शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिनों की अपनी ऐतिहासिक यात्रा पर युद्धग्रस्त देश यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचे. जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत हुआ. रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'दोनों देश शांति की राह खोजें, भारत इसमें मदद करेगा.'
पोलैंड में अपने तीन दिवसीय दौरे के बाद प्रधानमंत्री मोदी एक स्पेशल ट्रेन ‘रेल फोर्स वन’ से यूक्रेन पहुंचे थे. इस सफर में उनके साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर और NSA अजीत डोभाल भी रहे. पोलैंड से कीव पहुंचने में इस ट्रेन को 10 घंटे का समय लगा.
स्टेशन पर यूक्रेनी अधिकारियों ने नमस्ते करते हुए PM मोदी का वेलकम किया. PM मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की. दोनों ने एक दूसरे को काफी गर्मजोशी के साथ गले लगाया. PM मोदी जेलेंस्की के कंधे पर हाथ रखकर कुछ दूर चले भी.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ जब PM मोदी बैठकर चर्चा करेंगे तो माना जा रहा है कि रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग को खत्म करने और शांति स्थापित करने के रास्ते तलाशने पर बात हो सकती है.
यूक्रेन के सोवियत संघ से अलग होने के बाद साल 1991 से अब तक किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने यूक्रेन का दौरा नहीं किया था. आज कीव पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस देश में जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए हैं. यूक्रेन की यात्रा से लगभग छह हफ्ते पहले प्रधानमंत्री मोदी रूस की यात्रा पर थे. जिसे लेकर कई पश्चिमी देशों ने आपत्ति जताई थी.
अपने इस दो दिवसीय दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से युद्ध विराम पर आमने-सामने बात की. इसमें 2 साल से ज्यादा से चल रहे इस युद्ध को शांतिपूर्ण ढंग से खत्म करने के लिए बात हुई.
दिल्ली से रवाना होने से पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा था कि ‘ मैं यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के निमंत्रण पर यूक्रेन के दौरे पर रहूंगा. ये यात्रा भारत-यूक्रेन के संबंधों को गहरा करने और दोस्ती बढ़ाने का एक अवसर है. साथ ही हम यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर भी विचार साझा करेंगे. एक मित्र और भागीदार के रूप में, हम इस क्षेत्र में शीघ्र शांति और स्थिरता की वापसी की आशा करते हैं.
भारत ने रूस-यक्रेन की जंग में किसी एक देश का ना तो समर्थन किया है, ना विरोध. भारत इसी बात पर टिका है कि युद्ध किसी मसले का हल नहीं हो सकता और बातचीत से ही इसका भी हल होगा. भारत ने अपने तटस्थता के रुख को बरकरार रखते हुए दोनों देशों से बातचीत का रास्ता खुला रखा है.
पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनल्ड टस्क ने भारत पर विश्वास जताते हुए कहा 'भारत रूस-यूक्रेन के युद्ध को रोकने के लिए अहम भूमिका निभा सकता है.'