पर्यावरण मंत्रालय अब अवरोध नहीं बनेगा : पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर

पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को कहा कि पर्यावरण और वन संबंधी परियोजनाओं की मंजूरियों की समयसीमा को कम किया जा रहा है और प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जा रहा है ताकि पिछली संप्रग सरकार के दौरान बन गई उनके मंत्रालय की अवरोधक की छवि को समाप्त किया जा सके।

फाइल फोटो

पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को कहा कि पर्यावरण और वन संबंधी परियोजनाओं की मंजूरियों की समयसीमा को कम किया जा रहा है और प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जा रहा है ताकि पिछली संप्रग सरकार के दौरान बन गई उनके मंत्रालय की अवरोधक की छवि को समाप्त किया जा सके।

हालांकि, नए पर्यावरण मंत्री ने संप्रग सरकार के दौरान मंजूरी के लिए लंबित परियोजनाओं को लेकर किसी पर आरोप नहीं लगाया और न ही उनके मंत्रालय के पास परियोजनाओं की लागत या हुए नुकसान का सही-सही वित्तीय अनुमान है।

जावड़ेकर ने कहा कि पिछले मंत्रियों ने देश की छवि को नुकसान पहुंचाया क्योंकि मंत्रालय को विकास में अवरोधक के तौर पर देखा गया और विदेशी निवेशकों ने देश से जाना शुरू कर दिया।

उन्होंने कहा कि उन्हें पिछली संप्रग सरकार से विरासत के तौर पर हजारों लंबित फाइलें मिली हैं और इससे काफी आर्थिक नुकसान हुआ।

पर्यावरण परियोजनाओं को मंजूरी देने की प्रक्रिया को तेज करने का वायदा करते हुए जावड़ेकर ने कहा, 'फैसले लिए जाएंगे, विलंब खत्म किया जाएगा।'

अपने मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जावड़ेकर ने कहा, 'हम समयसीमा कम करेंगे। पर्यावरण संबंधी मंजूरियों के लिए दो महीने के फैसले हम पहले ही कर चुके हैं। वन संबंधी मंजूरियां भी इसी स्तर पर हैं। दो चरण हैं। एक टीओआर का और दूसरा अंतिम मंजूरी का।'

जावड़ेकर ने कहा, 'हम समयसीमा तय कर रहे हैं और हम 200 दिन की भारी-भरकम प्रक्रिया को कम कर रहे हैं। हर उद्योग के लिए यह अलग है, लेकिन हम इसे गुणवत्ता से समझौता किए बिना कम करेंगे।'

उन्होंने कहा, 'मुझे ऐसी विरासत मिली है जिसमें पर्यावरण मंत्रालय को अवरोधक मंत्रालय समझा जाता है, जो विकास में बाधक हो। इसलिए पद संभालने के बाद मैंने जनता को भरोसा दिलाया कि हम पर्यावरण संरक्षण और विकास साथ-साथ चलने के पक्षधर हैं।'
मंत्री ने कहा, 'मेरा नारा है कि बिना विनाश के विकास। हम मातृ भूमि की चिंता करते हैं। हम प्रकृति की चिंता करते हैं। लेकिन, हम विकास भी चाहते हैं।'

पर्यावरण परियोजनाओं में देरी से देश को हुए नुकसान के आकलन के सवाल पर जावड़ेकर ने कहा, 'यह बहुत ज्यादा है। इसे रुपये में नहीं गिना जा सकता। यह छवि का नुकसान है। इसी वजह से अंतरराष्ट्रीय निवेशकों ने भारत से जाना शुरू कर दिया।'

उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रीय राजमार्गों, रेलवे, बंदरगाहों, सड़कों, हवाईअड्डों जैसी जन कल्याण से जुड़ी और रक्षा परियोजनाओं को प्राथमिकता दे रहे हैं।

लेखक NDTV Profit Desk
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