केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा (Fiscal deficit )जनवरी के अंत तक पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य के 67.8 प्रतिशत पर पहुंच गया है। मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार, वास्तविक मूल्य में चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से जनवरी की अवधि में राजकोषीय घाटा 11.9 लाख करोड़ रुपये रहा है. इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की समान अवधि में राजकोषीय घाटा उस साल के बजट (Budget) के संशोधित अनुमान का 58.9 प्रतिशत रहा था. पूरे वित्त वर्ष 2022-23 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 17.55 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 6.4 प्रतिशत है.
आपको बता दें कि खर्च और राजस्व के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है. सीजीए के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के पहले 10 माह में नेट टैक्स क्लेक्शन 16,88,710 करोड़ रुपये रहा है. यह 2022-23 के संशोधित बजट अनुमान का 80.9 प्रतिशत है. पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में नेट टैक्स क्लेक्शन 2021-22 के संशोधित अनुमान का 87.7 प्रतिशत रहा था. इस दौरान सरकार का कुल खर्च 31.67 लाख करोड़ रुपये या 2022-23 के संशोधित अनुमान का 75.7 प्रतिशत रहा है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) ने एक फरवरी को लोकसभा में पेश बजट में 2023-24 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 5.9 प्रतिशत रखा है. चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को जीडीपी के 6.4 प्रतिशत पर कायम रखा गया है.