10 Years Of PM Modi: 17 साल से अटके GST बिल को मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही लागू किया

10 Years of Modi: मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में वापसी का दम भर रही है.

भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र की परिकल्पना के साथ चल रहा है. कोई भी राष्ट्र जब ऐसा ऊंचा लक्ष्य लेकर चलता है तो इसके लिए जरूरी है कि उसने इसे हासिल करने के लिए पुख्ता जमीन तैयार की हो, पॉलिसी और सामाजिक स्तर पर ठोस फैसले लिए हों और आगे भी हर जरूरी कदम उठाने में न हिचकिचाए.

विकास एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है, इसे बनाए रखना जरूरी होता है. फिलहाल देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं, आगे किसकी सरकार होगी और नई सरकार क्या कदम उठाएगी, ये तो 4 जून को साफ हो ही जाएगा. लेकिन मोदी सरकार ने अपने 10 साल के कार्यकाल में विकास के पहिए की रफ्तार बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए हैं और उनका क्या असर हुआ है, इस पर हम आपके लिए '10 Years Of PM Modi' सीरीज लेकर आए हैं.

साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने देश की सत्ता संभाली थी, मोदी सरकार ने अपने पहले ही कार्यकाल में इनडायरेक्ट टैक्स को लेकर सबसे बड़ा रिफॉर्म किया था. 1 जुलाई 2017 को देश भर में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) को लागू किया गया.

ये वन नेशन वन टैक्स की दिशा में सबसे ठोस कदम था. हालांकि GST की परिकल्पना मोदी सरकार की नहीं थी, साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान केलकर टास्क फोर्स ने पहली बार इसका प्रस्ताव दिया था.

मकसद था राज्यों के बीच सेल्स टैक्स को लेकर झगड़े को खत्म करना और हर चीज पर लग रहे अलग-अलग टैक्स को एक ही टैक्स ढांचे में ढालना. इस सोच को मूर्त रूप देने के लिए इम्पावर्ड कमिटी का गठन किया गया था, जो नियमों को ड्राफ्ट करती है. इस कमिटी में राज्यों के वित्त मंत्री शामिल थे. इस इम्पावर्ड कमिटी ने साल 2009 में पहली बार पहला डिस्कशन पेपर जारी किया था.

GST बिल पास होने में लग गए 17 साल

केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कई साल तक चली बहस और चर्चा के बाद मोदी सरकार में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिसंबर 2014 में GST बिल को संसद के पटल पर रखा, मई 2015 में लोकसभा से GST बिल पास हो गया, लेकिन राज्य सभा में अटक गया. फिर इसमें कुछ बदलाव किए गए, कुछ संशोधनो के साथ अगस्त 2016 में इसे लोकसभा से पास करवाया गया. ऐसा करते करते इसे लागू करने में 17 साल लग गए.

अंत में जुलाई, 2017 में इसे लागू किया गया, जिसे UPA सरकार भी अपने दो टर्म में GST को लागू नहीं करवा सकी. इसके लागू होने के बाद तमाम तरह के टैक्स जैसे VAT, एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स वगैरह खत्म हो गए और GST में ही समा गए. कहा गया कि इस कदम से व्यापारियों और कारोबारियों से कंप्लायंस का बोझ कम हो जाएगा.

GST सेवाओं और वस्तुओं पर लगता है. किस पर कितना टैक्स लगेगा, इसे कई कैटेगरी में बांटा गया और उन्हें अलग अलग टैक्स स्लैब में डाला गया. सरकार ने सरकार ने 5%, 12%, 18%, और 28% का टैक्स स्लैब बनाया. कुछ जरूरी चीजों को GST के दायरे से बाहर भी रखा गया

राज्यों को मनाना बड़ी चुनौती बनी

जो काम बीते 17 वर्षों के दौरान नहीं हुआ, उसे मोदी सरकार ने अपने पहले ही कार्यकाल में करके दिखा दिया. इससे दो संदेश गए, पहला तो ये कि सरकार इनडायरेक्ट टैक्स सिस्टम को सरल करके उद्योग जगत के लिए बिजनेस करना आसान बनाना चाहती है, दूसरा इससे टैक्सेशन सिस्टम में पारदर्शिता आएगी और सरकार की कमाई भी बढ़ेगी, साथ ही वर्षों से चले आ रहे राज्यों के टैक्स विवाद भी सुलझेंगे. हालांकि ये आसान काम नहीं था, जो चुनौतियां UPA सरकार के कार्यकाल के दौरान थीं, वो मोदी सरकार के समय भी मुंह फाड़े खड़ी थीं. सबसे बड़ी चुनौती थी, राज्यों का विरोध.

राज्यों को लगता था कि केंद्र सरकार उनसे वस्तुओं पर टैक्स तय करने का अधिकार छीनना चाहती है, इससे उनकी टैक्स कमाई तो घटेगी ही, शक्तियां भी कम होंगी. राज्य कई सारी चीजों पर अपना टैक्स लगाते थे, GST लागू होने के बाद ये सारे टैक्स खत्म हो जाते.

