छोटे बैंकों पर रैंसमवेयर हमले का मुद्दा गुरुवार तक सुलझ जाएगा!

टेक्नोलॉजी सर्विस प्रोवाइडर की वेबसाइट कल से ही एक्सेस में नहीं है, C-एज टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और भारतीय स्टेट बैंक का एक ज्वाइंट वेंचर है.

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C-एज टेक्नोलॉजीज पर रैंसमवेयर हमले और रिटेल पेमेंट सिस्टम से संबंधित अलगाव को गुरुवार तक हल किया जा सकता है. मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने NDTV प्रॉफिट को ये जानकारी दी है.

रैंसमवेयर हमले में क्या हुआ था

बुधवार को, C-एज टेक्नोलॉजीज पर रैंसमवेयर हमले के बाद, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने कंपनी को रिटेल पेमेंट सिस्टम्स से अलग कर दिया था. इसका मतलब ये था कि टेक्नोलॉजी कंपनी किसी भी रिटेल लेनदेन को प्रोसेस नहीं कर सकती थी.

C-एज टेक्नोलॉजीज करीब 300 छोटी को-ऑपरेटिव समितियों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को IT सेवाएं देती है. इन बैंकों के ग्राहक आइसोलेशन के दौरान कोई भी लेन-देन नहीं कर पा रहे थे. इसम समय, C-एज टेक्नोलॉजीज की सेवाओं का फायदा उठाने वाले बैंकों के ग्राहक यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) और रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) जैसी सेवाओं तक पहुंचने में असमर्थ हैं.

टेक्नोलॉजी सर्विस प्रोवाइडर की वेबसाइट कल से ही एक्सेस में नहीं है, C-एज टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और भारतीय स्टेट बैंक का एक ज्वाइंट वेंचर है.

NPCI को C-एज का फॉरेंसिक ऑडिट करवाना पड़ सकता है, हालांकि, मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबिक, इस मामले में कोई भी फैसला अभी कुछ हफ्तों में लिया जाएगा. आमतौर पर, बैंकिंग टेक्नोलॉजी सर्विस प्रोवाइडर को अपनी साइबर सुरक्षा सिस्टम के रेगुलेटर सर्टिफिकेशन से गुजरना पड़ता है. ये सर्टिफिकेट इस बात की पुष्टि करते हैं कि कोई सिस्टम साइबर सुरक्षा के लिए जरूरी मानकों को पूरा कर रहा है या नहीं.

PTI के साथ एक इंटरव्यू में नेशनल को-ऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया के चेयरमैन दिलीप संघानी ने कहा कि C-एज के टेक्नोलॉजी प्लेटफार्म्स का इस्तेमाल करने वाले लेंडर्स को 29 जुलाई से रुकावटों का सामना करना पड़ा रहा है. कंपनी ने तब इसे एक तकनीकी मुद्दा बताया था.