भारत ने चीन की कंपनियों को नई दिल्ली में निवेश के लिए आमंत्रित करते हुए उनसे यहां विनिर्माण इकाइयां लगाने को कहा है। इससे दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार घाटे को कम किया जा सकेगा, जो 2013-14 में 36 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) में सचिव अमिताभ कांत ने चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे पर चिंता जताते हुए कहा कि चीन की कंपनियों के लिए भारत में अपनी विनिर्माण इकाइयां लाने के लिए काफी संभावनाएं हैं।
कांत ने कहा, 'यह महत्वपूर्ण है कि चीन की कंपनियां यहां निवेश करने आएं, क्योंकि व्यापार असंतुलन को दीर्घावधि में झेला नहीं जा सकता। इस कारोबार को करना तब तक मुश्किल होगा जब तक कि चीन की कंपनियां अपनी विनिर्माण इकाइयों को यहां नहीं लाती हैं और भारत से वैश्विक बाजार में नहीं पहुंचती हैं। वह फिक्की की भारत-चीन व्यापार सहयोग सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा के संस्थापक जैक मा भी इस मौके पर मौजूद थे।
भारत-चीन व्यापार 2013-14 में 65.85 अरब डॉलर रहा है। चीन से भारत का आयात जहां 51.03 अरब डॉलर रहा, वहीं भारत से चीन को निर्यात 14.82 अरब डॉलर रहा। कांत ने कहा कि भारत सरकार ने कारोबारी माहौल को सुधारने तथा व्यापार में सुगमता के लिए कई कदम उठाए हैं।