बैंक हड़ताल से वित्तीय गतिविधियां प्रभावित

27 सरकारी, 12 निजी और आठ विदेशी बैंकों में हड़ताल का असर शेयर, बॉन्ड और विदेशी विनिमय बाजारों पर भी पड़ा।

देश के अधिकतर सरकारी, कुछ निजी और विदेशी बैंकों के कर्मचारियों के बुधवार को दो दिवसीय हड़ताल पर चले जाने से वित्तीय गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं। हड़ताली कर्मचारी क्षेत्र में सुधार और गैर प्रमुख सेवाओं की आउटसोर्सिंग का विरोध कर रहे थे।

27 सरकारी, 12 निजी और आठ विदेशी बैंकों में हड़ताल का असर शेयर, बॉन्ड और विदेशी विनिमय बाजारों पर भी पड़ा।

ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाईज एसोसिएशन (एआईबीईए) ने कहा कि मंगलवार को नई दिल्ली में श्रम आयुक्त के साथ वार्ता विफल होने के बाद 10 लाख से अधिक बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहे।

एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने एक बयान में कहा, "हड़ताल देशभर में सफल रही। बैंकिंग सेवाएं चरमरा गईं।" हड़ताल का अधिक प्रभाव कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर पर पड़ा।

युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक्स यूनियंस (यूएफबीयू) कर्नाटक के समन्वयक बीएस रविंद्र ने बेंगलुरु में कहा, "हड़ताल की घोषणा को काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली। नई नियुक्ति और प्रोन्नति जैसी हमारी पुरानी मांगों के समर्थन में राज्यभर में 50 हजार से अधिक कर्मचारियों और अधिकारियों ने काम नहीं किया।"

हड़ताल ऐसे समय में हो रही है जब सरकार बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2011 पर विचार करने वाली है। विधेयक में निजी बैंकों में शेयर धारकों के मताधिकार को 10 फीसदी से बढ़ाकर 26 फीसदी किए जाने का प्रावधान है।

फोरम ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक को मंजूरी मिलने से बैंकों की ग्रामीण शाखाएं बंद हो जाएंगी, और अत्यधिक छोटी शाखाओं का सिलसिला शुरू होगा। इससे ठेका आधार पर ग्रामीण बैंकिंग गतिविधि का निजीकरण होगा।

बैंक कर्मचारी गैर-प्रमुख कार्यों की बाहरी एजेंसियों को आउटसोर्सिंग और अन्य श्रमिक विरोधी नीतियों का भी विरोध कर रहे हैं। उनके मुताबिक इससे कर्मचारियों की छंटनी हो सकती है, जिससे सरकार पर उनकी दबाव बनाने की क्षमता घट जाएगी।

हड़ताल से ग्राहक सेवा, विदेशी मुद्रा के लेन-देन, आयात-निर्यात और स्थानीय बिल, चेकों के समाशोधन, बैंक लॉकर से सम्बंधित कार्य, पूंजी बाजारों और बैंक द्वारा चलाई जाने वाली सभी गतिविधियों पर असर पड़ा। इस दौरान अधिकतर स्थानों पर लोगों को नकदी के लिए एटीएम पर निर्भर रहना पड़ा, तो पश्चिम बंगाल में अधिकतर एटीएम के भी शटर गिरे रहे।

हड़ताल के कारण मध्य प्रदेश में तमाम बैंकों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा और आम ग्राहक को एटीएम पर निर्भर रहना पड़ा।

राजधानी भोपाल में तमाम बैंकों के कर्मचारी ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के मुख्यालय के बाहर जमा हुए और उन्होंने जमकर नारेबाजी की। बैंक कर्मचारियों की इस दो दिवसीय हड़ताल में राज्य की साढ़े पांच हजार शाखाओं के कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।

पश्चिम बंगाल में अधिकतर सरकारी और निजी बैंकों के एटीएम के भी शटर गिरे देखे गए, क्योंकि मशीन की सुरक्षा में लगे गार्ड भी हड़ताल में शामिल रहे।

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) (पश्चिम बंगाल इकाई) के महासचिव गौतम बोस ने कहा, "करीब 10 हजार बैंककर्मी आज (बुधवार) हड़ताल में शामिल हुए। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और कॉपरेटिव बैंक की शाखाओं को छोड़कर लगभग सभी बैंकों की शाखाएं बंद रहीं।"

बोस ने कहा, "एटीएम बंद हैं क्योंकि मशीन की रक्षा करने वाले गार्ड भी दो संगठनों से जुड़े हुए हैं और वे संगठन भी हड़ताल में शामिल हैं।"

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बैंकों में सुबह से ताले लटके मिले। नकदी के लिए लोगों को एटीएम पर निर्भर होना पड़ा। बैंकों की अलग-अलग यूनियनों के पदाधिकारी हजरतगंज स्थित इलाहाबाद की मुख्य शाखा पर एकत्र हुए और केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की। हड़ताल में राज्य के विभिन्न बैंकों की करीब 10 हजार शाखाओं के तकरीबन डेढ़ लाख बैंककर्मी शामिल हुए।

लेखक NDTV Profit Desk
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