Hansal Mehta Exclusive Interview: फिल्ममेकर भी, इन्वेस्टर भी - हंसल मेहता जैसा कोई नहीं!

हंसल मेहता सिनेमा की दुनिया को बखूबी समझते हैं, तीन दशक के करियर में उन्होंने सिनेमा और टीवी के बदलते दौर को देखा है, वो ऐसे फिल्ममेकर्स के तौर पर जाने जाते हैं जिनका कंटेंट वक्त के मोहपाश से आजाद है

Source: BQ Prime

एंटरटेनमेंट की दुनिया बीते कुछ वक्त में एक बड़े बदलाव के दौर से गुजरी है. जिस छोटे पर्दे का कद बड़े पर्दे के सामने हमेशा बौना समझा जाता रहा है, OTT (ओवर-द-टॉप) आने के बाद ये फर्क खत्म होता गया, बल्कि यूं कहें कि कंटेंट के तलबगारों की वजह से OTT अब बड़े पर्दे के सामने ज्यादा नहीं तो बराबरी की टक्कर तो देता नजर आया है.

ऐसे कंटेंट के असली हीरो इसके मेकर्स हैं, जिनमें इस बात का माद्दा है कि वो ऐसी कहानियां चुनते हैं, जो सिनेमा के लिहाज से चुनौतीपूर्ण हैं, इसी में एक नाम है हंसल मेहता. स्कैम 1992, स्कूप जैसी वेब सीरीज के बाद अब वो 'स्कैम 2003: द तेलगी स्टोरी' को लाने के ऐलान कर चुके हैं.

हंसल मेहता सिनेमा की दुनिया को बखूबी समझते हैं, अपने तीन दशक के करियर में उन्होंने सिनेमा और टीवी के बदलते दौर को देखा है, वो ऐसे फिल्ममेकर्स के तौर पर जाने जाते हैं जिनका कंटेंट वक्त के मोहपाश से आजाद है, जो किसी फिल्ममेकिंग के फिक्स्ड नुस्खे पर चलने से इनकार करते हैं और इसीलिए आज वो OTT के सबसे बड़े कंटेंट क्रिएटर्स की सफ में सबसे आगे खड़े नजर आते हैं.

उनकी प्रोफेशनल लाइफ, पर्सनल लाइफ और फिल्मों को लेकर क्या सोच है, ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब टटोलने के लिए BQ प्राइम ने बात की हंसल मेहता से.

(Source: BQ Prime)

'जिसे सोचकर नींद उड़ जाए, उस कहानी पर फिल्म बनाता हूं'

हंसल मेहता कहते हैं कि जब मैं कोई फिल्म बनाता हूं तो मैं दर्शक के टेस्ट (पसंद) से ज्यादा मैं ध्यान इस पर ज्यादा रहता है कि मुझे क्या पसंद है, मैं खुद को दर्शक की जगह पर रखकर सोचता हूं, मैं हमेशा ये मानकर चलता हूं मेरा दर्शक काफी समझदार है, जब भी मैंने दर्शक की समझदारी पर भरोसा कम किया है, मुझे कामयाबी भी कम मिली.

हंसल मेहता बताते हैं कि मुझे किस विषय पर फिल्म बनानी है, ये तय करने का मेरा तरीका यही है कि मुझे लगना चाहिए कि ये कहानी किसी भी कीमत पर लोगों को बतानी है, ऐसा विषय हो कि रातों की नींद उड़ जाए. अगर ऐसा नहीं है, तो मैं अपना और लोगों का वक्त बर्बाद नहीं करना चाहूंगा.

वो बताते हैं कि जब सब्जेक्ट चुनने की बात आती है तो मैं ये नहीं सोचता कि कोई विषय कठिन है आसान है, मैं सिर्फ ये मानता हूं कि जो भी मुझे बताना है वो सही इरादे से कहा गया हो. इरादा कभी भी सनसनी फैलाना और पैसा कमाना नहीं होना चाहिए. इरादा सिर्फ ये होना चाहिए कि कहानी को जितनी ईमानदारी से हो सके बताया जाए. मैं उन लोगों की कहानियां बताने की कोशिश करता हूं, जो वक्त के साथ भुला दिए गए, जिनके बारे में कभी जिक्र नहीं किया गया.

'मेरी फिल्मों ने कभी पैसा नहीं गंवाया'

हंसल मेहता कहते हैं सिनेमा और कहानियों को सिर्फ कुछ आंकड़ों से नहीं आंका जाना चाहिए. नंबर्स, बजट, कलेक्शन, बेहतर होगा उनके लिए छोड़ देना चाहिए, जिन्होंने इसमें निवेश किया है. मेरी फिल्मों ने कभी पैसा नहीं गंवाया है, क्योंकि किसी भी कला के लिए पैसे कमाने के कई तरीके होते हैं. कई बार वीकेंड नंबर्स की रेस में हम भूल जाते हैं कि कोई फिल्म एक तय बजट में बनी होती है और उसकी रिकवरी उसी पर आधारित है. हम सभी को एक ही तराजू में तौल देते हैं, हम भूल जाते हैं कि ये कहानियां हैं.

