जुलाई में तेजी से बढ़े मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर, 3 महीने की ऊंचाई पर HSBC फ्लैश इंडिया PMI

HSBC फ्लैश इंडिया कंपोजिट आउटपुट इंडेक्स में तीन महीने में सबसे मजबूत ग्रोथ देखने को मिली है. जून में 60.9 से बढ़कर ये 61.4 पर पहुंच गई है.

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भारत के निजी सेक्टर (Private Sector) की इकोनॉमी में जुलाई महीने के दौरान ग्रोथ देखने को मिली. HSBC फ्लैश इंडिया कंपोजिट आउटपुट इंडेक्स में दिखा है कि नए बिजनेस और आउपुट में बढ़ोतरी देखने को मिली है.

बुधवार को S&P ग्लोबल की ओर से जारी रिलीज के मुताबिक हेडलाइन HSBC फ्लैश इंडिया कंपोजिट आउटपुट इंडेक्स में तीन महीने में सबसे मजबूत ग्रोथ देखने को मिली है. जून में 60.9 से बढ़कर ये 61.4 पर पहुंच गई है.

क्या हैं बढ़ोतरी की वजहें?

सीजनली एडजस्टेड इंडेक्स में भारत के मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर्स के आउटपुट में मासिक आधार पर बदलाव का आकलन किया जाता है. HSBC फ्लैश इंडिया मैन्युफैक्चरिंग PMI जुलाई में 58.5 रही, जो तीन महीने का सबसे ऊंचा स्तर है. जून में ये 58.3 रही थी. सेक्टर में बहुत अच्छा सुधार हुआ है.

बाजार की अच्छी स्थिति और नए बिजनेस बढ़ने से निजी क्षेत्र की एक्टिविटी बढ़ी है. बेहतर टेक्नोलॉजी और इवेंट्स की ज्यादा संख्या ने भी इसमें मदद की है.

नए ऑर्डर भी बढ़े

निजी सेक्टर की कंपनियों में किए गए नए ऑर्डर की संख्या जुलाई में बढ़ी है. ये इजाफा बड़े तौर पर जून के समान रहा. इसमें तीन महीने में सबसे तेज बढ़ोतरी हुई है. मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर में आउटपुट भी बढ़ा है.

सर्विस सेक्टर की इकोनॉमी से मजबूत ग्रोथ का संकेत मिला है. भारत में प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों के बीच कैपेसिटी प्रेशर में इजाफा हुआ है. कंपनियां अतिरिक्त कर्मचारियों की नियुक्ति कर रही हैं.

सर्विसेज कंपनियों के मुकाबले मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में ज्यादा नई नौकरियां पैदा हुईं हैं. मैटेरियल, परिवहन और श्रम की ज्यादा लागत की वजह से जुलाई में इनपुट प्राइस में इजाफा हुआ. महंगाई की दर जून के मुकाबले ज्यादा रही है. बेहतर डिमांड ट्रेंड को देखते हुए कंपनियों ने जुलाई में अपने सेलिंग प्राइसेज को भी बढ़ाया. इसके अलावा आउटपुट चार्जेज में भी बढ़ोतरी हुई है.

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