अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ चुके है. ये तय हो गया है कि डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे, ट्रंप ने 270 का जादुई आंकड़ा हासिल कर लिया है. ट्रंप 2017 से 2021 तक अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति रह चुके हैं. उनकी नीतियां पूरी दुनिया जानती है. भारत में नरेंद्र मोदी सरकार और ट्रंप के रिश्तों के बारे में भी दुनिया अच्छे से परिचित है.
अब सबकी नजर इस बात पर है की डॉनल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति बनना, भारत के लिए कितना बेहतर साबित होगा?
ट्रंप के सत्ता में वापस आने से शेयर बाजारों में तेजी आ गई है. आपको बता दें की बुधवार के ट्रेड में 10 साल के ट्रेजरी में गिरावट देखी गई है और इसकी यील्ड (Yield) 4.28% है. सभी प्रमुख करेंसीज के मुकाबले डॉलर मजबूत हुआ है.
लेकिन अगर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस व्हाइट हाउस जातीं तो 'ट्रम्प ट्रेड' बंद हो जाता. यील्ड गिरने के साथ ट्रेजरी में रैली आती और डॉलर में भी गिरावट देखने को मिलती. FII ने पिछले 26 दिनों में भारतीय बाजार से करीब 1.3 लाख करोड़ रुपये की निकासी की है.
इन सभी का असर भारतीय मार्केट पर पड़ेगा और इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी, फार्मा और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे सेक्टर्स के शेयरों पर चुनाव के नतीजों का जोरदार असर होने की संभावना है.
यहां उन सेक्टर्स और शेयरों पर एक नजर डाली गई हैं जो इस चुनाव परिणाम से प्रभावित हो सकते हैं.
रिन्यूएबल: प्रीमियर एनर्जीज और वारी एनर्जी जैसी भारतीय रिन्यूएबल कंपनियों के प्रभावित होने की संभावना है क्योंकि वे अमेरिकी बाजारों में सोलर मॉड्यूल एक्सपोर्ट करते हैं. हैरिस जीततीं तो ग्रीन एनर्जी और पेरिस समझौते (Paris Agreement) के तहत अमेरिका की ओर से की गई प्रतिबद्धताओं को पूर करने में मदद करती, जिसके लिए 2035 तक फॉसिल फ्यूल में कटौती की आवश्यकता है. ट्रंप की जीत रिन्यूएबल एनर्जी पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी क्योंकि ट्रम्प ग्रीन एनर्जी और इसके लिए की गई प्रतिबद्धताओं का समर्थन नहीं करते.
हेल्थकेयर: भारतीय जेनेरिक फार्मा कंपनियों न केवल करेंसी मूवमेंट से प्रभावित होंगी, बल्कि ट्रम्प बीमा कवरेज पर क्या फैसला लेते हैं उसका भी असर दिखेगा. ट्रंप की जीत से दवाओं पर प्राइस कैप हटने की संभावना है.
मर्चेंडाइज: अगर ट्रंप भारत से इंपोर्ट पर टैरिफ लगाते हैं तो वेलस्पन, गोकलदास एक्सपोर्ट्स, अरविंद जैसी कंपनियों पर नेगेटिव प्रभाव पड़ने की आशंका है.
IT कंपनियां: IT कंपनियों ने H1B वीजा पर निर्भरता काफी कम कर दी है. लेकिन अगर ट्रंप अमेरिका में ऑफशोरिंग के मुकाबले ज्यादा नौकरियों पर जोर देते हैं तो कारोबार प्रभावित हो सकता है. हालांकि ट्रंप के कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से भारतीय टेक कंपनियों के लिए और अधिक कारोबार आने की संभावना है.
ऑटो और ऑटो एंसिलरी: मदरसन ग्रुप और टाटा मोटर्स की जैगुआर लैंड रोवर जैसी कंपनियों की आय और वाहनों की मांग बढ़ेगी.
केमिकल: भारतीय स्पेशियलिटी कंपनियां अमेरिकी फार्मा और एग्रो कंपनियों को एक्सपोर्ट करती हैं. PI इंडस्ट्रीज, सुदर्शन केमिकल, दीपक नाइट्राइट, SRF, विनती ऑर्गेनिक्स, नवीन फ्लोरीन इंटरनेशनल, आरती इंडस्ट्रीज और जुबिलेंट इंग्रेविया का अमेरिका में बड़ा एक्सपोजर है. टैरिफ बढ़ोतरी का नेगेटिव असर इन कंपनियों पर पड़ेगा.
डिफेंस: ट्रंप की जीत से डिफेंस सैक्टर में डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को और अधिक बढ़ावा मिलेगा, इससे बोइंग जैसी कंपनियों के लिए भारत से सहायक कंपनियों के मैन्युफैक्चरिंग की मांग बढ़ेगी.