कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने कर्मचारियों और नियोक्ताओं के लिए अनिवार्य योगदान घटाकर 10 प्रतिशत करने के प्रस्ताव को शनिवार को खारिज कर दिया. अभी कर्मचारी और नियोक्ता मूल वेतन का 12 प्रतिशत ईपीएफ में योगदान करते हैं.
सरकार टेक होम सैलरी बढ़ाए जाने के तमाम निवेदनों के बाद इस बारे में विचार कर रही थी. ईपीएफओ की शनिवार को पुणे में बैठक हुई. बैठक के एजेंडा में कर्मचारियों और नियोक्ताओं के लिए अनिवार्य योगदान घटाकर 10 प्रतिशत किए जाने का प्रस्ताव था. श्रम सचिव एम. सत्यवती ने कहा कि नियोक्ता, कर्मचारियों और सरकार के प्रतिनिधियों ने इस पर आपत्ति जताई और उनका मानना था कि इसे 12 प्रतिशत बने रहना चाहिए.
श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय भी इस बैठक में शामिल हुए. उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि बैठक में सीबीटी ने शेयर बाजार में निवेश की सीमा मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का निर्णय किया. ईपीएफओ की निवेश योग्य जमाएं एक लाख करोड़ रुपये सालाना है. एक रिपोर्ट के अनुसार ईपीएफओ ने अप्रैल, 2017 के आखिर तक बाजार सम्बद्ध उत्पादों में 21,050 करोड़ रुपये का निवेश किया.
(इनपुट भाषा से)