ADVERTISEMENT

Telangana Assembly Election 2023 Result: तेलंगाना में कांग्रेस की शानदार वापसी, KCR ने मानी हार; कैसे रेवंत रेड्डी बने सुपर स्टार?

KCR ने सिर्फ हैदराबाद को विकास का केंद्र बना दिया. इससे राज्य के दूसरे इलाकों के लोग उपेक्षित महसूस करने लगे. KCR परिवार से भी लोग नाराज दिखे, परिवार पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे.
NDTV Profit हिंदीअमरेन्द्र सिंह
NDTV Profit हिंदी07:29 PM IST, 03 Dec 2023NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही है. कांग्रेस को 64 और BRS 39 सीटें मिली हैं. जबकि BJP को 8 और AIMIM 7 सीटों पर कामयाबी मिली है.

आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस का वोट शेयर 33% से बढ़कर 40% हो गया है, जबकि BRS का वोट शेयर 46% से घटकर 37% पर आ गया है. वोट हासिल करने में BJP ने अच्छी तरक्की की है. उसका वोटर शेयर 7% से बढ़कर 14% हो गया है.

तेलंगाना की राजनीति को करीब से देखने वालों का कहना है कि लोग KCR से बहुत नाराज थे और वो लोगों की नाराजगी और सत्ता विरोधी लहर को देख नहीं पाए. करीमनगर, नलगोंडा जैसे अपने गढ़ में BRS हार गई. हैरानी की बात ये है कि कामारेड्डी में कांग्रेस के रेवंत रेड्डी और मौजूदा मुख्यमंत्री KCR दोनों हार गए हैं और BJP के वेंकट रेड्डी करीब 7000 वोटों से जीत गए हैं.

'दुश्मन' को नहीं देख पाए KCR

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव सालभर पहले तक भारतीय जनता पार्टी को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी समझते थे. उन्होंने INDIA गठबंधन में कांग्रेस के साथ मंच तो साझा नहीं किया, मगर वो कांग्रेस को अपना विरोधी भी नहीं मानते थे. आज उसी कांग्रेस ने उनकी सत्ता छीन ली.

BRS की हार के कारण

BRS के हार के कारणों की बात करना भी जरूरी हो जाता है. दरअसल KCR ने हैदराबाद को विकास का केंद्र बना दिया. इससे दूसरे इलाकों के लोग उपेक्षित महसूस करने लगे. वारांगल जैसे विकसित जगहों पर लोग उपेक्षा महसूस कर रहे हैं. तेलंगाना आंदोलन से जुड़े लोग भी KCR से खफा दिखे. उनकी नजर में KCR ने तेलंगाना का आंदोलन परिवार का आंदोलन बनाकर रख दिया है.

KCR ने विधायक को एक ताकतवर संस्था में तब्दील कर दिया था. उन्होने विधायक को हर कल्याणकारी स्कीम को लागू करने जरिया बना दिया. ज्यादा अधिकार और ताकत मिलने से विधायक भ्रष्ट हो गए. KCR परिवार से भी लोग नाराज दिखे, परिवार पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे.

  • हैदराबाद को पूरे राज्य के विकास का केंद्र बना दिया गया

  • वारांगल जैसे विकसित जगहों पर लोग भी उपेक्षा महसूस करने लगे

  • तेलंगाना आंदोलन से जुड़े लोग भी KCR से खफा दिखे

  • तेलंगाना का आंदोलन परिवार का आंदोलन बनकर रह गया

  • KCR ने विधायक को एक ताकतवर संस्था में तब्दील कर दिया

  • विधायक को हर स्कीम को लागू करने का अधिकार दिया

  • ज्यादा अधिकार और ताकत मिलने से विधायक भ्रष्ट हो गए

  • KCR परिवार से भी लोग नाराज दिखे, परिवार पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे

इन कारणों के चलते KCR की महत्वाकांक्षी योजना रायथु बंधु योजना भी काम नहीं आई. उन्होंने चुनाव से ठीक पहले इस योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली राशि 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 16 हजार रुपये कर दी, मगर इसका फायदा नहीं मिला. जनता किस कदर उनसे नाराज थी वो इसे समझ ही नहीं पाए.

कहां चूके KCR?