मोदी सरकार ने सभी राज्यों और विपक्षी पार्टियों को मनाया और उन्हें भरोसे में लिया. सरकार ने GST काउंसिल का गठन किया, जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को शामिल किया गया. समय-समय पर बैठकें हुईं और राज्य की सहमति पर कई बदलाव भी किए गए.

राज्य GST के लागू होने से घबराते थे कि उनका टैक्स रेवेन्यू घट जाएगा, GST की वजह से राज्यों का रेवेन्यू कम न हो इसके लिए सरकार ने 5 साल तक मुआवजे का भी प्रावधान किया.

GSTN पोर्टल से काम आसान, टैक्स चोरी रुकी

GST सिस्टम को लागू करने के लिए एक IT सिस्टम तैयार किया गया, जिसका नाम है GSTN. ये कॉमन पोर्टल GST की रीढ़ की हड्डी है क्योंकि ये सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश और केंद्र सरकार को मैनज करता है. शुरू शुरू में ये कई बार क्रैश हुआ, इसमें कई सुधार किए गए. इस कॉमन पोर्टल से टैक्स फाइलिंग आसान हुई है, ई-इनवॉयसिंग और ई-वे बिल से सामानों की आवाजाही ज्यादा सुगम और पारदर्शी हुई है, साथ ही टैक्स की चोरी भी रुकी.

पहले 8 महीने में 7.19 लाख करोड़ का रेवेन्यू

GST का सिस्टम कितना कामयाब रहा, इसको ऐसे समझिए कि अगस्त, 2017 से लेकर मार्च 2018 तक GST कलेक्शन 7,19,078 करोड़ रुपये रहा. इस अवधि के दौरान औसत GST रेवेन्यू 89,885 करोड़ रुपये था. इसके बाद अप्रैल, 2018 में GST कलेक्शन और रफ्तार पकड़ी. FY2019 के पहले महीने यानी अप्रैल 2018 में GST कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपये के पार निकल गया.

समय के साथ GST कलेक्शन में भी तेजी आई है. अप्रैल 2024 में GST कलेक्शन ने पहली बार 2 लाख करोड़ रुपये की कीर्तिमान को पार किया है. अप्रैल में GST कलेक्शन 2.10 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो कि एक नया रिकॉर्ड है. इसके पहले अप्रैल 2023 में 1.87 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड GST कलेक्शन हुआ था. आंकड़े बताते हैं कि बीते 7 वर्षों में जबसे GST लागू हुआ है, हर साल कलेक्शन में इजाफा देखने को मिला है, सिर्फ वित्त वर्ष 2020-21 को छोड़कर, क्योंकि ये कोविड का दौर था.

GST से पहले और बाद, कैसे बदला टैक्स कलेक्शन

1 जुलाई, 2017 से GST लागू हुआ, इसके पहले इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में काफी लीकेज थे, इसका पता सालाना टैक्स कलेक्शन को देखकर चलता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2008-09 में इनडायरेक्टर टैक्स कलेक्शन सिर्फ 2.64 लाख करोड़ रुपये था, ये कभी बढ़ा और कभी घटा, GST लागू होने के ठीक एक साल पहले ये 8.6 लाख करोड़ तक पहुंचा था. जबकि GST साल लागू हुआ, उसके 8 महीनों में ही कलेक्शन 7.19 लाख करोड़ रुपये के पार निकल चुका था.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण खुद बताती हैं कि GST ने 2018-19 और 2022-23 के बीच राज्यों के राजस्व को पहले के टैक्स सिस्टम के मुकाबले 9 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ाया है. राज्यों को SGST (State GST) का 100% टैक्स मिलता है, जो उन्होंने राज्यों के अंदर कलेक्ट किया है, करीब 50% IGST का मिलता है और CGST का 42% हिस्सा मिलता है, जो कि वित्त आयोग की सिफारिशों के हिसाब से है.

वित्त मंत्री ने बताया कि 'मुआवजा खत्म होने के बावजूद, राज्यों का रेवेन्यू 1.15 लाख करोड़ रुपये पर बना हुआ है. अगर GST नहीं होता तो 2018-19 से 2023-24 के दौरान पुराने टैक्स सिस्टम से हुआ कलेक्शन 37.5 लाख करोड़ रुपये होता, लेकिन GST की वजह से राज्यों का वास्तविक रेवेन्यू 46.56 लाख करोड़ रुपये है.'

100 बात की एक बात यही है कि GST को देश में लागू करवाना एक बेहद जटिल काम था, जिसे मोदी सरकार ने बखूबी पूरा किया है. इसका फायदा अब राज्यों और कारोबारों को दिख रहा है. टैक्स को लेकर विवाद कम हुए हैं और पारदर्शिता भी बढ़ी है.

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