नोटबंदी का असर बरकरार, प्रत्यक्ष कर संग्रह 19 प्रतिशत बढ़कर 1.90 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचा

चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने (अप्रैल से जुलाई) में प्रत्यक्ष कर संग्रहण 19.1 प्रतिशत बढ़कर 1.90 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. यह राशि इस पूरे वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष करों से जुटाये जाने वाले 9.80 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य का 19.5 प्रतिशत है.

प्रतीकात्मक फोटो

देश में नोटबंदी के बाद से प्रत्यक्ष कर संग्रह में बढ़त की बात कही जा रही है. चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने (अप्रैल से जुलाई) में प्रत्यक्ष कर संग्रहण 19.1 प्रतिशत बढ़कर 1.90 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. यह राशि इस पूरे वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष करों से जुटाये जाने वाले 9.80 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य का 19.5 प्रतिशत है. वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘‘अप्रैल-जुलाई के दौरान शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि से 19.1 प्रतिशत बढ़कर 1.90 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया.’’ प्रत्यक्ष कर में व्यक्तिगत आयकर और कारपोरेट कर आता है. पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई अवधि में प्रत्यक्ष कर संग्रहण 24.01 प्रतिशत बढ़कर 1.59 लाख करोड़ रुपये रहा था.

सकल रूप से देखा जाए तो इस अवधि में कारपोरेट आयकर संग्रह में 7.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि व्यक्तिगत आयकर :प्रतिभूति लेनदेन कर सहित: में यह वृद्धि 17.5 प्रतिशत की रही. हालांकि, रिफंड को समायोजित करने के बाद कारपारेट कर संग्रह की शुद्ध वृद्धि 23.2 प्रतिशत रही, जबकि व्यक्तिगत आयकर की वृद्धि 15.7 प्रतिशत रही.

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अप्रैल से जुलाई की अवधि के दौरान कुल 61,920 करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के रिफंड से 5.1 प्रतिशत कम है. इससे पहले इसी सप्ताह सरकार ने जो आंकड़े जारी किए हैं उनसे पता चलता है कि नोटबंदी के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. कर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या एक साल पहले के 2.27 करोड़ से बढकर 2.83 करोड़ पर पहुंच गया. यह वृद्धि 24.7 प्रतिशत की रही जबकि पिछले साल रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में 9.9 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी. व्यक्तिगत कर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 25.3 प्रतिशत बढ़कर 2.79 करोड़ हो गई.
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सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 में 8.49 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर जुटाया था. जो इससे पिछले वित्त वर्ष से 14.5 प्रतिशत अधिक था. यह वृद्धि 2013-14 के बाद सबसे अधिक रही.
 

लेखक Bhasha
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