देश की सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) अपने ऑल टाइम हाई से 23% से अधिक गिर चुकी है. इस साल जुलाई में कंपनी ने ऑल टाइम हाई छुआ था.
अगर कंपनी इस कैलेंडर ईयर के बाकी 5 कारोबारी दिनों में 5% चढ़ने में नाकाम रहती है, तो ये न केवल कोविड महामारी के बाद से अब तक की सबसे लंबे मासिक गिरावट का रिकॉर्ड बनाएगी, बल्कि पिछले 10 साल में पहली बार निगेटिव रिटर्न भी दर्ज करेगी.
इस बीच, भारत की सबसे बड़ी IT कंपनी TCS और मार्केट कैप के हिसाब से सबसे बड़ा बैंक, HDFC बैंक, रिलायंस से पहला स्थान छीनने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
इस साल की शुरुआत में HDFC बैंक ने 1,750 रुपये/शेयर का स्तर पार कर लिया था, लेकिन ये एक ऐसा स्तर था जिसे पार करने के लिए बैंक तीन साल से स्ट्रल कर रहा था. हालांकि अब बैंक लगातार 11वें साल में पॉजिटिव रिटर्न देने की तैयारी में है.
टेक दिग्गज TCS ने इस साल 10% से ज्यादा का रिटर्न दिया है. और ये भी सालों से मार्केट कैप के हिसाब से देश की सबसे बड़ी कंपनी को उसकी जगह से हटाने के लिए बेताब है.
IT कंपनियां के लिए ग्लोबल स्तर पर मैक्रो इकोनॉमिक भी स्थिति बेहतर दिख रही है. US फेड दरों में कटौती से भी इनके लिए स्थिति सुधरी है. HDFC बैंक भी HDFC के साथ मर्जर के बाद इससे मिल रहे फायदे को भुनाने के लिए तैयार दिख रहा है.
दूसरी ओर, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने ब्लेंडेड फॉरवर्ड 12 मंथ बेसिस पर अपनी आय के लिए आम सहमति अनुमानों में गिरावट देखी है. यानी कि अगले 12 महीने के आधार पर ब्रोकर्स के बीच कंपनी की EPS में गिरावट का अनुमान है, जैसा कि नीचे दिए गए चार्ट में दिखाया गया है.
चालू वित्त वर्ष की शुरुआत से अगले साल के लिए रिलायंस ग्रुप के प्रति शेयर आय (Earning Per Share) अनुमानों में 16% की गिरावट आई है.
भले ही विश्लेषक कंपनी के लिए कम आय अनुमानों को ध्यान में रखते हों, लेकिन आम सहमति पर प्राइस टारगेट अभी भी 30% से अधिक की ग्रोथ का संकेत देता है, जो कि करीब 5 वर्षों में स्टॉक पर उनका सबसे अधिक आशावादी नजरिया है.