अमेरिका में बैंकों के खस्ताहाल होने के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था नहीं होगी प्रभावित यदि... आखिर क्यों कहा उदय कोटक ने

ऐसे में कोटक महिंद्रा बैंक के प्रमुख उदय कोटक ने एक ट्वीट करके कहा है कि वित्तीय बाजार में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी हलचल चल रही है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वृहद आर्थिक पैमाने काफी अनुकूल हैं. वित्तीय वर्ष 2023 में करेंट अकाउंट घाटा 2.5 प्रतिशत से कम है और वित्तीय वर्ष 2024 में यह 2 प्रतिशत से भी कम होने के आसार हैं. वहीं तेल का आयात कम होने से भी मदद मिलेगी. अगर हम सोच समझकर संभलकर चलते हैं तो भारत इस दुविधा के दौर पर बिना प्रभावित हुए आगे बढ़ सकता है.

कोटक महिंद्रा बैंक के प्रमुख उदय कोटक.

दुनिया के बैंकों के सामने दो अमेरिकी बैंकों के बंद होने के चलते संकट के बादल मंडरा रहे हैं. तीसरा बैंक भी बंद होने की कगार पर पहुंच चुका है. ऐसे में बैंकों को बचाने, उनके ग्राहकों के पैसे को बचाने के लिए सरकारों से लेकर केंद्रीय बैंकों ने भी जोर देना आरंभ कर दिया है. ये सब प्रयास कहां तक सफल हो पाएंगे यह तो समय ही बताएगा लेकिन हर अर्थव्यवस्था के सामने चुनौती खड़ी हो गई है कि वह आगे का रास्ता कैसे तय करे. 

ऐसे में कोटक महिंद्रा बैंक के प्रमुख उदय कोटक ने एक ट्वीट करके कहा है कि वित्तीय बाजार में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी हलचल चल रही है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वृहद आर्थिक पैमाने काफी अनुकूल हैं. वित्तीय वर्ष 2023 में करेंट अकाउंट घाटा 2.5 प्रतिशत से कम है और वित्तीय वर्ष 2024 में यह 2 प्रतिशत से भी कम होने के आसार हैं. वहीं तेल का आयात कम होने से भी मदद मिलेगी. अगर हम सोच समझकर संभलकर चलते हैं तो भारत इस दुविधा के दौर पर बिना प्रभावित हुए आगे बढ़ सकता है. 

उल्लेखनीय है कि अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक लगभग दिवालिया हो चुका है. बैंक को बचाने के प्रयास जारी है. यह बैंक स्टार्ट-अप को फंडिंग करने के लिए जाना जाता रहा है. इससे अमेरिका की विकास दर प्रभावित होने के साथ-साथ नौकरियों का संकट भी पैदा होने के बहुत आसार हैं.  इस बीच अमेरिका का ही दूसरा बड़ा बैंक सिग्नेचर बैंक भी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुका है. 

गौरतलब है कि सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक इतनी तेजी से धराशाई हुए कि वह क्लासिक बैंक रन के आदर्श मामले हो सकते हैं, जिसमें बहुत से जमाकर्ता एक ही समय में बैंक से अपना पैसा निकालते हैं. 2008 में वाशिंगटन म्युचुअल के पतन के बाद एसवीबी और सिग्नेचर की विफलता अमेरिकी बैंकिंग इतिहास की तीन सबसे बड़ी विफलताओं में से दो रहीं.

खास बात है कि अमेरिकी ट्रेजरी विभाग और अन्य बैंक नियामकों ने एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि सिग्नेचर बैंक और सिलिकॉन वैली बैंक के सभी जमाकर्ताओं का भुगतान किया जाएगा और करदाताओं को कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा.

बता दें कि अमेरिका इन बैंकों के अचानक बंद होने का असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर तो पड़ेगा ही साथ ही वहां की बैंकिंग व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो गए हैं. बैंकिंग व्यवस्था के नियामक की निगरानी पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं. फेडरल रिजर्व आखिर क्या कर रहा था कि अचानक बैंकों के बंद होने की नौबत आ गई है. आश्चर्यजनक रूप से अभी 7 मार्च को ही एसवीबी फाइनेंशियल ग्रुप ने फोर्ब्स की सूची में लगातार शामिल होने पर गर्व की बात कही थी. 40 साल से चल रहे इस बैंक के अब बंद होने की खबरें हैं.

लेखक NDTV Profit Desk
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