Forbes 30 Under 30: जैविक कचरे से दूर कर दी सिंचाई की समस्‍या, दुनिया ने माना लोहा! कहानी EF पॉलीमर की

फोर्ब्स की '30 अंडर 30' लिस्ट में उन युवाओं को जगह दी जाती है, जो इंडस्ट्री में पॉजिटिव चेंज लाकर समाज को नई दिशा दे रहे हैं.

Source: Special Arrangement/ Ankit Jain/ EF Polymer

राजस्‍थान में जैसलमेर के चांदन गांव में किसान सुखा राम जीरे की खेती करते हैं. वहां सिंचाई की बड़ी दिक्‍कत रहती है. उन्‍होंने कम पानी इस्‍तेमाल करने के बावजूद अच्‍छी फसल उगाई. उदयपुर के झुल्‍ली गांव की महिला किसान कली देवी भी मुस्‍कुराते हुए कहती हैं कि बारिश न होने के बावजूद, कम पानी में भी उनके खेत लहलहाते रहे और उनकी मक्‍के (Corn) की फसल खराब नहीं हुई.

ऐसे और भी हजारों किसानों की खुशी के पीछे एक इनोवेशन है. वो इनोवेशन, जो राजस्थान की एक एग्रीकल्‍चर यूनिवर्सिटी से शुरू हुआ और राज्‍य और देश की सीमाओं को पार करते हुए विदेशों की कई रिसर्च इंस्‍टीट्यूट्स तक पहुंचा. भारत सरकार के अलावा इस रिसर्च को काफी मदद मिली जापान सरकार से. और फिर इस इनोवेशन पर नजर पड़ी फोर्ब्‍स (Forbes) की.

इंटरनेशनल मैगजीन फोर्ब्‍स ने सस्‍टेनेबल फार्मिंग में लीडिंग स्‍टार्टअप 'EF पॉलीमर' के फाउंडर्स अंकित जैन और नारायण लाल गुर्जर को साल 2024 की '30 अंडर 30' (Asia) लिस्‍ट में शामिल किया है. इंडस्‍ट्री, मैन्‍युफैक्‍चरिंग एंड एनर्जी सेक्‍टर में अद्वितीय योगदान की बदौलत उन्होंने ये उपलब्धि हासिल की है.

फोर्ब्स की '30 अंडर 30' लिस्ट में उन युवाओं को जगह दी जाती है, जो इंडस्ट्री में पॉजिटिव चेंज लाकर समाज को नई दिशा दे रहे हैं. इस लिस्ट में 10 कैटगरी में 4,000 से ज्यादा लोगों के बीच 300 युवाओं का चयन किया गया है. अंकित-नारायण की जोड़ी इन्‍हीं में से है.

सवाल ये है कि किसानों की किस्मत बदलने वाला ये एग्री स्टार्टअप आखिर करता क्या है और कैसे करता है. इस बारे में जानने के लिए NDTV Profit हिंदी ने फाउंडर अंकित जैन से बात की.

समस्या को ही बना दिया समाधान

अंकित, खेती-किसानी की 2 बड़ी समस्याओं से अपनी बात शुरू करते हैं- एग्री वेस्ट मेटेरियल और सिंचाई के लिए पानी की कमी. उन्‍होंने कहा, 'हम एग्री वेस्टेज का इस्तेमाल कर ऐसा प्रोडक्ट बनाते हैं, जिसके इस्तेमाल से खेतों की सिंचाई में लगने वाले पानी की जरूरत 40% तक कम हो जाती है.'

40%
तक कम हो जाती है सिंचाई में पानी की जरूरत.

अंकित जैन ने आगे कहा कि ये खेतों में एक तरह से खाद की तरह भी काम करता है और मिट्टी की उर्वरता (Fertility) भी बढ़ाता है. कम लागत वाली यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल भी है.

Source: EF polymer

वेस्टेज से बना प्रोडक्ट कैसे काम करता है?

इस प्रोडक्ट को 'फसल अमृत' नाम दिया गया है. इसे केले के थंब (पेड़ का तना), संतरे के छिलके, सुगरकेन वेस्टेज जैसी 25 चीजों से तैयार किया जाता है.

अंकित ने कहा, 'अमूमन एक हेक्टेयर में किसी फसल को पूरे सीजन में 30 से 35 लाख लीटर पानी की जरूरत पड़ती है. फसल अमृत खेतों में नमी बनाए रखता है, जिससे सिंचाई में 30-40% तक पानी कम लगता है.'

उन्होंने बताया कि जैविक अपशिष्ट पदार्थों से तैयार बायोडिग्रेडेबल पॉलीमर प्रोडक्ट, मिट्टी की नमी और पोषक तत्वों के डिस्ट्रीब्यूशन में सुधार कर अधिक पैदावार सुनिश्चित करता है. इसे जैसलमेर के किसानों ने भी यूज किया है और रेगिस्तानी इलाके में भी ये काम करता है.

कैसे हुई थी शुरुआत?

EF पॉलीमर के फाउंडर्स अंकित, उदयपुर की महाराणा प्रताप एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से पढ़े-लिखे हैं. साथी नारायण के खेत में फसल खराब होने के बाद से उन लोगों ने रिसर्च शुरू की. इसमें यूनिवर्सिटी का पूरा साथ मिला. वहीं इत्तेफाक से जापान की यूनिवर्सिटी ने रिसर्च के बारे में जानने के बाद मदद की.

Source: X/EF Polymer

केंद्र के अलावा जापान का बड़ा साथ

अंकित बताते हैं कि भारत सरकार के अलावा उन्‍हें जापान सरकार से बहुत मदद मिली है. रिसर्च के लिए जब उन्‍हें लैब और संसाधनों की जरूरत थी तो जापान ने हाथ बढ़ाया. जापान से 10 करोड़ से ज्‍यादा का बिल्‍ड-अप सपोर्ट मिल चुका है.

उनके प्रोडक्‍ट को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) समेत कई संस्थानों के अलावा कई देशों में मान्यता मिल चुकी है. देश में राष्ट्रपति से अवार्ड पाने के साथ-साथ वे कई देशों में पुरस्कृत हो चुके हैं.

6 देशों के 50 से ज्यादा लोगों की टीम

EF पॉलीमर उदयपुर और जयपुर बेस्ड कंपनी है, जिसका एक ब्रांच ऑफिस जापान में भी है. कंपनी में 6 देशों के 50 से ज्यादा लोग काम करते हैं. इनमें भारत के अलावा जापान, फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन और थाइलैंड के युवा शामिल हैं.

$4 मिलियन
से ज्‍यादा की फंडिंग जुटाई है, EF पॉलीमर ने.

EF पॉलीमर ने अब तक 4 मिलियन से ज्‍यादा की फंडिंग जुटाई है. उनके प्रोडक्ट फसल अमृत की मार्केट प्राइस 300 रुपये से 400 रुपये प्रति किलो के बीच है. इस साल कंपनी का लक्ष्य 200 टन सेलिंग का है. कंपनी ज्यादा से ज्यादा किसानों तक अपने प्रोडक्ट को पहुंचाना चाहती है.

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