BRS का चुनाव प्रचार रायथू बंधू सहित किसानों, महिलाओं के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं पर केंद्रित था. साथ ही KCR ने पहले की कांग्रेस सरकारों की खराब नीतियों और तेलंगाना आंदोलन को दबाने के लिए कांग्रेस सरकार के अत्याचारों को भी बढ़ाचढ़ा चुनाव प्रचार का हिस्सा बनाया, मगर लगता है कि जनता को अब पुरानी बातों को भूलकर बहुत आगे बढ़ चुकी है और उसने इस बार विकास के लिए बदलाव को चुना है.

कांग्रेस की रणनीति सही रही

सालभर पहले तक किसी को उम्मीद नहीं थी कि कांग्रेस तेलंगाना में सरकार बना सकती है. लोग BRS (भारत राष्ट्र समिती) का विकल्प बीजेपी में देखते थे. मगर रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में कांग्रेस ने जो मेहनत की और स्ट्रैटेजी बनायी उसका फायदा इस चुनाव में दिख रहा है. निश्चित रूप से राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का भी कुछ फायदा मिला होगा. मगर इस जीत का तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष श्रेय रेवंत रेड्डी और चुनाव स्ट्रैटेजिस्ट सुनील कानूगोलू को जाता है.

कौन हैं रेवंत रेड्डी?

54 साल के रेवंत रेड्डी तेलंगाना के नए सुपर स्टार हैं. तेलंगाना के महबूबनगर जिले में 1969 में जन्मे अनुमुला रेवंत रेड्डी ने छात्र जीवन से ही राजनीति की शुरुआत की थी. ग्रेजुएशन के दौरान वो भारतीय जनता पार्टी की छात्र ईकाई ABVP से जुड़े थे. हालांकि हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से स्नातक रेड्डी ने सक्रीय राजनीति की शुरुआत चंद्रबाबू की तेलुगू देशम पार्टी से की. तेलुगू देशम के टिकट पर उन्होंने 2009 में कोडांगल विधानसभा सीट से चुनाव जीता था.

2014 में भी वो तेलंगाना विधानसभा में तेलुगू देशम पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे, मगर 2017 में वो हवा का रुख देखते हुए कांग्रेस में शामिल हो गए, लेकिन इसका खास फायदा नहीं हुआ और वो 2018 चुनाव हार गए. कांग्रेस ने 2019 में रेड्डी को दोबारा मौका दिया और मलकाजगिरि से मैदान में उतार दिया. इस चुनाव में उन्होंने अच्छी जीत दर्ज की. कांग्रेस ने 2021 में उन्हें तेलंगाना का प्रदेश अध्यक्ष चुना और इस चुनाव में जीत दर्ज कराके रेवंत रेड्डी ने ये साबित कर दिया की उनका चुनाव कितना सही था.

सुनील कानूगोलू बड़े रणनीतिकार बने

कर्नाटक में कांग्रेस के जीत की स्क्रिप्ट लिखने वाले सुनील कानूगोलू की ये दूसरी ब्लॉकबस्टर सफलता है. कर्नाटक और तेलंगाना में सफलता का कुछ श्रेय भारत जोड़ो यात्रा को भी जाता है और इस कैंपेन में भी सुनील कानूगोलू की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

कांग्रेस में वे 2022 में शामिल हुए थे. सुनील को ये जिम्मेदारी तब मिली जब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ चल रही बातचीत विफल हो गई थी। इससे पहले 2021 में सुनील ने तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में AIDMK के लिए काम किया। इस चुनाव के बाद ये सुनील कांग्रेस के करीब आए.

दिलचस्प ये है कि सुनील और प्रशांत किशोर दोनों पहले एक साथ काम कर चुके हैं. अमेरिका से 2009 में भारत लौटने के बाद उन्होंने प्रशांत किशोर के साथ काम किया था. आप ये जानकार हैरान हो जाएंगे कि सुनील ने 2014 आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी कैंपेन पर भी काम किया है. 2014 के बाद प्रशांत किशोर बीजेपी तो से अलग हो गए, मगर सुनील पार्टी के साथ ही बने रहे। सुनील कानूगोलू ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए काम किया, मगर इस चुनाव के बाद वो बीजेपी से दूर होने लगे.

सुनील कानूगोलू की ये कामयाबी भारतीय राजनीति में प्रोफेशनल पोल स्ट्रैटेजिस्ट की भूमिका को भी और मजबूत करेगी

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT