केंद्रीय बैंक RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि भारत, निश्चित रूप से 7% से अधिक की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट हासिल कर सकता है और देश को इसे हासिल करने की आकांक्षा करनी चाहिए.
मॉनिटरी पॉलिसी मीटिंग के बाद RBI की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इंडियन इकोनॉमी के ग्रोथ पोटेंशियल से जुड़े सवाल पर गवर्नर ने कहा, 'निश्चित रूप से भारत 7% और उससे अधिक की ग्रोथ रेट हासिल कर सकता है. हमें निश्चित रूप से इसकी आकांक्षा करनी चाहिए.'
बता दें कि रिजर्व बैंक ने अपनी मॉनिटरी पॉलिसी में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आर्थिक ग्रोथ रेट 6.7% रहने का अनुमान लगाया है. ये मोजूदा वित्त वर्ष के लिए अनुमानित 6.4% से अधिक है.
'टैक्स रिलीफ से मिलेगा ग्रोथ को समर्थन'
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट प्रस्तावों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स में दी गई राहत से महंगाई नहीं बढ़ेगी, बल्कि आर्थिक ग्रोथ को समर्थन मिलेगा.
वित्त मंत्री ने सैलरीड और मिडिल क्लास को बड़ी राहत देते हुए 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय को पूरी तरह से टैक्स छूट देने का ऐलान किया है. साथ ही टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया है. नए टैक्स रिजीम में टैक्स छूट 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये किये जाने से करीब एक करोड़ टैक्सपेयर्स को लाभ होगा.
संजय मल्होत्रा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट आर्थिक ग्रोथ और महंगाई दोनों ही नजरिए से उत्कृष्ट है. बजट में कृषि पर ध्यान केंद्रित करने से दलहन, तिलहन और अन्य फसलों का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी और फूड इनफ्लेशन में कमी आएगी.
'महंगाई का प्रेशर कम होगा'
RBI ने अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष के लिए खुदरा महंगाई 4.2% पर रहने का अनुमान लगाया है, जबकि 2024-25 के लिए पहले के 4.8% के अनुमान को बरकरार रखा है. संजय मल्होत्रा ने कहा कि सप्लाई के मोर्चे पर अगर कोई झटका नहीं आता है, इससे फूड इनफ्लेशन का प्रेशर कम होगा. इसका कारण, खरीफ फसलों का उत्पादन बेहतर रहने, जाड़े में सब्जियों की कीमतों में नरमी और रबी फसलों को लेकर अनुकूल संभावनाएं हैं.
रुपये की गिरावट पर क्या बोले गवर्नर?
RBI गवर्नर ने रुपये के बारे में कहा कि एक्सचेंज रेट पॉलिसी वर्षों से एक समान बनी हुई है और केंद्रीय बैंक रुपये के किसी सपेशल लेवल या बैंड को टारगेट नहीं करता है. उन्होंने कहा, 'हमें रुपये में हर दिन की अस्थिरता पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि लॉन्ग टर्म एक्सचेंज रेट पर नजर रखनी चाहिए.'
इस साल अबतक रुपये में करीब 2% की गिरावट आ चुकी है. छह नवंबर, 2024 को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव परिणाम घोषित किए जाने के बाद से डॉलर के मुकाबले इसमें 3.2% की गिरावट आई है. इसी अवधि के दौरान डॉलर सूचकांक में 2.4% की बढ़ोतरी हुई है.
विदेशी मुद्रा बाजार में RBI के हस्तक्षेप के कारण पिछले तीन महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में 45 अरब डॉलर की गिरावट आई है. विदेशी मुद्रा भंडार 8 नवंबर, 2024 को 675.65 अरब डॉलर था. वहीं, इस वर्ष 31 जनवरी को, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 630.6 अरब डॉलर पर था जो 10 महीने से अधिक के आयात के लिए पर्याप्त है.