ई-वे बिल में 10 राज्यों का हिस्सा 83 प्रतिशत, गुजरात पहले नंबर पर

ई-वे बिल निकालने के मामले में 10 राज्यों का हिस्सा 83 प्रतिशत है और गुजरात इसमें सबसे आगे है. माल एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) ने बताया कि पिछले तीन सप्ताह के दौरान जितने ई-वे बिल निकाले गए हैं, उनमें से 83 प्रतिशत सिर्फ दस राज्यों में निकाले गए. ई-वे पोर्टल से एक अप्रैल से 22 अप्रैल के दौरान कुल 1.84 करोड़ ई-वे बिल निकाले गए.

टोल.

ई-वे बिल निकालने के मामले में 10 राज्यों का हिस्सा 83 प्रतिशत है और गुजरात इसमें सबसे आगे है. माल एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) ने बताया कि पिछले तीन सप्ताह के दौरान जितने ई-वे बिल निकाले गए हैं, उनमें से 83 प्रतिशत सिर्फ दस राज्यों में निकाले गए. ई-वे पोर्टल से एक अप्रैल से 22 अप्रैल के दौरान कुल 1.84 करोड़ ई-वे बिल निकाले गए.

जीएसटीएन के आंकड़ों के अनुसार इस दौरान सबसे अधिक 34.41 लाख ई-वे बिल गुजरात में निकाले गए. दूसरे नंबर पर 26.23 लाख के आंकड़े के साथ कर्नाटक और 21.06 के आंकड़े के साथ महाराष्ट्र तीसरे नंबर पर रहा. वहीं इस अवधि में उत्तर प्रदेश में 15.49 लाख, हरियाणा में 14.69 लाख और दिल्ली में 10.94 लाख ई-वे बिल निकाले गए.

सरकार ने 50,000 रुपये से अधिक का माल एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने के लिए एक अप्रैल से इलेक्ट्रानिक वे या ई-वे बिल प्रणाली शुरू की थी. वहीं राज्यों के भीतर ही माल की आवाजाही के लिए यह प्रणाली 15 अप्रैल से शुरू हुई है.

अभी तक 12 राज्यों ने राज्य के अंदर की आवाजाही के लिए ई वे बिल को अनिवार्य किया है. चार और राज्य मध्य प्रदेश , अरुणाचल प्रदेश , सिक्किम और मेघालय तथा संघ शासित प्रदेश पुडुचेरी 25 अप्रैल से राज्य के भीतर माल की आवाजाही के लिए ई-वे बिल प्रणाली शुरू करने जा रहे हैं.

लेखक Bhasha
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