'थिएटर में फिल्में देखना अब काफी महंगा'

मेहता बताते हैं कि एक फिल्ममेकर और कलाकार एक ही चीज चाहता है कि उसका काम ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे, और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म वो जरिया बन रहे हैं. जहां तक थिएटर की बात है तो यहां जाने के लिए लोगों को बहुत मोटिवेशन की जरूरत है. थिएटर में जाकर मूवी देखना अब काफी महंगा हो चुका है. कितने लोग हैं जो इतना महंगा टिकट, महंगा पॉपकॉर्न खरीद सकते हैं. लोग अपने परिवार के साथ साल में सिर्फ 3-4 फिल्में ही देख पाते हैं, बाकी फिल्में देखने के लिए उनके पास पैसे नहीं होते हैं.

'मेरा मानना है कि मार्केट काफी बड़ा है, अगर हम सिनेमा को आर्ट के तौर पर देखें और थिएटर्स इन आर्ट को दिखाने का जरिया बनें. हमने उनको महंगा रेस्टोरेंट बना दिया है. हमारे जमाने में हम 1-1.5 रुपये की बालकनी का टिकट लेकर फिल्म देख लेते थे, ये सोचे बिना की फिल्म अच्छी होगी या बुरी. ऐसे हम बढ़िया फिल्मों को जान पाते थे.'

हालांकि हंसल मेहता मानते हैं कि थिएटर जाकर फिल्में देखने का जो भी अनुभव है उसको किसी से भी रिप्लेस नहीं किया जा सकता है.

'साउथ इंडस्ट्री और बॉलीवुड अलग अलग नहीं'

साउथ की फिल्में क्यों अच्छा कर रही हैं और बॉलीवुड की फिल्में क्यों नहीं कर पा रही हैं, इस पर हंसल मेहता कहते हैं को ये नैरेटिव ही गलत है. साउथ और बॉलीवुड अलग अलग नहीं है, ये सब भारतीय सिनेमा है, जहां पर कई भाषाओं में फिल्में बनती हैं, उसमें से एक हिस्सा हिंदी सिनेमा का भी है, हिंदी सिनेमा को किसी मूर्ख ने बॉलीवुड नाम दे दिया है. मैं उस बेवकूफी का हिस्सा नहीं बनना चाहता हूं.

'OTT ने समय के बंधन से आजाद कर दिया'

OTT के आने से हमने काफी देर से लॉन्ग फॉर्मेट कहानियों को कहने की कला सीखना शुरू कर दिया है, जिसमें हम 6-10 एपिसोड में कहानियां कहते हैं, जो कई सीजन तक चलती हैं. जबकि इंटरनेशनल लेवल पर ये काफी समय से हो रहा है. हमने तो बस अभी शुरू ही किया है. 2017 में जब सेक्रेड गेम्स आई, तब हमने लॉन्ग फॉर्मेट स्टोरी टेलिंग का सिलसिला शुरू किया. एक फिल्ममेकर के तौर पर मैं उत्साहित हूं मुझे इस तरह से कहानी कहने के लिए समय का बंधन नहीं है.

'OTT सब्सक्रिप्शन मॉडल बदलेगा'

आने वाले समय में OTT का सब्सक्रिप्शन मॉडल बदलेगा, हंसल मेहता कहते हैं कि बदलाव तो जरूर होंगे, लेकिन ये बदलाव कैसे होंगे नहीं मालूम. नेटफ्लिक्स इस वक्त सब्सक्रिप्शन मॉडल का सबसे बड़ा खिलाड़ी है. मैं ये उम्मीद करता हूं कि जैसे थिएटर महंगे हो गए हैं, OTT प्लेटफॉर्म न हो जाएं. जैसे- अमेरिका में कई प्लेटफॉर्म को सब्सक्राइब करने में आदमी कंगाल हो जाए.भारत में अभी सब्सक्रिप्शन दूसरे देशों के मुकाबले काफी सस्ता है. जिस तरह का OTT कंटेंट दिया जा रहा है, मुझे लगता है कि यूजर्स जितना पैसा दे रहे हैं उससे कहीं ज्यादा उनको मिल रहा है.

फिल्ममेकर ही नहीं, इनवेस्टर भी

हंसल मेहता सिर्फ एक मंझे हुए फिल्ममेकर ही नहीं है, बल्कि एक समझदार इनवेस्टर भी हैं. उन्होंने बताया कि वो खुद ही निवेश करते हैं, उनका ज्यादातर निवेश डेट में होता है. इसके लिए वो किसी एक्सपर्ट की सलाह नहीं लेते, क्योंकि उन्हें पता है कि वो कितना रिस्क ले सकते हैं, उसी के हिसाब से वो निवेश करते हैं. निवेश का एक हिस्सा रिस्क से सुरक्षित करने के बाद वो कुछ पैसा रिस्क वाले एसेट्स में भी डालते हैं.

उन्होंने अमेरिकी मार्केट्स में ETFs में निवेश किया हुआ है, कुछ पैसा वेंचर कैपिटल फंड्स में भी है. वो कहते हैं कि अगर ये पैसा डूब भी जाए तो फर्क नहीं पड़ता. एक बड़ी दिलचस्प बात हंसल मेहता बताते हैं कि वो घड़ियों में काफी निवेश करते हैं. उन्होंने काफी लग्जरी घड़ियां खरीद रखी हैं, जिनकी कीमत अब पहले से ज्यादा है.

VIDEO: फिल्ममेकर हंसल मेहता के साथ पूरा इंटरव्यू यहां देखें