एंटी ट्रस्ट से जुड़े तमाम मामले में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में दिग्गज कंपनी गूगल की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. अब ECJ (यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस) में कंपनी को 'शॉपिंग सर्विस केस' में हार का सामना करना पड़ा है.
मामला यूरोपियन यूनियन द्वारा 2017 में लगाए गए 2.4 बिलियन यूरो के जुर्माने से जुड़ा है. दरअसल EU कंपिटीशन कमिश्नर ने गूगल को शॉपिंग सर्विस कंपिटीशन को कुचलने के लिए अपनी मोनोपोली पावर का इस्तेमाल करने का दोषी पाया था.
अब लक्जमबर्ग स्थित ECJ ने यूरोपियन यूनियन के फैसले पर मुहर लगाई है. दरअसल गूगल को अवैध तरीके से अपने सर्च इंजन के प्रभुत्व का इस्तेमाल कर अपनी प्रोडक्ट लिस्टिंग को ऊपर रैंक करने का दोषी पाया गया था.
गूगल पर तीन फैसलों में लगा 8 बिलियन यूरो का जुर्माना
बता दें गूगल के खिलाफ ये उन तीन फैसलों में से पहला था, जिनके तहत कुल 8 बिलियन यूरो का जुर्माना लगाया गया था.
ये सारी कार्रवाईयां यूरोपियन यूनियन की कंपिटीशन कमिश्नर मारग्रेट वैस्टैगर के कार्यकाल में हुई हैं. उनकी नियुक्ति 2014 में हुई थी. दरअसल गूगल पर अपने प्रोडक्ट्स के लिए मोनोपोली बनाने के आरोप लगते रहे हैं.
शॉपिंग केस के बाद गूगल पर 2018 में एंड्रॉयड मोबाइल फोन्स और टैबलेट्स में प्रतिस्पर्धी ऐप्स और वेब ब्राउजर्स को इंस्टाल होने से रोकने के लिए रिस्ट्रिक्टिव कॉन्ट्रैक्ट करने का आरोप लगा. इस केस में गूगल पर 4.3 बिलियन यूरो का जुर्माना लगाया गया.
फिर एक साल के भीतर तीसरे मामले में गूगल पर 1.49 बिलियन यूरो का जुर्माना लगा. दरअसल इस मामले में गूगल पर एडवर्टाइजिंग प्रतिस्पर्धियों को अवैध तरीके से रोकने के आरोप लगे.
इनके मुताबिक गूगल ने सर्च प्रोडक्ट्स की ऑनलाइन एडवर्टाइजिंग के लिए अपने एडसेंस टूल का एक्सक्लूसिव एग्रीमेंट करवाने का आरोप था.