नए कंपनी विधेयक को संसद की मंजूरी, सामाजिक दायित्व पर जोर

संसद ने गुरुवार को नए कंपनी विधेयक को मंजूरी दे दी। विधेयक में अनुपालन, पारदर्शिता को बढ़ाने, स्वनियमन को बढ़ावा देने और कारपोरेट सामाजिक दायित्व को बाध्यकारी बनाए जाने का प्रावधान है।

संसद ने गुरुवार को नए कंपनी विधेयक को मंजूरी दे दी। विधेयक में अनुपालन, पारदर्शिता को बढ़ाने, स्वनियमन को बढ़ावा देने और कारपोरेट सामाजिक दायित्व को बाध्यकारी बनाए जाने का प्रावधान है।

राज्यसभा में विधेयक गुरुवार को पारित हुआ, जबकि लोकसभा ने पिछले साल 18 दिसंबर को इसे पारित कर दिया था।

अब इस विधेयक को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कंपनी मामलों का मंत्रालय एक अधिसूचना जारी करेगा, जिसके बाद यह कानून का दर्जा हासिल कर लेगा।

कानून बन जाने के बाद यह करीब छह दशक पुराने कंपनी अधिनियम 1956 की जगह ले लेगा।

राज्यसभा में इस विधेयक पर हुई चर्चा के जवाब में कंपनी मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने कहा कि यह विधेयक देश के कारपोरेट गवर्नेस को 21वीं सदी के कारोबारी माहौल के उपयुक्त बनाता है।

पायलट ने कहा कि विधेयक विकासशील है और इसमें पारदर्शिता तथा अनुपालन बढ़ाने पर मुख्य जोर दिया गया है।

उन्होंने कहा, "अगले दो से तीन दशकों तक यह अर्थव्यवस्था को सकारात्मकता देगा।" उन्होंने कहा कि इस पर सभी पक्षों की राय ली गई थी।

विधेयक लोकसभा में सर्वप्रथम अगस्त 2009 में पेश किया गया था। एक महीने बाद इसे वित्त पर स्थायी समिति के हवाले कर दिया गया था। इसे वापस लोकसभा में कंपनी विधेयक 2011 के रूप में लाया गया। लेकिन इसके बाद फिर से इसे स्थायी समिति के हवाले कर दिया गया।

जून 2012 में स्थायी समिति द्वारा रिपोर्ट जमा कर दिए जाने के बाद इसे लोकसभा ने पारित कर दिया।

लेखक NDTV Profit Desk
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