सिस्टम में लिक्विडिटी सरप्लस, फिर भी बैंकों ने RBI से CRR में कटौती की मांग क्यों की?

जनवरी से ही रिजर्व बैंक ने बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी की स्थिति सुधारने के लिए कई कदम उठाए हैं.

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बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी की स्थिति को बेहतर करने के लिए बैंक ट्रेजरी अधिकारियों ने रिजर्व बैंक से गुजारिश की है कि कैश रिजर्व रेश्यों (CRR) में कटौती की जाए. मामले की जानकारी रखने वाले दो बैंकर्स ने NDTV प्रॉफिट को ये बताया है.

CRR में 50bps की कटौती की मांग

दोनों बैंकर्स ने अपनी पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि पिछले हफ्ते एक बैठक हुई थी, इसी बैठक में बैंकर्स ने ये बात रखी. इस बैठक में ये दोनों बैंकर्स भी शरीक हुए थे. इनमें से एक बैंकर ने बताया कि बैंकर्स ने रिजर्व बैंक से कहा कि ज्यादा टिकाऊ लिक्विडिटी प्रवाह के लिए CRR में कटौती करे. बैंकर ने बताया कि बैंकों ने रिजर्व बैंक से CRR में 50bps की कटौती करके इसे 3.5% करने की अपील की.

आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने 6 दिसंबर की पॉलिसी में कैश रिजर्व रेश्यो को 50 bps घटाकर 4% कर दिया था. बैंकर्स ने कहा कि इस कटौती के बावजूद कॉल मनी रेट्स ऊंचे बने हुए हैं, इसलिए जरूरी है कि CRR में और कटौती की जाए.

जनवरी से ही रिजर्व बैंक ने बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी की स्थिति सुधारने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें गवर्नमेंट सिक्योरिटीज से ओपन मार्केट खरीद, डॉलर-रूपी BUY/SELL स्वैप ऑक्शन और लॉन्ग टर्म वैरिएबल रेपो रेट ऑक्शन शामिल है.

क्रेडिट ग्रोथ पर पड़ा असर

बैंकर्स ने कहा कि हालांकि, पिछले महीने दरों में बढ़ोतरी ने क्रेडिट ग्रोथ को काफी प्रभावित किया. बुधवार को वेटेड एवरेज ओवरनाइट कॉल रेट 6.28% था, जबकि 18 मार्च को वन-डे कॉल रेट 6.40% था और 1 जनवरी को 6.55% था.

30 मार्च को बैंकिंग सिस्टम की लिक्विडिटी तीन महीनों में पहली बार सरप्लस होकर 89,398 करोड़ रुपये हो गई. मंगलवार को RBI ने ऐलान किया कि गुरुवार से 80,000 करोड़ रुपये के गवर्नमेंट बॉन्ड्स की OMO खरीदारी करेगी, ये खरीद चार चरणों में की जाएगी.

एक बैंकर ने बताया कि गुरुवार को एक बैठक में, रिजर्व बैंक मौजूदा लिक्विडिटी मैनेजमेंट फ्रेमवर्क में बदलाव को लेकर एक चर्चा कर सकता है. RBI ने प्रस्तावित संशोधनों पर फीडबैक लेने के लिए एक बैठक बुलाई है. बैठक में बैंक उधारी के लिए फिक्स्ड रेपो विंडो की मंजूरी देने और लॉन्ग टर्म की जगह छोटे मैच्योरिटी वैरिएबल्स रेपो रेट ऑक्शन के प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है.

बैंकर्स ने कहा कि RBI ऐसे समय में जब इकोनॉमिक ग्रोथ धीमी हो रही है, लिक्विडिटी एश्योरेंस देने और क्रेडिट विस्तार के लिए कोशिश कर रहा है.

अब चर्चा है कि अगर बैंक फंडिंग का लक्ष्य पूरा करना है तो इसे पॉलिसी रेट पर मुहैया कराया जाना चाहिए क्योंकि इससे लिक्विडिटी की निश्चितता बढ़ती है, ऐसे समय में जब भारत में तेजी से हो रहे डिजिटलीकरण जैसे 24x7 पेमेंट ऑप्शंस के कारण जमा निकासी पर अस्पष्टता है. रिजर्व बैंक मॉनिटरी पॉलिसी 9 अप्रैल को अपनी अगली पॉलिसी की घोषणा करने के लिए बैठक करेगी.