लास ने धन्यवाद के तौर पर केंद्र में सरकार चला रही BJP को दिल्ली में भी जनादेश दे दिया.
केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर में आठवें वेतन आयोग के गठन का ऐलान किया. आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद केंद्रीय कर्मियों की सैलरी और रिटायर्ड कर्मियों के पेंशन में बड़ा इजाफा होगा. बड़ी संख्या में दिल्लीवासी केंद्र सरकार की नौकरियों में हैं. वहीं, केंद्र सरकार के साथ-साथ ही दिल्ली के राज्यकर्मियों के लिए भी सिफारिशें लागू होती हैं. यानी बड़ी संख्या में राज्यकर्मियों का भी फायदा.
BJP ने मुख्यमंत्री आवास को लंबे समय तक मुद्दा बनाया. इसे पार्टी शीशमहल बताती रही, जिस पर करोड़ों रुपये खर्च हुए. PM मोदी ने खुद अपने भाषणों में कहा, 'मेरा सपना गरीबों को पक्का घर देने का है. मैंने अपने लिए शीशमहल बना सकता था, लेकिन नहीं बनाया. इस मुद्दे ने भी पब्लिक को कनेक्ट किया.
दिल्ली में नगर निगम से जुड़े मुद्दों पर भी BJP आम आदमी पार्टी के खिलाफ हमलावर रही और बदहाली के लिए उसे जिम्मेदार ठहराया. पीने का गंदा पानी, सड़कों का बुरा हाल, नालों की गंदगी जैसे मुद्दों ने लोगों को सीधे जोड़ा. वहीं, दिल्ली के एक चुनावी कार्यक्रम में PM मोदी ने आम आदमी पार्टी को 'आपदा' बताया. इसके बाद BJP का हर छोटा-बड़ा नेता इसे प्रचारित करता रहा.
दिल्ली चुनाव में BJP ने अलग-अलग समाज और समुदायों को जोड़ने पर काम किया. पार्टी के नेता-कार्यकर्ता पिछले काफी समय से इस कैंपेन में लगे थे. झुग्गी बस्तियों से लेकर दलितों, पिछड़ों और दूसरे क्षेत्रीय और जातीय समूहों के साथ समन्वय स्थापित किया और पार्टी के प्रति विश्वास दिलाया. इस कैंपेन के लिए दूसरे प्रदेशों से बड़े नेता बुलाए गए. आम आदमी पार्टी के वोट बैंक में भी सेंधमारी की गई. इन रणनीतियों की बदौलत BJP दिल्ली में काफी मजबूत पार्टी बनकर उभरी.