भारत को 2030 तक 11.5 करोड़ नौकरियां पैदा करने की जरूरत: स्टडी

गुयेन ने अपने शोध नोट में लिखा- 'पिछले दशक में भारत की अर्थव्यवस्था में 11.2 करोड़ नौकरियां पैदा होने के बावजूद, केवल 10% नौकरियां ही फॉर्मल हैं.

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भारत को 2030 तक 11.5 करोड़ नौकरियां पैदा करने की जरूरत होगा, क्योंकि एक बहुत बड़ी तादाद में लोग वर्कफोर्स में शामिल होंगे. एक स्टडी में ये बात कही गई है, जिसमें कहा गया है कि भारत को अपनी अर्थव्यवस्था में तेजी को बरकरार रखने के लिए सर्विसेज और मैन्युफैक्चरिंग को नई रफ्तार से बढ़ावा देना होगा.

गुयेन के शोध नोट में क्या है?

Natixis SA के एक सीनियर अर्थशास्त्री ट्रिन गुयेन ने सोमवार को एक रिपोर्ट में लिखा, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को हर साल 1.65 करोड़ नौकरियां पैदा करने की जरूरत होगी, जो पिछले दशक में सालाना 1.24 करोड़ थी. गुयेन ने कहा कि करीब 1.04 करोड़ नौकरियां फॉर्मल सेक्टर से पैदा करनी होंगी.

अपने इस शोध नोट में गुयेन लिखते हैं - 'इस कठिन काम को पूरा करने के लिए, भारत के विकास इंजन को अगले पांच वर्षों में मैन्युफैक्चरिंग से लेकर सर्विसेज तक सभी सेक्टर्स पर काम करने की जरूरत है.'

भारत की अर्थव्यवस्था इस साल 7% से अधिक बढ़ने की उम्मीद है - जो दुनिया में सबसे तेज है, फिर भी ये रफ्तार इतनी तेज नहीं है कि इसके 140 करोड़ लोगों के लिए नौकरियां पैदा की जा सकें. नई ऊंचाई पर पहुंची युवाओं की बेरोजगारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि वो मौजूदा लोकसभा चुनावों में अपने तीसरे कार्यकाल की तलाश में हैं.

गुयेन ने अपने शोध नोट में लिखा- 'पिछले दशक में भारत की अर्थव्यवस्था में 11.2 करोड़ नौकरियां पैदा होने के बावजूद, केवल 10% नौकरियां ही फॉर्मल हैं. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, देश की कुल वर्क फोर्स की भागीदारी दर 58% है, जो अपने एशियाई समकक्षों की तुलना में बहुत कम है.

मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना होगा

गुयेन ने कहा कि भारत का सर्विस सेक्टर, जो GDP का आधे से ज्यादा हिस्से में अपना योगदान देता है, इसमें कर्मचारियों की संख्या और काम की गुणवत्ता के मामले में बहुत सीमित गुंजाइश है'. उन्होंने कहा, इसका मतलब है कि भारत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में प्रवेश कर सकता है और उन कंपनियों और देशों के लिए मुकाबला कर सकता है जो सक्रिय रूप से चीन-केंद्रित सप्लाई चेन से बाहर निकलकर किसी और जगह की तलाश कर रहे हैं.

गुयेन कहते हैं कि भारत में आने वाली नई सरकार को मैन्युफैक्चरिंग की गाड़ी पर कूदने और जनसांख्यिकीय और जियो-पॉलिटिकल घटनाओं का फायदा उठाने की जरूरत है, भले ही आगे का रास्ता चुनौतीपूर्ण हो, सही रास्ते पर चलने में कभी देर नहीं होती.'