RBI Monetary Policy: रिजर्व बैंक ने अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में कई बड़े फैसले लिए हैं. जिनमें रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्स के साथ कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में 100 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती भी शामिल है. इस ऐलान के बाद CRR की दर 4% से घटकर 3% पर आ गई है. इसे रिजर्व बैंक का एक बड़ा फैसला माना जा रहा है क्योंकि दिसंबर 2025 तक बैंकिंग सिस्टम में 2.5 लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी बढ़ेगी.
बैंक ज्यादा से ज्यादा दे पाएंगे लोन
CRR कम होने से बैंक ज्यादा से ज्यादा लोन ग्राहकों को दे सकते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि, 'कटौती 25 BPS की चार बराबर किस्तों में की जाएगी. इसकी शुरूआत 6 सितंबर से होगी. फिर 4 अक्टूबर, 1 नवंबर और चौथी और आखिरी कटौती 29 नवंबर को होगी.
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कही ये बातें
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि 'इससे बैंकों के पास लोन देने के लिए ज्यादा पैसा उपलब्ध होगा. बैंक के फंड की लागत भी कम होगी. रिजर्व बैंक बैंकिंग प्रणाली में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए हर काम कर रहा है. मैं दोहराना चाहूंगा कि हम लिक्विडिटी और वित्तीय बाजार स्थितियों पर नजर रखना जारी रखेंगे और आवश्यकतानुसार जरूरी कदम उठाएंगे.'
ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि RBI 2025 की शुरुआत से ही वेरिएबल रेट रेपो ऑक्शन , डॉलर-रुपया खरीद/बिक्री स्वैप और ओपन मार्केट ऑपरेशन्स के जरिए बैंकिंग प्रणाली में लिक्विडिटी बढ़ा रहा है. 5 जून तक बैंकिंग प्रणाली में लिक्विडिटी सरप्लस के साथ 3.03 लाख करोड़ रुपये थी.
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'लिक्विडिटी बढ़ने से मॉनेटरी ट्रांसमिशन रहेगा आसान'
कोटक महिंद्रा बैंक की चीफ इकॉनॉमिस्ट उपासना भारद्वाज ने कहा, 'CRR में कटौती से लिक्विडिटी बढ़ने से मॉनेटरी ट्रांसमिशन आसान रहेगा. इस फैसले से मौद्रिक नीति का असर क्रेडिट मार्केट तक तेजी से पहुंचेगा.'
उपासना भारद्वाज ने जानकारी दी कि, 'CRR में कटौती करने के बाद रिजर्व बैंक का रुख अब न्यूट्रल है. साथ ही आने वाले भविष्य के फैसले ग्लोबल परिस्थितियों और डेटा को देखते हुए होंगे.'
RBI की MPC ने लगातार तीसरी बार बेंचमार्क रेपो रेट में 50 bps की कटौती की. इससे पहले कटौती फरवरी 2025 में की गई थी, उसके बाद अप्रैल में दूसरी कटौती की गई.
रेपो दर अब 5:1 बहुमत के साथ 5.5% पर है. सौगत भट्टाचार्य ने रेपो रेट में 25 bps कटौती के लिए वोट दिया था, जबकि अन्य ने 50 बीपीएस कटौती के लिए वोट दिया.
स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी रेट (SDFR) 5.25% है, जो रेपो रेट से 25 bps कम है. मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSFR) की दर 5.75% है जो रेपो दर से 25 bps ज्यादा है.