RBI ने शहरी को-ऑपरेटिव बैंकों की सेहत सुधारने के लिए सुझाया रास्‍ता, ये हैं प्रस्‍ताव

RBI ने प्रस्ताव दिया है कि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की ओर से जारी किए गए शेयर, डिबेंचर और बॉन्ड्स को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट किया जा सके.

Source: NDTV Profit

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शहरी को-ऑपरेटिव बैंकों (UCBs) की सेहत सुधारने के लिए एक डिस्कशन पेपर जारी किया है. इसमें शहरी सहकारी बैंकों के पूंजी जुटाने के लिए कुछ प्रस्‍ताव दिए गए हैं. वर्किंग ग्रुप की सिफारिशों के आधार पर ये कदम उठाया गया है.

RBI ने प्रस्ताव दिया है कि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की ओर से जारी किए गए शेयर, डिबेंचर और बॉन्ड्स को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट किया जा सके. अभी तक इन बैंकों की ओर से जारी किए गए ऐसे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स को शेयर बाजार में लिस्‍ट नहीं किया जा सकता.

इससे क्या फायदा होगा?

  • इन सिक्योरिटीज को लिस्ट करने से ये बैंक SEBI के नियमों के अंतर्गत आ जाएंगे. इससे बेहतर पारदर्शिता, निवेशकों की सुरक्षा और मजबूत प्रकटीकरण प्रणाली सुनिश्चित होगी.

  • स्टॉक एक्सचेंज का आधुनिक टेक प्लेटफॉर्म इन बैंकों की सिक्योरिटीज की तरलता (liquidity) और सही मूल्य निर्धारण (price discovery) को बेहतर बनाएगा.

  • एक सेंट्रलाइज्ड ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए सभी अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की सिक्योरिटीज तक एक ही जगह से पहुंच होगी.

  • अभी तक इनके शेयर आमतौर पर सिर्फ वेबसाइट्स या लोकल माध्यमों पर ट्रेड होते हैं, जिससे निवेशकों की भागीदारी सीमित रहती है.

कुछ चुनौतियां भी हैं

डिस्कशन पेपर में जो प्रस्‍ताव दिए गए हैं, उनकी राह में कुछ चुनौतियां भी हैं. इसमें कहा गया है कि

  • लिस्टिंग के लिए कई कानूनी बदलाव और अलग-अलग कानूनों में संशोधन की जरूरत होगी.

  • छोटे अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों पर इससे नियमों और अनुपालन (compliance) का अतिरिक्त बोझ भी बढ़ेगा.

  • हर बैंक अपने-अपने तरीके से ट्रेडिंग करता है, जिससे असंगति और जटिलताएं बढ़ती हैं. स्टॉक एक्सचेंज एकरूपता लाएगा- खुलासे, ट्रेडिंग रूल्स और सेटलमेंट प्रोसेस में.

पिछले साल की गई थी घोषणा

अक्टूबर 2024 में RBI ने इस विषय पर एक डिस्कशन पेपर लाने की घोषणा की थी. ये निर्णय NS विश्वनाथन (RBI के पूर्व डिप्टी गवर्नर) की अध्यक्षता वाली प्राथमिक अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों पर विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया था.

इसके बाद RBI ने एक वर्किंग ग्रुप गठित किया, ताकि पूंजी से जुड़े नए प्रावधानों को व्यवहार में लाया जा सके.

ये प्रस्ताव, यदि लागू होते हैं तो अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों के लिए पूंजी जुटाने का बड़ा और पारदर्शी रास्ता खोलेगा, जिससे इन बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत हो सकती है और निवेशकों का भरोसा भी बढ़ेगा.

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